हिंदुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल एकम को हिंदू संस्कृति व धर्म के अनुसार होता है। इसी दिन नवरात्रि स्थापना भी होती है।सभी व्यापारी वर्ग नवीन वर्ष में नई बही खाते का प्रारंभ करते हैं। एकम से राम नवमी तक नौ दिन के नवरात्र होते हैं।
नौ दिन तक रामायण का पाठ करना चाहिए। यदि आप स्वयं न कर सके तो ब्राम्हण से करा लें।
नौ दिन तक रामचंद्र जी और रामायण की पूजा की जाती है।जल,रोली, मोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, कपूर, सुपारी, पान, लोंग,इलाइची, फल, दक्षिणा एवं प्रसाद चढ़ाएंऔर पूजा करें। जितनी देर रामायण का पाठ करें उतनी देर दीपक को प्रज्वलित ही रखें।
जानिए कैसे करते हैं नवरात्रा में पूजा

एक पाटे पर देवी की तस्वीर रखते हैं, उसके पास एक अन्य पाटे पर सुपारी व मौली लपेटकर गणेश जी की स्थापना करते हैं। एक पाटे पर श्वेत वस्त्र बिछाकर नौ स्थानों पर चावल की मुट्ठी बनाकर रखें, और नवग्रह की पूजा करें। और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर गेहूं से सोलह मुट्ठी बनाकर षोडश मातृका बनाकर उसकी पूजा करें। इन सब के निकट ही एक मिट्टी का गमला लेकर उसमें ज्वारे उगाते हैं। ज्वारे उगाने के लिए पीली मिट्टी में जौ डाले और सींचे।
एक छोटा ताम्र कलश लेकर उस पर श्रीफल पर मोली लपेटकर उसे क्लस पर स्थापित करें। क्लस में शुद्ध जल भरकर चारों और पांच आम की पत्ती लगाकर मध्य में श्रीफल को रखें। इन सभी की नौ दिन तक पूजा करें।पूजन के थाल में जल, कलश, मोली,रोली, अक्षत, पुष्प, सिंदूर ,कपूर, धूप ,दीप, लाल रंग के पुष्प, प्रसाद अर्थात नैवेद्य, पान ,सुपारी, लोंग, इलाइची, फल, दक्षिणा ,ध्वजा और वस्त्र चढ़ाकर लड्डू या हलवे से भोग चढ़ाएं।
गोबर के कंडे को जलाकर उस पर घी व धूप डालकर जोत जलाए। श्री दुर्गा माता की मूर्ति या छवि को चुनरी ओढ़ावे एवं प्रतिदिन अंबे माता जी की आरती करें। दुर्गा मैया का पाठ करें और नौ दिन तक ब्राह्मण को या कुंवारी कन्या को भोजन कराएं।जो भी व्यक्ति नवरात्रि के व्रत करें वह नौ दिनों तक प्रतिदिन एक ही समय भोजन करें।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
दुर्गा माता के नौ रूप
