आंवला के गुण
आयुर्वेदिक चिकित्सा के मतानुसार आँवला मनुष्य का सच्चा हितैषी फल है । जिस प्रकार ईश्वर मनुष्य की आध्यात्मिक आधिदैविक और आधिभौतिक कष्टों से रक्षा करता है , ठीक वैसे ही आंवला इस धरती पर मनुष्य के त्रिदोषों ( वात , कफ और पित्त ) का नाश कर रोगों से उसकी रक्षा करता है । इसे चिकित्सा ग्रंथों में अमृत फल की संज्ञा दी गई है ।
जो भी व्यक्ति आँवले का रोजाना किसी भी रूप ( हरे या सूखे ) में सेवन करता है , वह सदा निरोगी रहता है । उसे किसी भी प्रकार के रोग कभी नहीं सताते वह हमेशा निरोग और बलशाली बना रहता है । उस व्यक्ति के वृद्धावस्था भी पास नहीं फटकती । उसके बाल व दाँत तथा आँखों की रोशनी अंत समय तक बराबर बनी रहती है । यह आयुवृद्धि भी करता है।
आँवले के पेड़ भारत में प्रायः सभी स्थानों पर पाए जाते हैं । इसकी पत्तियाँ देखने में इमली की पत्तियों के समान लगभग पीले रंग की होती हैं । हमारे देश में माघ शुक्ल की एकादशी को और कार्तिक की शुक्ला चतुर्दशी को लोग इसके पेड़ की पूजा पूरी श्रद्धा और लगन के साथ करते हैं तथा ब्राह्मण को इसके वृक्ष के नीचे अपनी सामर्थ्यानुसार भोजन भी कराते हैं।
आम , अखरोट केला आदि फलों का तो छिलका व गुठली फेंकने पड़ते हैं परंतु इसका रेशा – रेशा ( छिलका , गुठली , गूदा ) सभी चीजें काम में आती हैं तथा मनुष्य के शरीर में नयी उमंग नया उत्साह भर देती हैं । केवल इसी फल में यह गुण पाया जाता है कि इसकी प्रत्येक वस्तु का आप जितना शोषण और दोहन करेंगे , उतना ही आप इसका लाभ उठा सकेंगे ।
इसको चाहे आप कूट – पीसकर खाएँ , घिसकर प्रयोग करें , कोल्हू में रस निकलवाकर सेवन करें या उबालकर इसकी गुठलियों तक पीस डालें , परंतु इसके गुणों में कोई कमी नहीं आती । इसका सेवन करके मनुष्य कठोर और महा पराक्रमी बन सकता है और उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है ।
आंवला के गुण। amla ke gun

आंवला के गुण – आँवला मस्तिष्क एवं बालों को बल प्रदान करता है। आंवला खाने से बाल काले, घने,और लंबे रहते हैं और मस्तिक स्वस्थ रहता हैं।
आंवला शरीर में जलन और पित्त में अत्यंत ही लाभदायक होता है
आंवला उदर संबंधी रोगों को दूर करके मन्दाग्नि व पेट दर्द में लाभ पहुंचाता है ।
आँवला बुखार की स्थिति में पसीना लाकर बुखार का पूर्णरूप से शमन कर देता है ।
आंवला वमन रोधक है । इसका सेवन करने से उल्टी आना बंद हो जाती है ।
आँवला शरीर को शीतलता प्रदान करता है आंवला खाने में रूक्ष और हल्का होता है ।
आँवला शरीर की सामान्य कमजोरी को दूर करने के साथ साथ शरीर में शक्ति , स्फूर्ति और कांति प्रदान करता है ।
आँवला प्रजनन संस्थान को सशक्त बनाता है और मूत्र संबंधी सभी रोगों का शमन करता है ।
आँवला आँखों की शक्ति में वृद्धि करता है और आँख संबंधी सभी प्रकार के रोगों को नष्ट करता है ।
आँवला शरीर की थकान को शीघ्र ही दूर कर देता है ।
आँवला शरीर के भीतर और बाहर रक्तस्त्राव को रोकने में सक्षम है ।
आँवला त्रिदोषों का नाशक है । विशेषकर कफ और पित्त के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों का शमन कर देता है ।
आँवला मोटापा दूर कर शरीर को छरहरा बनाने में सहायक है ।
आँवला कफ वृद्धि को दूर करने में सक्षम माना जाता है आँवला अस्थि संबंधी रोगों में लाभप्रद है तथा टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने में सक्षम है ।
आँवला अमृत के समान माना जाता है । यह सप्त शक्ति बनाए रखता है ।
सूखा आंवला के गुण ,sukha amla ke gun
• सूखा आंवला शरीर की सप्त धातुओं का पोषण करता है ।
सूखे आंवले में मधुर , अम्ल , तिक्त , कटु एवं कषाय रस पाया जाता है ।
सूखा आँवला विष के प्रभावों को दूर करने में सक्षम है ।
यह अस्थि को मजबूती प्रदान करता हुआ टूटी हड्डियों को जोड़ने में सक्षम माना जाता है ।
सूखा आँवला मेद ( चर्बी ) की वृद्धि को दूर करता है ।
यह त्रिदोषों का शमन करता है । विशेषकर कफ और पित्त से उत्पन्न विकारों को नष्ट करता है ।
आँवले के बीज ( गुठली ) के गुण।
आँवले का बीज मधुर एवं कषाय रस प्रधान होता है ।
आँवले के बीज सभी तरह की खाँसी में बहुत लाभदायक माने जाते हैं ।
आँवले के बीज वीर्यवर्द्धक होते हैं ।
आँवले का बीज पित्त शमन करता है और प्यास को शांत करता है ।
आँवले के बीजों के सेवन से ज्वर नष्ट होता है ।
इसका बीज शरीर की जलन को दूर कर शरीर को शीतलता प्रदान करता है ।
आवले में पाए जाने वाले गुण।
- प्रोटीन 0.5 प्रतिशत
- कैल्शियम 0.5 प्रतिशत
- लोह 0.2 प्रतिशत
- जल 81.2 प्रतिशत
- कार्बोज 14.1 प्रतिशत
- खनिज लवण 0.7 प्रतिशत
- फॉस्फोरस 0.5 प्रतिशत
कैल्शियम 0.1 प्रतिशत 81.2 प्रतिशत 0.7 प्रतिइनके अतिरिक्त आँबले में विटामिन ‘ सी ‘ पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है । यह इस फल की विशेषता है कि इसके सूख जाने पर भी इसमें विटामिन ‘ सी कम नहीं होता । आयुर्वेद मतानुसार आँवले में लवण रस को छोड़कर शेष पाँचों रस ( मधुर , अम्ल , कटु , तिक्त और कषाय ) विद्यमान रहते हैं । इसमें अम्ल रस विशेष रूप से पाया जाता है यह गुण में लघु , रूक्ष मधुर और विपाक तथा वीर्य में शीत होता है ।
आंवले का फल वजन में 2 से 6 तोला तक होता है मे आँवला नाड़ी दौर्बल्य , दीपन , अनुलोमक , यकृतोत्तेजक , हृदय के लिए हितकर , गर्भस्थापक , कुष्ठघ्न , दाह प्रशामक , मूत्रल , वात , कफ , पित्त – त्रिदोषों से उत्पन्न विकारों को नष्ट करने वाला है । मुख्यतः पित्तज विकारों मस्तिष्क दौर्बल्य , दृष्टिमाद्य , इन्द्रियों की दुर्बलता , अरुचि , अग्निमांद्य , यकृतविकार , अम्लपित्त , परिणामशूल , अर्श , उदावर्त्त , उदर रोग तथा हृद रोग , रक्त पित्त , रक्त विकार , श्वास , कास , यक्ष्मा , नाह , क्षय , दौवर्ल्स शोध आदि में लाभदायक और उपयोगी है
आँवले से बने च्यवनप्राश का सेवन करने से व्यक्ति की मेधा शक्ति , स्मरणशक्ति , शरीर की कान्ति , आरोग्यता , आयुवृद्धि , इन्द्रियों में बल मैथुन करने की शक्ति और जठराग्नि की वृद्धि होती है तथा शरीर का वर्ण भी स्वच्छ होता है और वायु का अनुलोमन होता है ।
सर्व उपयोगी आँवला –
आँवले के वृक्ष की सभी वस्तुएँ अत्यंत ही लाभदायक और उपयोगी होती हैं । इसकी सभी वस्तुएँ जैसे फल , पुष्प , छाल , बीज , एत्तियाँ आदि कच्ची – पकी दोनों ही रूप में उपयोग में लाई जाती हैं इनमें दैनिक एसिड , गैलिक एसिड , शर्करा , सैल्यूलोज खनिज मुख्यतः कैल्शियम होता है । वैज्ञानिकों के अनुसार आँवला सर्वोत्तम बलदायक खाद्य पदार्थ है ।
शाकाहारियों के लिए तो भगवान ने आँवला वरदान के रूप में पैदा किया है । आजकल लोग बाल काला करने , बाल संवारने , बाल झड़ने आदि में आँवले का बहुतायत में प्रयोग ,करने लगे हैं । आँवले में सभी तरह के गुण पाए जाते हैं । नीम के पेड़ की तरह आंवले का पेड़ वातावरण को स्वच्छ रखता है । आँवले का एक महीना नियमित रूप से सेवन करने से से रोग दूर हो जाते हैं । बूढ़ों में जवानों जैसी शक्ति भर जाती है । मर्दानगी लौट आती है ।
