Kanya bhrun hatya par nibandh: पहले भी हमारे देश में लड़कियों को अभिशाप के रूप में देखा जाता था जिसकी वजह से उन्हें जन्म के तुरंत बाद ही मार दिया जाता था क्योंकि भारतीय समाज में लड़कियों को सामाजिक और आर्थिक बोझ समझा जाता था।वर्ष 1990 में चिकित्सा विज्ञान में लिंग निर्धारण जैसे तकनीकी के आगमन से भारत में कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध को बढ़ावा मिला है । लड़के और लड़कियों में भेदभाव के कारण वर्तमान में इसके बहुत बुरे परिणाम दिख रहे हैं

कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध
प्रस्तावना —
भारतीय समाज अनेक कुरीतियों से ग्रस्त रहा है । यहाँ बाल विवाह , अनमेल विवाह , सती प्रथा , दहेज प्रथा , मृत्यु भोज आदि अनेक कुरीतियाँ प्रचलित रही हैं , लेकिन वर्तमान में प्रचलित कन्या भ्रूण हत्या की प्रथा एक जघन्य अपराध है , महापाप है , मानवता के मस्तक पर भारी कलंक है । इस कुप्रथा ने स्त्री – पुरुष के समानुपात को गड़बड़ा दिया है । 2011 की जनगणना से संकेत मिलता है कि छह साल तक के बच्चों के अनुपात में लड़कियों की संख्या लगातार कम हो रही है । प्रति हजार लड़कों में लड़कियों की संख्या 914 रह गई है । देश के कई बड़े राज्यों महाराष्ट्र , पंजाब , हरियाणा , मध्य प्रदेश आदि में यह अनुपात 914 से भी कम है । स्त्री – पुरुषों के लिंगानुपात में आई इस भारी गिरावट के कारण भविष्य में नारी उत्पीड़न , यौन – शोषण और बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका बढ़ गई है । वर्तमान में ही इसके अनेक उदाहरण मिलने लगे हैं , मिल रहे हैं , यह चिन्तनीय है ।
कन्या भ्रूण हत्या के कारण –
प्राचीन भारत में कन्या भ्रूण हत्या अथवा कन्या वध का कोई उदाहरण नहीं मिलता ; लेकिन मध्यकाल में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत की पश्चिमोत्तर सीमा से प्रवेश करके पूरे देश को रौंद दिया । ये आक्रमणकारी जीत के बाद पुरुषों को गुलाम बनाकर साथ ले जाते , स्त्रियों का चरित्र भंग करते नशे में लूटपाट और बच्चों को मारपीट कर उनका धर्म परिवर्तित कर देते थे । जिन स्त्रियों या कन्याओं को भ्रष्ट और अपमानित किया जाता , समाज उनकी सुरक्षा करने के बजाय उन्हें बहिष्कृत करता या आत्महत्या के लिए विवश कर देता था । सुरक्षा और संरक्षण के अभाव में स्त्रियाँ लड़कों को जन्म देना एवं लड़कियों की गर्भ में ही हत्या कर देना उचित मानने लगीं । हमारा समाज पुरुष प्रधान है । बेटी के विवाह में अन्य खर्चों के साथ – साथ दहेज भी देना पड़ता है । वर्तमान में सोनोग्राफी मशीनों की सहायता से गर्भवती महिला का भ्रूण परीक्षण करवाकर भ्रूण हत्या के द्वारा कन्या के जन्म को पहले ही रोक दिया जाता है ।
कन्या भ्रूण हत्या के दुष्परिणाम –
