Homeकार्तिक मासधर्मराज जी की कहानी। dharmraj ji ki kahani(katha).

धर्मराज जी की कहानी। dharmraj ji ki kahani(katha).

धर्मराज जी की कहानी अनेक अवसरों पर सुनी जाती है धर्मराज दशमी, कार्तिक मास, वैशाख पूर्णिमा आदि में धर्मराज जी की कहानी सुनने का महत्व है। धर्मराज जी की कहानी को विशेष फलदाई माना गया है धर्मराज की कहानी(कथा) सुनने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

यहां विशेषतः सुनी जाने वाली धर्मराज जी की कहानी दी गई है तो आइए जानते हैं धर्मराज जी की कहानी (धर्मराज जी की कथा) –

धर्मराज जी की कहानी।dharmraj ji ki kahani.

धर्मराज जी की कहानी। dharmraj ji ki kahani(katha).
धर्मराज जी की कहानी। dharmraj ji ki kahani.

धर्मराज जी की कहानी प्राचीन समय की बात है एक नगर में दो सेठानियां रहती थी। बड़ी सेठानी के घर में बहुत धन था लेकिन वह कंजूस थी। छोटी सेठानी के घर में धन कम था लेकिन वह मन से बहुत दयालु और मददगार थी, वह स्वयं को धर्म के कार्य करने और लोगों की मदद करने में लगाए रखती थी।

वह रोज सवेरे गंगा स्नान करने के लिए जाती, तुलसी माता, बड़-पीपल सींचती , भगवान के मंदिर जाकर पूजा करती और धर्मराज जी की कहानी सुनती थी। जबकि बड़ी सेठानी यह सब देखकर हंसती थी और कहती थी कि पता नहीं दिन भर क्या फालतू काम करती रहती हैं। ऐसा करते-करते दिन बीतने लगे और सेठानियां वृद्ध हो गई तब भगवान के घर से बुलावा आया।

छोटी सेठानी को लेने के लिए धर्मराज जी ने अपना विमान भेजा जबकि बड़ी सेठानी को दूत मारते हुए ले जाने लगे। रास्ते में बड़ी सेठानी ने कहा कि मुझे भूख लगी है तब दूत बोले कि यदि तुमने जीवन में किसी को खाना खिलाया होगा तब ही तुम्हें खाना मिलेगा। थोड़ी देर बाद उसने फिर से कहा कि मुझे प्यास लगी है तब दूत बोले कि यदि तुमने जीवन में किसी को पानी पिलाया होगा तभी तुम्हें पानी नसीब होगा।

रास्ते में उसके काटे चुभने लगे और तेज गर्मी पड़ने लगी लेकिन दूत उसे घसीटते हुए ले गये। अब बड़ी सेठानी बहुत पछताने लगी की मेरे पास सब कुछ होते हुए भी दान धर्म नहीं किया। इतनी देर में धर्मराज जी का दरबार आ गया वहां जाकर उसने देखा कि छोटी सेठानी भगवान के पास सिंहासन पर बैठी थी।

उधर बड़ी सेठानी को तपते हुए कुंड में डाल दिया गया तब बड़ी सेठानी बोली कि मुझे सवा पहर का समय दीजिए मैं वापस आकर दंड भोग लूँगी। धर्मराज बोले ठीक है। बड़ी सेठानी के शरीर में वापिस प्राण डाल दिए गए। धरती पर आते ही उसने पंडितों को बुलाकर धर्मराज जी की कहानी सुनी और सब तरह के दान धर्म किए। इतने में समय पूरा हो गया।

अबकी बार बड़ी सेठानी को लेने धर्मराज जी का विमान आया। सवा पहर के दान धर्म और धर्मराज जी की कहानी सुनने से बड़ी सेठानी को स्वर्ग की प्राप्ति हुई। धर्मराज जी ने जैसी कृपा सेठानी पर की वैसी सब पर करना धर्मराज जी की कहानी सुनने वाले, कहने वाले, हुंकार भरने वाले और पूरे परिवार पर कृपा करना।

यह थी धर्मराज जी की कहानी (धर्मराज जी की कथा)। आशा है कि आप सभी को धर्मराज जी की कहानी पसंद आई होगी धन्यवाद।

यह भी पढ़ें – ॥ विनायक जी की कहानी

कार्तिक मास की कथा

लक्ष्मी माता की कहानी

पीपल पथवारी की कहानी

गणेश जी की खीर वाली कहानी

- Advertisment -