गणेश चतुर्थी व्रत कथा : जानिये गणेश चतुर्थी की कहानी(कथा)। ganesh chaturthi vrat katha.
गणेश चतुर्थी व्रत कथा - एक बार महादेव जी भोगावती नदी पर स्नान करने गए उनके चले जाने के बाद पार्वती माता ने अपने तन की मेल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाले। उसका नाम 'गणेश' रखा। पार्वती माता ने उससे कहा कि एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ और जब तक मैं नहा रही हूं किसी को अंदर मत आने देना।
बछ बारस माता की कहानी : बछ बारस की कहानी व बछ बारस व्रत...
बछ बारस की कहानी - एक साहूकार था जिसके सात बेटे थे। साहूकार ने एक तालाब बनवाया लेकिन बारह वर्षों तक भी वह तालाब नहीं भरा। साहूकार ने कुछ विद्वान पंडितों से पूछा कि इतने दिन हो गए लेकिन मेरा तालाब क्यों नहीं भरता है? तब पंडितों ने कहा कि तुम्हें तुम्हारे बड़े बेटे की या तुम्हारे बड़े पोते की बलि देना होगा तब ही यह तालाब भरेगा।
अजा एकादशी व्रत कथा। aja ekadashi vrat katha.
अजा एकादशी व्रत कथा - बहुत समय पहले एक दानी और सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र हुऐ। राजा हरिश्चंद्र इतने प्रसिद्ध सत्यवादी और धर्मात्मा थे कि उनकी कीर्ति से देवताओं के राजा इन्द्र को भी डाह होने लगी । इन्द्र ने महर्षि विश्वामित्र को हरिश्चन्द्र की परीक्षा लेने के लिये उकसाया । इन्द्र के कहने से महर्षि विश्वामित्र जी ने राजा हरिश्चन्द्र को योगबल से ऐसा स्वप्न दिखलाया कि राजा स्वप्न में ऋषि को सब राज्य दान कर रहे हैं ।
कृष्ण जन्माष्टमी की कहानी और जन्माष्टमी व्रत विधि।krishna janmashtami ki katha(janmashtami ki kahani)
जन्माष्टमी की कहानी - द्वापर युग में जब पृथ्वी पाप और अत्याचारों के भार से दबने लगी तो पृथ्वी गाय का रूप बनाकर सृष्टि करता विधाता ब्रह्मा जी के पास गई। सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए और ब्रह्मा जी को पृथ्वी की दुखांत कथा सुनाई। वहां उपस्थित सभी देवताओं ने निर्णय किया कि इस संकट के समाधान हेतु भगवान विष्णु के पास जाएंगे और सभी लोग पृथ्वी को साथ लेकर क्षीर सागर में भगवान विष्णु जी के पास पहुंचे।
सातुड़ी तीज की कहानी और पूजन की विधि,satudi teej ki kahani(satudi teej vrat katha).
सातुड़ी तीज की कहानी : एक साहूकार था। साहूकार की पत्नी पतिव्रता थी उस साहूकार का एक वेश्या से संबंध था। साहूकार के गलत पाप कर्मों के फल स्वरुप साहूकार के कोढ़ हो गया फिर भी उसने वेश्या के घर जाना नहीं छोड़ा। साहूकार ने अपनी पत्नी से कहा कि मुझे उस वेश्या के पास ले चलो साहूकार की पत्नी पतिव्रता थी इसलिए वह पति का कहना मान कर उसे उस वेश्या के पास ले गई।
नीमड़ी माता की कहानी।nimadi mata ki katha(kahani).
नीमड़ी माता की कहानी - एक सास और बहू थी। बहू के कोई संतान नहीं थी एक दिन सास और बहू अपनी पड़ोसन के घर गई तब उन्होंने देखा कि पड़ोसन के घर नीमड़ी माता की पूजा हो रही है तब सास ने अपनी पड़ोसन से पूछा कि नीमड़ी माता की पूजा करने से क्या होता है। पड़ोसन ने कहा कि नीमड़ी माता की पूजा और व्रत के दिन नीमड़ी माता की कहानी सुनने से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी होती है तब सास ने कहा कि यदि मेरी बहू गर्भवती हो जाएगी तो मैं नीमड़ी माता को सवा सेर का पिंड चढाउगी और भादुड़ी तीज का व्रत करूंगी।
भादवा की चौथ माता की कहानी। bhadwa ki chauth mata ki katha(kahani ).
भादवा की चौथ माता की कहानी - एक बुढ़िया माई के ग्वालिया - बछालिया नाम का बेटा था। बुढ़िया माई अपने बेटे के लिए बारह महीने की चारों चौथ करती थी। बेटा लकड़ी लेकर आता था और दोनों मां बेटा उनको बेचकर गुजारा करते थे। बुढ़िया माई रोजाना लकड़ी में से दो लकड़ी रख लेती और चौथ के दिन बेटे से छुप कर बेचकर सामान लाती थी और पांच पुआ बनाती थी।
गाज माता की कहानी। Gaaj mata ki kahani.
गाज माता की कहानी - पुराने समय की बात है एक नगर के राजा और रानी को कोई संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण वे हमेशा दुखी रहते थे। महारानी गाज माता की भक्ति 1 दिन रानी ने कहा कि हे गाज माता यदि मेरे गर्भ रहता है तो मैं आपके हलवा और पूरी की कढ़ाई कर दूंगी। गाज माता ने अपने भक्तों की बात सुनी और उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया।