Homeyogaजल नेति क्रिया(जलनेति)। जल नेति क्रिया कैसे करे।

जल नेति क्रिया(जलनेति)। जल नेति क्रिया कैसे करे।

जल नेति क्रिया योग की सप्त क्रियाओं में से एक है। जलनेति के द्वारा नेजल ट्रैक की सफाई की जाती है। जल नेती क्रिया में नहा के एक होल से हल्के नमक वाला पानी प्रवेश करवाया जाता है तथा दूसरे होल से निकाला जाता है। नाक में पानी को प्रवेश करवाने के लिए एक विशेष पात्र का प्रयोग किया जाता है जिसे जलनेति पात्र कहते हैं। प्राचीन भारत में योग योग के द्वारा श्वसन रोगों से बचने और दूर करने के लिए जल नेति क्रिया की जाती थी। जल नेती क्रिया से आप सांस और नाक संबंधी कई बीमारियों से तथा संक्रमण से बचा जा सकता है। श्वसन प्रणाली को साफ रखने तथा नासिका के मार्ग से विषाक्त पदार्थों को दूर करने के लिए जल नेति क्रिया की जाती हैं। तो आइए जानते हैं जल नेति क्रिया किस प्रकार की जाती है।

जल नेति क्रिया करने की विधि

सूत्र नेती के बाद जल नेती क्रिया करनी चाहिए ताकि सूत्र नेति की रगड़ से नाखूनों के अंदर का सूखा मेल जो छूट करना के अंदर ही रह गया हो वह जलनेति के जल के साथ बाहर निकल आए।

जल नेति क्रिया(जलनेति)। जल नेति क्रिया कैसे करे।
जल नेति क्रिया(जलनेति)

जल नेती क्रिया करने के लिए एक चोंचनुमा, टोंटीवाला लोटा लेकर नमक मिला हुआ गुनगुना जल भरकर जिस नासिका छिद्र में सुर चल हो, उस में लौटे की चोंच लगा कर लौटा थोड़ा ऊपर उठाऐ, तथा नाक व सिर टेढ़ा करें। जल नासिका छिद्र में जाने दे। मुंह खोल कर रखें तथा स्वास भी मुंह से ही ले। जल दूसरे नासिका छिद्र से बाहर गिरने लगेगा। यही क्रिया नाक के दूसरे छिद्र से भी करें। इसके बाद नाकछिद्रों में रहे जल को कपालभाती क्रिया द्वारा बाहर करें व नाक को शुष्क कर ले।

जल नेति क्रिया करने के लाभ

1. जल नेति क्रिया करने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।

2.जल नेति क्रिया मिर्गी व मानसिक विकारों को दूर करने में लाभदायक होती हैं।

3. गले की खराश, नाक में सूजन, फुंसी, सिरदर्द, कान में दर्द आदि रोगों में भी लाभदायक है।

4. जल नेति क्रिया स्मरण शक्ति को बढ़ाती है। यह क्रिया विद्यार्थियों को अवश्य करनी चाहिए।

5. जलनेति से नासिका द्वार खुल जाते हैं। जिससे श्वास लेने में सुविधा होती है। इससे प्राणायाम करने में भी विशेष सहायता मिलती है।

6. जल नेती क्रिया संक्रमण को दूर करने में मदद करती है जल नेती क्रिया करने से आंख नाक का संक्रमण नहीं होता है।

जल नेति क्रिया करते समय सावधानी

1.यदि सर्दी व जुकाम लगी हो तो उस समय जल नेति क्रिया को नहीं करना चाहिए।

2. जल नेति क्रिया करने के पश्चात कपालभाति किया करें क्योंकि आपके नाक में पानी रह सकता है।

3. सभी योग क्रियाओं की भांति ही जल नेती क्रिया को भी शुरुआत में किसी एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें।

4. जल नेति क्रिया करते समय नाक से स्वास लेने की गलती ना करें क्योंकि इससे पानी आपकी श्वास नली में जा सकता है।

5. यदि आपको जलनेति क्रिया करते समय चक्कर आते हैं तो एक बार रुक जाए और सीधे खड़े हो जाए।

जल नेति क्रिया करने की अवधि

हो सके तो हमेशा जल नेती क्रिया करें। वरना सप्ताह में एक दो बार यह क्रिया अवश्य करनी चाहिए। अगर आप चाहे तो जल नेति क्रिया को दिन में तीन बार कर सकते हैं। लेकिन सुबह नाश्ते से पहले जल नेति क्रिया करने से अधिक लाभ मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सुबह जल नेती क्रिया करने से आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते हैं।

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