गणगौर राजस्थान और मध्यप्रदेश का त्यौहार है जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तीज को आता है। इस दिन को कुंवारी कन्याऐ और विवाहित महिलाएं शिवजी(ईसर) और पार्वती जी(गौरा) की पूजा करती है। पूजन के समय गणगौर के गीत गाए जाते हैं और धूमधाम से पूजन कर भोग लगाया जाता है।
गणगौर का पूजन कर कुंवारी कन्याऐ मनपसंद वर की प्राप्ति हेतु कामना करती है और विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करती हैं। यहां गणगौर के गीत दिए गए हैं जो पूजन के समय गाए जाते हैं।
गणगौर के गीत। gangaur ke geet.
गणगौर पूजने का गीत

दूब लाने का गीत

मिट्टी लाने का गीत

गणगौर पूजने का गीत

गौर – गौर गोमनी , ईसर पूजे पार्वती , पार्वती का आला – गीला , गौर का सोना का टीका , टीका दे टमका दे रानी , व्रत करियो गौरा दे रानी । करता – करता आस आयो , वास आयो । खेरे – खाण्डे लाड़ू ल्यायो , लाड़ू ले वीरा न दियो , वीरो ले मने चूँन्दड़ दीनी , चून्दड़ ले मने सुहाग दियो । वीरो ले मने पाल दी , पाल को मैं बरत करयो । सन – मन सोला , सात कचौला , ईसर गौरा दोन्यू जोड़ा । जोड़ जवाराँ गेहूँ ग्यारह , रानी पूजे राज में । मैं म्हाके स्वाग में , रानी को राज घटतो जाय , म्हाको स्वाग बढ़तो जाय । कीड़ी कीड़ी कीड़ी ले , कीड़ी थारी जात ले । जात ले गुजरात ले , गुजरात्यां रो पाणी , देदे तम्बा ताणी , ताणी में सिंघाड़ा , बाड़ी में बिजोरा । म्हारो बाई एमल्यो , पेमल्यो म्हारो बाई एमल्यो सेमल्यो , सिघाड़ाल्यो , झर झरती जलेबी ल्यो , नी भावे तो और ल्यो , सोई ल्यो । ( यह आठ बार बोले ) अंत में एक ल्यो , दो ल्यो , तीन ल्यो , चार ल्यो , पाँच ल्यो , छः ल्यो , सात ल्यो और आठ ल्यो ।