गंगा जमुना की कहानी- एक गंगा और एक जमुना थी । दोनों बहनें एक साहूकार के खेत से जा रही थीं तब जमुना ने जौ के दाने तोड़ लिये तो गंगा ने कहा कि बहन तेरे तो ग्रहण लग गया । यह तो चोरी हो गई ।
तब जमुना बोली कि बहन अब ग्रहण कैसे धुलेगा ? तो गंगा ने कहा कि बारह वर्ष तक साहूकार के यहां नौकरी करे तब तेरा ग्रहण उत्तरेगा । बाद में जमुना साहूकार के यहां गई और बोली कि मुझे तो नौकरी पर रख लो , मैं तुम्हारे सारे काम कर दूंगी । परन्तु चार काम नहीं करू , एक तो झूठे बर्तन नहीं माझं , झाडू नहीं लगाऊं , बिस्तर नहीं बिछाके और दीया नहीं जलाऊं । फिर साहूकार ने उसे रख लिया ।
बारह वर्ष के पश्चात जब कुम्भ का मेला आया । तो साहूकारनी कुम्भ के मेले में जाने लगी तो जमुना ने उसको एक सोने का टका दिया और कहा कि वहां पर मेरी बहन को दे देना और कहानी कहना तेरी बहिन ने भेजा है । और वह गोरे – गोरे हाथ में हरी – हरी चूड़ियां पहन लेगी तो उसने वहां जाकर गंगाजी को सोने का टका दे दिया तो उसने हाथ पसार कर ले लिया और बोली मेरी बहन जमुना से कहना कि उसके बारह वर्ष पूरे हो गए हैं और जमुना सेठ बड़ा घर छोड़कर गंगा के पास चली गई और सेठ को खूब धन दिया