कन्या भ्रूण हत्या का दुष्परिणाम यह हुआ कि हमारे देश में पुरुष और स्त्री के लिंगानुपात में भारी असमानता आ गई । 2001 की जनगणना में जहाँ छ : वर्ष की आयु के लड़कों और लड़कियों में 1000 : 927 था वह 2011 की जनगणना में 1000 : 914 ही रह गया । राजस्थान में 2001 की जनगणना में जहाँ यह असमानता 1000 : 909 थी , वहीं 2011 में 1000 : 883 रह गई । सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च 2011 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले तीन दशकों में एक करोड़ बीस लाख बच्चियों को गर्भ में लिंग का पता लगवाकर मार दिया गया।यही स्थिति रही तो भविष्य में हमारे समाज का क्या होगा ? लड़का और लड़की दोनों अपने माता – पिता की आँखों के तारे हैं । उनको समान प्यार , संरक्षण और विकास का अवसर मिलना चाहिए ।
कन्या भ्रूण हत्या और कानून –
भारत सरकार ने प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम ( पी.एन.टी.डी. ) के द्वारा सोनोग्राफी मशीनों से लिंग ज्ञान पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है , फिर भी समाज में लोभी चिकित्सकों और कन्याओं के दुश्मन माँ – बाप की कमी नहीं है , जो भारी राशि खर्च करके गैर – कानूनी ढंग से भ्रूण का लिंग परीक्षण करवाने से बाज नहीं आते ।
कन्या – भ्रूण हत्या के निषेधार्थ उपाय –
संसार के सभी धर्म , पंथ और सम्प्रदाय जीव – हत्या विशेषकर कन्या भ्रूण हत्या के पक्षधर नहीं हैं । जहाँ सरकार ने पी.एन.टी.डी. कानून के अन्तर्गत कन्या भ्रूण हत्या को दण्डनीय अपराध माना है । साथ ही नारी सशक्तीकरण , बालिका निःशुल्क , शिक्षा , पैतृक उत्तराधिकार , समानता का अधिकार प्रदान कर नारियों को आगे लाने का प्रयत्न किया है । साथ ही दहेज लेने व देने को भी दण्डनीय अपराध घोषित किया है । यदि भारतीय समाज में कन्या जन्म को मंगलकारी माना जाए , उसे घर की लक्ष्मी व सरस्वती मानकर उसका लालन – पालन किया जाए तो कन्या भ्रूण हत्या पर स्वतः ही प्रतिबंध लग जाएगा । अभिनेता और निर्माता आमिर खान ने ‘ सत्यमेव जयते ‘ धारावाहिक की प्रथम कड़ी में कन्या भ्रूण हत्या से संबंधित समस्या को बड़ी गंभीरता से उठाते हुए उसके कारणों पर प्रकाश डाला था , उसके दुष्परिणामों की ओर देशवासियों का ध्यान आकर्षित किया था , जिससे देश की कई राज्य सरकारों का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ था ।
उपसंहार —
यह हम सभी जानते हैं कि नारी और पुरुष के सामंजस्यपूर्ण सहयोग और सद्भाव से ही समाज का विकास संभव है । स्त्री के अभाव में पुरुष एक पंख का पक्षी है , फिर क्या वह एक पंख से उड़ान भर पाएगा ? ऐसे में यदि कन्या भ्रूण हत्या होती है , तो उसका दोषी कौन है ? अन्त में यही कहना उचित होगा कि कन्या भ्रूण हत्या एक अभिशाप है , पाप है , जघन्य अपराध है और इस पाप के जिम्मेदार आप – हम सब हैं
कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध 2 ( 600 शब्द)
1. प्रस्तावना –
परमात्मा की सृष्टि में मानव का विशेष महत्त्व है , उसमें नर के समान नारी का समानुपात नितान्त वांछित है । नर और नारी दोनों के संसर्ग से भावी सन्तान का जन्म होता है तथा सृष्टि – प्रक्रिया आगे बढ़ती है । परन्तु वर्तमान काल में अनेक कारणों से नर – नारी के मध्य लिंग – भेद का वीभत्स रूप सामने आ रहा है , जो कि पुरुष – सत्तात्मक समाज में कन्या भ्रूण हत्या का पर्याय बनकर असमानता बढ़ा रहा है।
हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या आज अमानवीय कृत्य बन गया है जो कि चिन्तनीय विषय है ।
2. कन्या भ्रूण हत्या के कारण –
भारतीय मध्यमवर्गीय समाज में कन्या जन्म को अमंगलकारी माना जाता है , क्योंकि कन्या को पाल – पोषकर , शिक्षित सुयोग्य बनाकर उसका विवाह करना पड़ता है । इस निमित्त काफी धन व्यय हो जाता है । विशेषकर विवाह में दहेज आदि के कारण मुसीबतें आ जाती हैं । कन्या को पराया धन और पुत्र को ही कुल – परम्परा को बढ़ाने वाला तथा वृद्धावस्था का सहारा मानते हैं । इसी कारण ऐसे लोग कन्या – जन्म नहीं चाहते हैं । इन सब कारणों से पहले कुछ क्षेत्रों अथवा जातियों में कन्या – जन्म के समय ही उसे मार दिया जाता था । आज के यान्त्रिक युग में अब भ्रूण हत्या के द्वारा कन्या – जन्म को पहले ही रोक दिया जाता है ।
3. कन्या भ्रूण हत्या की विद्रूपता –
वर्तमान में अल्ट्रासाउण्ड मशीन वस्तुतः कन्या- संहार का हथियार बन गया है । लोग इस मशीन की सहायता से लिंग – भेद ज्ञात कर लेते हैं , और यदि गर्भ में कन्या हो तो कन्या भ्रूण को गिराकर नष्ट कर देते हैं । कन्या भ्रूण हत्या के कारण लिंगानुपात का संतुलन बिगड़ गया है । कई राज्यों में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की संख्या बीस से पच्चीस प्रतिशत कम है । इस कारण सुयोग्य युवकों की शादियाँ नहीं हो पा रही हैं । एक सर्वेक्षण के अनुसार हमारे देश में प्रतिदिन लगभग ढाई हजार कन्या भ्रूणों की हत्या की जाती है । हरियाणा , पंजाब तथा दिल्ली में इसकी विद्रूपता सर्वाधिक दिखाई देती है । कन्या भ्रूण हत्या का अशिक्षा तथा गरीबी से उतना सम्बन्ध नहीं है , जितना कि दकियानूसी एवं स्वार्थी मध्यमवर्गीय समाज की अमानवीय सोच से है । लगता है कि ऐसे लोगों में लिंग – चयन का मनोरोग निरन्तर विकृत होकर उभर रहा है ।
4. कन्या भ्रूण हत्या के निषेधार्थ उपाय –
भारत सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए अल्ट्रासाउण्ड मशीनों से लिंग – ज्ञान पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है । इसके लिए ‘ प्रसवपूर्व निदान तकनीकी अधिनियम ( पी.एन.डी.टी. ) , 1994 ‘ के रूप में कठोर दण्ड – विधान किया गया है । साथ ही नारी सशक्तीकरण , बालिका निःशुल्क शिक्षा , पैतृक उत्तराधिकार , समानता का अधिकार आदि अनेक उपाय अपनाये गये हैं । यदि भारतीय समाज में पुत्र एवं पुत्री में अन्तर नहीं माना जावे , कन्या- जन्म को परिवार में मंगलकारी समझा जावे , कन्या को घर की लक्ष्मी एवं सरस्वती मानकर उसका लालन – पालन किया जावे , तो कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबन्ध स्वत : ही लग जायेगा ।
5. उपसंहार –
वर्तमान में लिंग – चयन एवं लिंगानुपात विषय पर काफी चिन्तन किया जा रहा है । संयुक्त राष्ट्रसंघ में कन्या – संरक्षण के लिए घोषणा की गई है । भारत सरकार ने भी लिंगानुपात को ध्यान में रखकर कन्या भ्रूण हत्या पर कठोर प्रतिबन्ध लगा दिया है । वस्तुतः कन्या भ्रूण हत्या का यह नृशंस कृत्य पूरी तरह समाप्त होना चाहिए ।
कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध 3 ( 500 शब्द )
1. प्रस्तावना –
परमात्मा की सृष्टि में अन्य प्राणियों की अपेक्षा मानव का विशेष महत्त्व है , उसमें नर के समान नारी का समानुपात नितान्त वांछित है । नर और नारी दोनों के संसर्ग से भावी सन्तान का जन्म होता है तथा सृष्टि – प्रक्रिया आगे बढ़ती है । परन्तु वर्तमान काल में अनेक कारणों से नर – नारी के मध्य लिंग – भेद का वीभत्स रूप सामने आ रहा है , जो कि पुरुष – सत्तात्मक समाज में कन्या भ्रूण हत्या का पर्याय बनकर असमानता बढ़ा रहा है । हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या आज अमानवीय कृत्य बन गया है जो कि चिन्तनीय विषय है ।
2. कन्या भ्रूण हत्या के कारण –
हमारे यहाँ मध्यमवर्गीय समाज में कन्या- जन्म अमंगलकारी माना जाता है , क्योंकि कन्या को पाल – पोषकर , शिक्षित कर , उसका विवाह करना पड़ता है । इस निमित्त और विवाह में दहेज के कारण बहुत सारा धन खर्च करना पड़ता है । इसीलिए कन्या को पराया धन मानकर उसकी उपेक्षा की जाती है और पुत्र को वंश – वृद्धि का कारक , वृद्धावस्था का सहारा मानकर उसकी कामना की जाती है ।
3. कन्या भ्रूण हत्या की विद्रूपता –
वर्तमान में अल्ट्रासाउण्ड मशीन वस्तुतः कन्या – संहार का हथियार बन गया है । लोग इस मशीन की सहायता से लिंग – भेद ज्ञात कर यदि गर्भ में कन्या हो तो कन्या – भ्रूण को गिराकर नष्ट कर देते हैं । जिसके कारण लिंगानुपात का संतुलन बिगड़ गया है । कई राज्यों में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की संख्या बीस से पच्चीस प्रतिशत कम है । इस कारण सुयोग्य युवकों की शादियाँ नहीं हो पा रही हैं । एक सर्वेक्षण के अनुसार हमारे देश में प्रतिदिन लगभग ढाई हजार कन्या – भ्रूणों की हत्या
की जाती है । हरियाणा , पंजाब तथा दिल्ली में इसकी विद्रूपता दिखाई देती है।
4. कन्या भ्रूण हत्या के निषेधार्थ उपाय –
भारत सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए अल्ट्रासाउण्ड मशीनों से लिंग – ज्ञान पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है । इसके लिए ‘ प्रसवपूर्व निदान तकनीकी अधिनियम ( पी.एन.डी.टी. ) , 1994 ‘ के रूप में कठोर दण्ड – विधान किया गया है । आजकल तो लिंग जाँच पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया गया है । साथ ही नारी सशक्तीकरण , बालिका निःशुल्क शिक्षा , पैतृक उत्तराधिकार , समानता का अधिकार आदि अनेक उपाय अपनाये गये हैं । यदि भारतीय समाज में पुत्र – पुत्री जन्म में अन्तर न मानकर , पुत्री- जन्म को घर की लक्ष्मी मानकर स्वागत किया जाए , तो इससे कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबन्ध स्वतः लग जायेगा ।
5. उपसंहार –
वर्तमान में लिंग – चयन एवं लिंगानुपात विषय पर काफी चिन्तन किया जा रहा है । संयुक्त राष्ट्रसंघ में कन्या – संरक्षण के लिए घोषणा की गई है । भारत सरकार भी लिंगानुपात को ध्यान में रखकर कन्या भ्रूण हत्या पर कठोर प्रतिबन्ध लगा दिया है । वस्तुतः कन्या भ्रूण हत्या का यह नृशंस कृत्य पूरी तरह समाप्त होना चाहिए।
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