इससे विटामिन ‘ सी ‘ की जरूरत पूरी हो जाती है । एक आँवले में चार संतरे , आठ टमाटर , दो नारंगी और चार केलों के बराबर गुण पाए जाते हैं । आग पर रखने , उबालने या तपाने पर सभी फल – सब्जियों के विटामिन नष्ट हो जाते हैं , परंतु आँवले के कसैले तत्व उबालने पर भी उसके विटामिन नष्ट नहीं होने देते । इसके पेड़ की छाल , फूल , पत्ते , फल , जड़ , बीज और रेशा रेशा मानव के प्रयोग में आता है ।
प्रोटीन , वसा , खनिज लवण , कैल्शियम , कार्बोज , फॉस्फोरस और लौह तत्व के अतिरिक्त भी आँवला में जीवनोपयोगी गुणों का भंडार भरा हुआ है । आँवला दिमाग को तेज करता है , नेत्रज्योति में अत्यंत वृद्धि करता है , श्वास के रोग मिटाता है । रक्त शुद्धि और रक्त संचार में गुणकारी है । दिल मजबूत करता है जिगर – तिल्ली को सुधार कर पाचन में शक्ति में वृद्धि करता है ।
आंवला आँतों की मरम्मत करता है , रज और वीर्य का स्त्रोत है , आयुवर्द्धक है । और सात्विक वृत्ति पैदा कर ओज और कांति को बढ़ाता है । अक्षय नवमी के दिन साल में एक बार हम आँवले के पेड़ की पूजा भी करते हैं । धूप – दीप जलाते हैं , सूत बाँधते हैं और भी कई तरह के धार्मिक कार्य करते हैं । इन सबका केवल एक उठाएँ । ही उद्देश्य है कि हम वृक्षों का सान्निध्य प्राप्त कर उनसे लाभ आँवला सर्वसुलभ , सस्ता और अत्यंत ही गुणकारी फल है । इसका सेवन करने से अनेकानेक रोगों का शमन बड़ी सरलता से किया जा सकता है ।
आंवला के प्रकार
आँवला तीन प्रकार का पाया जाता है । 1. कलमी आंवला , 2. बीजू आँवला और 3. जंगली आँवला ।
जंगली आँवले के पेड़ जंगल में स्वयं ही पैदा हो जाते हैं । इसका पेड़ मध्यम आकार का और फल एकदम छोटे – छोटे और कठोर होते हैं । इसका रंग हरा होता है तथा उसमें अनेक धारियाँ होती हैं । इसके अंदर रेशे होते हैं , छिलका नहीं होता । लेकिन इसके अंदर गुठली अवश्य पाई जाती है । इसके पेड़ की छाल प्रत्येक बसंत ऋतु में शुष्क होकर स्वयं ही बिखर जाती है । इसकी शाखाओं पर बहुत छोटे – छोटे पीले रंग के फूल खिलते हैं जो बड़े होकर फल का रूप धारण कर लेते हैं ।
कलमी आँवला अन्य आँवलों की तुलना में आकार में कुछ बड़ा होता है । लेकिन इसमें रेशे नहीं पाए जाते हैं । यह स्वाद की दृष्टि से तो उत्तम माना जाता है । परंतु गुण इसमें सबसे कम पाए जाते हैं । जबकि बीजू आँवला कलमी आँवले की तुलना में आकार में कुछ छोटा होता है । इसमें रेशे भी पाए जाते हैं । कलमी आँवले की तुलना में यह लाभदायक होता है । इसीलिए जंगली आँवला स्वाद एवं गुणों की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । इसमें रेशे बहुतायत में पाए जाते हैं ।
इसके फल आकार में बहुत छोटे और ठोस होते हैं । चिकित्सा की दृष्टि से भी यही आँवला अधिक उपयोगी माना जाता है उपयोग करते हैं । और प्रायः अधिकांश लोग इसी आँवले का विभिन्न रूपों में आंवला गुणों से भरपूर और लाभदायक फल है । वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आँवले में शरीर को शक्ति प्रदान करने वाले लगभग सभी गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं । रासायनिक विशलेषणों से इसके गुणों के बारे में पता चलता है ।