नमस्कार दोस्तों, यहाँ हमने बेटी बचाओ, बेटी पढाओ पर निबंध लिखा है।
जीवन चक्र में पुरुषों और महिलाओं दोनों की समान भागीदारी होती है। बेटियों की घटती संख्या देश के लिए चिंता का विषय है। चूंकि यह आज का एक बहुत ही विचारणीय विषय है, इसलिए अक्सर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया जाता है तथा इस मुद्दे पर चर्चा की जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए और इसकी गंभीरता को समझते हुए हम इस पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध।
1. प्रस्थावना _
विधाता की इस सृष्टि के विकास में नर और नारी जीवन – रथ के दो पहिए हैं , परन्तु वर्तमान काल में अनेक कारणों से इनमे काफी असंतुलन बड़ रहा है।अब यह कन्या भ्रूण हत्या का पर्याय बनकर बालक बालिका के समान अनुपात को बिगाड़ रहा है,जिसके कारण आज बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जेसी समस्या का नारा देना हमारे लिए सोचनीय है।
2. वर्तमान में समाज की बदली मानसिकता
वर्तमान में मध्यमवर्गीय समाज बालिकाओं को पढ़ाने में अपनी परम्परावादी सोच को ही मान्यता देता चला आ रहा है , क्योंकि वह बेटी को पराया धन मानता है । इसलिए बेटी को पालना – पोसना , पढ़ाना – लिखाना , उसकी शादी में दहेज देना आदि को बेवजह का भार ही मानता है । इस दृष्टि से कुछ स्वार्थी सोच वाले कन्या को जन्म ही नहीं देना चाहते हैं । इसलिए वे गर्भावस्था में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या – जन्म को रोक देते हैं । परिणामस्वरूप जनसंख्या में बालक – बालिकाओं के अनुपात में अन्तर स्पष्ट दिखाई पड़ने लगा है जो भावी दाम्पत्य जीवन के लिए । एक बहुत बड़ा संकट बन रहा है ।
3. लिंगानुपात में बढ़ता अन्तर –
आज के समाज की बदली मानसिकता के कारण लिंगानुपात का अन्तर बढ़ता ही जा रहा है । यह तथ्य विभिन्न दशकों की जनगणना के आंकड़ों से स्पष्ट होता है । आज स्थिति यह हो रही है कि एक हजार बालकों पर बालिकाओं का अनुपात लगभग नौ सौ रह गया है । इस बढ़ते अन्तर को देखकर भावी दाम्पत्य जीवन में आने वाली कठिनाइयों के प्रति समाज की ही नहीं सरकार की भी चिन्ता बढ़ गयी है । इस चिन्ता से मुक्त होने के लिए सरकार ने ‘ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया है ।
4. बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ – अभियान एवं उद्देश्य
बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ ‘ अभियान के सम्बन्ध में हमारे । राष्ट्रपति ने दोनों सदनों को संयुक्त रूप से जून , 2014 को सम्बोधित किया । जिसमें इस आवश्यकता पर बल दिया गया है कि ‘ बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ ‘ , उनका संरक्षण और सशक्तीकरण किया जाए । इसके बाद यह निश्चय किया गया कि महिला एवं बाल विकास मन्त्रालय इस अभियान को ‘ राष्ट्रीय बालिका दिवस ‘ के रूप में प्रतिवर्ष चौबीस जनवरी को गति देगा । इसमें किशोर न्यायालय , बाल – विवाह , गर्भधारण एवं प्रसूति निदान , लिंग – चयन निषेध को लक्ष्य बनाकर समेकित बाल विकास एवं किशोरी सशक्तीकरण पर बल दिया जायेगा । इसी दृष्टि से अब ‘ बेटी बचाओ ‘ , ‘ बेटी पढ़ाओ ‘ और ‘ बेटी आगे बढ़ाओ ‘ का प्रचार – प्रसार किया जा रहा है । शिक्षण संस्थाओं में इसके लिए विशेष कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
5. उपसंहार
‘ बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ ‘ अभियान के प्रति हमारी सामाजिक जागरूकता आनी चाहिए और हमारी रूढ़िवादी सोच का परित्याग होना चाहिए । इस अभियान से बिगड़ते लिंगानुपात में परिवर्तन आयेगा और बेटियों को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त होगा । हम समझ जायेंगे कि बेटी घर का भार नहीं , घर की रोशनी ही होती है ।
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