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baglamukhi jayanti 2021 , जानिए कब है बगलामुखी जयंती , शुभ मुहूर्त पूजा विधि

मां बगलामुखी की पूजा अर्चना करने से समस्त संकट वह परेशानियों का निवारण होता हे आने वाले संकटों का विनाश होता है

Baglamukhi  jayanti 2021 timing ,बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त

बगलामुखी जयंती 20 मई, गुरुवार को है.

बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त : 20 मई (11 बजकर 50 मिनट 24 सेकंड से 12 बजकर 45 मिनट 02 सेकंड तक)

Maa Baglamukhi Puja Vidhi , मां बगलामुखी पूजा विधि

यदि आप किसी बाधा में फँसे हैं तो देवी के सामने पीली हल्दी का ढेर इकट्ठा करें और उस पर दीपक का दान करें। पीले वस्त्र भी अर्पित करें। इससे सबसे बड़ी बाधा भी नष्ट हो जाती है।

मां की पूजा का समय रात के समय होता है। रात के समय देवी की पूजा करने से पहले मन ही मन प्रार्थना करें कि आपके कष्टों से मुक्ति मिल जाए। किसी भी कार्य की विशेष सिद्धि के लिए शाम के समय ही देवी की पूजा करें।

माता बगलामुखी पीताम्बरा भी हैं। इसलिए इनकी पूजा में हमेशा पीली चीजों का प्रयोग करें। पीले फूल, फल और प्रसाद चढ़ाएं। नारियल चढ़ाने से देवी प्रसन्न होती हैं।
हल्दी या पीले कांच की माला से आठ मनकों ‘m हिनिन बगुलामुखी देवाय हिं ओम नमः’ का जाप करें। फिर इस मंत्र का जाप करें। ‘हं बगलामुखी सर्व विलामनं वचनं मुख पदम स्तम्भय जिहवां किलम विद खराब होने वाली हम्मी है स्वाहा।’

माँ बगलामुखी मंत्र | Bagalamukhi Mantra

श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa):

|| श्री गणेशाय नमः ||
श्री बगलामुखी चालीसा
नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल |
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ||
नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी | 1|
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी |2 |
अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा |3 |
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना |4 |
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे |5 |
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला |6 |
भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई |7 |
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा |8 |
तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी |9 |
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी |10 |
सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे |11 |
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन |12 |
दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता |13 |
साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता |14 |
मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी |15 |
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी |16 |
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को |17 |
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके |18 |
चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे |19 |
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे |20 |
मूठ आदि अभिचारण संकट । राजभीति आपत्ति सन्निकट |21|
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे |22 |
सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे |23 |
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर|24|
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी |25 |
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक |26 |
तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें |27 |
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता|28|
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता | 29 |
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी |30|
जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई |31 |
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो|32|
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी |33|
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया |34 |
जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा |35 |
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता |36 |
सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता |37|
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो |38|
नमो महाविधा आगारा,आदि शक्ति सुन्दरी आपारा |39 |
अरि भंजक विपत्ति की त्राता , दया करो पीताम्बरी माता | 40 |
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं , अरि समूल कुल काल |
मेरी सब बाधा हरो , माँ बगले तत्काल ||

Baglamukhi Aarti (माता बगलामुखी आरती):

जय जयति सुखदा, सिद्धिदा, सर्वार्थ – साधक शंकरी।
स्वाहा, स्वधा, सिद्धा, शुभा, दुर्गानमो सर्वेश्वरी ।।
जय सृष्टि-स्थिति-कारिणि-संहारिणि साध्या सुखी।
शरणागतो-अहं त्राहि माम् , मां त्राहि माम् बगलामुखी।।

जय प्रकृति-पुरूषात्मक-जगत-कारण-करणि आनन्दिनी।
विद्या-अविद्या, सादि-कादि, अनादि ब्रह्म-स्वरूपिणी।।
ऐश्वर्य-आत्मा-भाव-अष्टम, अंग परमात्मा सखी।
शरणागतो-अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।

जय पंच-प्राण-प्रदा-मुदा, अज्ञान-ब्रह्म-प्रकाशिका।
संज्ञान-धृति-अज्ञान-मति-विज्ञान-शक्तिविधायिका ।।
जय सप्त-व्याहृति-रूप, ब्रह्म विभू ति शशी-मुखी ।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।

आपत्ति-अम्बुधि अगम अम्ब! अनाथ आश्रयहीन मैं।
पतवार श्वास-प्रश्वास क्षीण, सुषुप्त तन-मन दीन मैं।।
षड्-रिपु-तरंगित पंच-विष-नद, पंच-भय-भीता दुखी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।

जय परमज्योतिर्मय शुभम् , ज्योति परा अपरा परा।
नैका, एका, अनजा, अजा, मन-वाक्-बुद्धि-अगोचरा।।
पाशांकुशा, पीतासना, पीताम्बरा, पंकजमुखी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।

भव-ताप-रति-गति-मति-कुमति, कर्त्तव्य कानन अति घना।
अज्ञान-दावानल प्रबल संकट विकल मन अनमना।।
दुर्भाग्य-घन-हरि, पीत-पट-विदयुत झरो करूणा अमी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।

हिय-पाप पीत-पयोधि में, प्रकटो जननि पीताम्बरा!।
तन-मन सकल व्याकुल विकल, त्रय-ताप-वायु भयंकरा।।
अन्तःकरण दश इन्द्रियां, मम देह देवि! चतुर्दशी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।

दारिद्रय-दग्ध-क्रिया, कुटिल-श्रद्धा, प्रज्वलित वासना। वासना।
अभिमान-ग्रन्थित-भक्तिहार, विकारमय मम साधना।।
अज्ञान-ध्यान, विचार-चंचल, वृत्ति वैभव-उन्मुखी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।