Homeभाद्रपद मासगाज माता की कहानी। Gaaj mata ki kahani.

गाज माता की कहानी। Gaaj mata ki kahani.

भाद्रपद या भादवा के महीने में की जाने वाली गाज माता की पूजा और व्रत के समय गाज माता की कहानी सुनी जाती है। गाज माता की कहानी सुनने से व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है और गाज माता की कृपा बनी रहती है। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं गाज माता की दो कहानियां आप व्रत के दिन इनमें से कोई भी गाज माता की कथा पढ़ सकते हैं।

गाज माता की कहानी , Gaaj mata ki kahani(katha).

गाज माता की कहानी। Gaaj mata ki kahani
गाज माता की कहानी।

गाज माता की कहानी – पुराने समय की बात है एक नगर के राजा और रानी को कोई संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण वे हमेशा दुखी रहते थे। महारानी गाज माता की भक्ति करती थी। एक दिन रानी ने कहा कि हे गाज माता यदि मेरे गर्भ रहता है तो मैं आपके हलवा और पूरी की कढ़ाई कर दूंगी। गाज माता ने अपने भक्तों की बात सुनी और उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया।

कुछ दिनों पश्चात महारानी के एक लड़का हुआ पर वह कढ़ाई करना भूल गई। इससे गाज माता रूष्ट हो गई और गाज माता ने सोचा कि महारानी तो मुझे भूल गई है और 1 दिन रानी का लड़का पालने में सोया हुआ था तब एक भयंकर गरजती हुई बादली आई और महारानी के लड़के को उठाकर अपने साथ ले गई।

बादली ने लड़के को जंगल में छोड़ दिया उस तरफ से एक भील और भीलनी जंगल से गुजर रहे थे तो उन्होंने पालने में एक छोटे बालक को सोते हुए देखा। भील और भीलनी के भी कोई बच्चा नहीं था इसलिए वह बच्चे को देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गए और उसे अपने साथ ले गए।

उसी नगर में एक धोबी रहता था जो राजा के भी कपड़े धोता था और भील के भी कपड़े धोता था। जब वह धोबी राजा के महल में गया तो उसने देखा कि वहां शोर हो रहा था की गाज माता महारानी के लड़के को उठाकर ले गई तब धोबी ने कहा कि आज उसने एक लड़के को भील के घर पर पालने में सोते हुए देखा था।

जब राजा को यह बात पता चली तो उसने तुरंत भील को अपने महल में बुलवाया और भील से पूछा कि तेरे घर में लड़का कहां से आया तब भील बोला मैं गाज माता का व्रत करता था तो मुझे गाज माता ने बेटा दिया है। इस पर राजा और रानी को याद आया कि हमने गाज माता को कढ़ाई करने के लिए बोला था लेकिन हमने कढ़ाई नहीं की।

इस कारण गाज माता ने हमसे हमारा बेटा ले लिया। तब महारानी ने कहा कि हे गाज माता मेरा बेटा मुझे वापस दे दो। मैंने जितनी कड़ाई के लिए कहा था उससे दुगनी कड़ाई करूंगी और गाजा माता का खूब धूमधाम से उजमन किया। तब गाज माता ने प्रसन्न होकर उनका लड़का वापिस ला दिया। भील और भीलनी के यहां भी बहुत धन दौलत और एक सुंदर से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

तब सारे शहर में महाराज ने ढिंढोरा पिटवा दिया कि जब भी लड़का या शादी हो तो गाज माता का उजमन करें। गाज माता ने जैसे रानी को लड़का दिया भील भीलनी को धन और पुत्र दिया वैसे ही सबको देना। गाज माता की कहानी कहने वाले को, गाज माता की कहानी सुनने वाले को, हांमी भरने वाले को और पूरे परिवार के सब के दुख दूर करना।

हम आशा करते हैं कि आपको गाज माता की कहानी (गाज माता की कथा) पसंद आई होगी धन्यवाद।

यह भी पढे – बिंदायक जी की कहानी

- Advertisment -