साइलेंट वैली यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल नीलगिरी जैवमंडल का एक हिस्सा है। केरल के पलक्कड़ में स्थित साइलेंट वैली एक ऐसी जगह है जो खूबसूरती से लेकर खूंखार पशु पक्षियों का गढ़ है। यहां पेड़ पौधों फूलो की कई वैरायटीया देखने को मिलती है। इस जंगल को 1847 में एक ब्रिटिश वनस्पति शास्त्री रॉबर्ट वाइट के द्वारा खोजा गया था। यहां के स्थानीय लोग साइलेंट वैली को सैरन्ध्रीवनम कहते हैं। सेरंध्री द्रौपदी का नाम है। कहते हैं कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां पर आकर रुके थे। यहां हरे रंग की रोलिंग पहाड़ियों पर उष्ण कटिबंधीय कुंवारी जंगलों का विस्तार है जो देखने अत्यधिक मनोरम लगते हैं। यहां की प्रमुख नदियों में से एक कुंतीपुझा है।

इसे साइलेंट वैली कहने के पीछे सबसे बड़ा कारण यहां की अजीब व असीम प्राकृतिक शांति है। तो आइए जानते हैं साइलेंट वैली से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।
साइलेंट वैली कहां स्थित है।
साइलेंट वैली केरल के पलक्कड़ जिले में स्थित है। साइलेंट वैली नेशनल पार्क पलक्कड़ जिले के उत्तरी पूर्वी छोर पर स्थित है जो 238 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। तथा उत्तर की ओर नीलगिरी पठार में अनियमित ढंग से फैला हुआ है। और दक्षिण में मन्नारक्काड के मैदानी इलाकों तक पसरा हुआ है। नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान की हृदय स्थली है।

क्यों प्रसिद्ध है साइलेंट वैली।
साइलेंट वैली की सबसे खास बात यह है कि यहां प्रकृति के साथ ना के बराबर छेड़छाड़ की गई है। यहां जाने के पश्चात आपको अजीब तथा असीम प्राकृतिक शांति का अनुभव होता है। जीव विज्ञान के विद्यार्थियों वैज्ञानिकों तथा प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्वर्ग के समान स्थान है। यहां पर चारों और केवल प्राकृतिक दृश्य ही देखने को मिलते हैं अप्राकृतिक कुछ भी नहीं है। क्योंकि यहाँ और प्रकृति के साथ बिल्कुल भी छेड़छाड़ नहीं की गई। एक बार बिजली परियोजना लाई गई थी लेकिन ग्रामीणों के विरोध के पश्चात उसे बंद कर दिया गया। यहां 1000 से भी ज्यादा प्रकार के फूलों के पौधौ की प्रजातियां, 110 प्रकार के आर्किड , 34 से अधिक स्तनधारी प्रजातियां, 200 से अधिक किस्मों की तितलियां तथा 400 से अधिक किस्मों के शलभ, 128 किस्मों के भृंग जिनमें से 10 तो जीव विज्ञान के लिए बिल्कुल नये हैं। तथा 16 प्रजातियों के पक्षियों सहित चिड़ियों की 150 प्रजातियां पाई जाती है। यहां पर स्थित कुंती नदी समुंदर तल से 2000 मीटर की ऊंचाई से बहती हुई घाटी में संकुचित मार्ग से नीचे आती है इस नदी का पानी कभी भी गंदा नहीं होता अर्थात मटमैला नहीं होता यह हमेशा कांच की तरह साफ तथा पारदर्शी रहता है। यहां का वातावरण हमेशा ठंडा रहता है इस कारण गर्मियों में भी बरसात होती है।

बेहद मुलायम उष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षावन मैं कई प्रकार के जीव जंतु तथा पेड़ पौधे पाए जाते हैं। इनमें से कुछ तो दुनिया में कहीं नहीं मिलते। अगर आप वेकेशन पर जाना चाहते हैं तो आपके लिए बहुत अच्छा ही स्थान है जहां पर प्रकृति के अनेक मनोरम तथा सुंदर दृश्य देखने को मिलते हैं।यह यहां के राष्ट्रीय उद्यान की हृदय स्थली हैं। यहां हरे रंग की रोलिंग पहाड़ियों पर उष्णकटिबंधीय कुंवारी जंगलों का विस्तार है।जो मनोरम दृश्य का अनुभव कराती हैं।

साइलेंट वैली मैं कैसे पहुंचे।
साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान में पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन पलक्कड़ है। जो यहां से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित है। और अगर आप हवाई यात्रा से जाना चाहते हैं तो साइलेंट वैली से सबसे निकटतम हवाई अड्डा तमिलनाडु का कोयंबटूर है। जो साइलेंट वैली से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित है।