नखरालो राजस्थान पर निबंध – क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान अपनी खूबियों के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है। राजा महाराजाओ से जुड़ा इतिहास और राजाओं की जन्म स्थली के कारण इसका नाम राजस्थान पड़ा। भारत के संवैधानिक इतिहास में राजस्थान का निर्माण एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। हम राजस्थान की कला, संस्कृति, इतिहास, परंपराए, राजधानी और अनेक बिंदुओं पर नखरालो राजस्थान पर निबंध में चर्चा करेंगे
नखरालो राजस्थान पर निबंध।
नखरालो राजस्थान पर निबंध संकेत बिन्दु – 1. प्रस्तावना 2. राजस्थान का रंगीला रूप 3. राजस्थान की सुरंगी संस्कृति 4. राजस्थान की नखराली छटा 5. उपसंहार
1. प्रस्तावना- राजस्थान में ऐसे अनेक ऐतिहासिक स्थान है जो राजपूत रणबांकुरों के मरण – महोत्सव के साक्षी रहे हैं । वस्तुतः राजस्थान नाम से इस भूभाग की रंग – बिरंगी परम्पराओं , रीति – रिवाजों एवं आंचलिक विशेषताओं का स्मरण हो जाता है । इसी कारण इसे जीवन्त संस्कृति वाला और रंगीला प्रदेश कहा जाता है ।

2. राजस्थान का रंगीला रूप – प्राकृतिक दृष्टि से राजस्थान अरावली पर्वतमाला से दो भागों में विभक्त है । यहाँ का पश्चिमोत्तर भाग रेतीली धरती के कारण सुनहरा दिखाई देता है , तो दक्षिण – पूर्वी भाग सुन्दर हरी – भरी भौगोलिक छटा से युक्त रहता है । यहाँ पर अनेक गढ़ , किले , ऐतिहासिक भवन या महल , मन्दिर एवं तीर्थ स्थल हैं । यहाँ पद्मिनी , पन्ना , तारा , महामाया आदि वीर क्षत्राणियों ने तथा भक्तिमती मीराँ , सहजो बाई आदि ने नारीत्व का गौरव बढ़ाया । शौर्य , पराक्रम तथा श्रेष्ठ सांस्कृतिक परम्पराओं के कारण राजस्थान का प्रत्येक भूभाग सुन्दर रंगीला दिखाई देता है ।
3. राजस्थान की सुरंगी संस्कृति – राजस्थान की संस्कृति अपना विशिष्ट स्थान रखती है । यहाँ पर अतिथि सत्कार दिल खोलकर किया जाता है । धार्मिक व्रत – त्योहारों का यहाँ पर आधिक्य है रक्षाबन्धन , होली , तीज , गणगौर शीतलाष्टमी आदि के अलावा यहाँ पर कई क्षेत्रीय पर्व मनाये जाते हैं । पाबूजी , गोगाजी , तेजाजी , रामदेवजी , जम्भेश्वरजी आदि लोकदेवताओं का जनजीवन पर गहरा प्रभाव दिखाई देता है , तो करणीमाता , जीणमाता , चौथ माता आदि लोकदेवियों के धान भी जनता की श्रद्धा से पूज्य रहे हैं । तीर्थराज पुष्कर , नाथद्वारा श्रीमहावीरजी , मेंहदीपुर बालाजी , अजमेर दरगाह आदि तीर्थस्थल जहाँ इसकी धार्मिक आस्था के परिचायक हैं , वहीं नानारंगी हुड़दंगों , गैरों , गींदड़ों , ख्यालों , सांग – तमाशों बारूद – भाटों के खेल के बड़े अद्भुत और कड़क नजारे देखने को मिलते हैं । इससे यहाँ की संस्कृति रंगीली लगती है
4. राजस्थान की निराली छटा – राजस्थान निर्जल डूंगरों , ढाणियों रेतीले धोरों का प्रदेश है , फिर भी यहाँ की धरती खनिज सम्पदा से समृद्ध संगमरमर तथा अन्य इमारती पत्थरों की यहाँ पर अनेक खानें हैं । इसी प्रकार ताँबा सीसा , अभ्रक , जस्ता आदि कीमती धातुओं के साथ चूना – सीमेण्ट का पत्थर बहुतायत में मिलता है । कलापूर्ण भित्ति चित्रों , सुरम्य बावड़ियों एवं छतरियों के साथ यहाँ मीनाकारी , नक्काशी की वस्तुओं और साक्षात् बोलती के दर्शन कहीं हो जाते हैं । रंगाई – छपाई एवं कशीदाकारी पर संगीत , नृत्य , लोकगीत आदि की विशेषताएँ राजस्थान के रंगीलेपन की प्रतिमान हैं । पत्थर की मूर्तियों आदि अनेक कलाओं के साथ अनोखी छटा दिखाई देती है ।
5. उपसंहार – राजस्थान की धरा शौर्य – गाथाओं , धार्मिक पर्वों , आस्थाओं तथा सांस्कृतिक ऐतिहासिक परम्पराओं के कारण समृद्ध दिखाई देती वहीं यहाँ पर शिल्प – कला , स्थापत्य एवं चित्रकला के साथ अन्य विविध विशेषताओं से जन – जीवन की जीवन्तता एवं रंगीलापन दिखाई देता है । वेश – भूषा एवं पहनावे में आचार विचार , आस्था – विश्वास और आंचलिकता की छाप आदि में भी राजस्थान रंगीला दिखाई देता है।
आशा है आपको नखरालो राजस्थान पर निबंध की जानकारी पसंद आई होगी धन्यवाद
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