अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस – संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक , वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन ( यूनेस्को ) के महासम्मेलन में नवम्बर 1999 को ‘ अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस ‘ मनाने की घोषणा की गई । इसके अगले वर्ष यानी 21 फरवरी 2000 से हर वर्ष इसे मनाया जाता है । भाषा विशेष रूप से मातृभाषा , परिवार और समाज के भीतर संचार का एक माध्यम है । भाषा हमारी सांस्कृतिक परम्पराओं को जीवित रखती है । यह हमारे ज्ञान और अतीत को संरक्षित रखता है ।
आज दुनिया की 6000 से 7000 भाषाओं में से आधी खत्म होने के कगार पर है । मातृभाषा को महत्व प्रदान करने तथा उन्हें जीवित रखने के लिए ही यूनेस्को का यह प्रयास दिवस के रूप में सामने आया है । अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषा को बढ़ावा मिलना चाहिए।
यूनेस्को द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा से बांग्लादेश का भाषा आन्दोलन दिवस स्वीकृत हुआ जो कि बांग्लादेश मे सन 1952 से मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने सन 2008 को अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर दोहराया है।
सम्पूर्ण विश्व मे 40 प्रतिशत आबादी भी उस भाषा में शिक्षा तक पहुंच नहीं है जिसे वे बोलते या समझते हैं। लेकिन इसके महत्व की बढ़ती समझ के साथ, विशेष रूप से प्रारंभिक स्कूली शिक्षा में, और सार्वजनिक जीवन में इसके विकास के लिए अधिक प्रतिबद्धता के साथ बहुभाषी शिक्षा में प्रगति की जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस यह स्वीकार करता है कि भाषाएँ और बहुभाषावाद समावेश को आगे बढ़ाते हैं, और सतत विकास और लक्ष्य को पीछे नहीं छोड़ने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, एक विशेष दिन।international mother language day is a special day.

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर एक प्रसिद्ध दोहा भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रसिद्ध कविता निज भाषा से लिया गया है जो कि प्रेरणास्रोत है। इस दोहे को हिन्दी से जुड़े आंदोलनों और घटनाओं में प्रेरणा स्रोत के रूप में अनगिनत बार उद्धृत किया गया है।
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।
भावार्थ:
निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है। मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है। विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान,सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये।
नेल्सन मंडेला ने कहा था, ‘यदि आप किसी व्यक्ति से उस भाषा में बात करते हैं जिसे वह समझता है, तो यह उसके दिमाग में चली जाती है। अगर आप उससे उसकी भाषा में बात करते हैं, तो बात उसके दिल तक जाती है। उपस्थित सभी भाषाओं में से कम से कम 43 प्रतिशत लुप्तप्राय हैं और विश्व की 100 से भी कम भाषाएँ डिजिटल दुनिया में उपयोग की जाती हैं।
अधिकांश इंटरनेट संचार निम्नलिखित भाषाओं में से एक में है: English,German,Chinese,Spanish,Portuguese, Indonesian, Malay, Japanese, Russian and Arabic । लेकिन हर किसी को अपनी मातृभाषा का उपयोग करने का अधिकार है, और अपनी भाषा का प्रतिनिधित्व करने वाली परंपराओं और सोचने के तरीकों को रखने का अधिकार है और यही अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है।
अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, पहली भाषा के आधार पर बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देता है। यह एक प्रकार की शिक्षा है जो उस भाषा में शुरू होती है जिसमें सीखने वाला सबसे अधिक कुशल होता है और फिर धीरे-धीरे अन्य भाषाओं का परिचय देता है या अन्य भाषाओ का ज्ञान प्राप्त करता है। यह दृष्टिकोण उन शिक्षार्थियों को सक्षम बनाता है जिनकी मातृभाषा स्कूल की भाषा से अलग है।
घर और स्कूल के बीच की खाई को बांटने के लिए, एक परिचित भाषा में स्कूल के माहौल की खोज करने के लिए, और इस तरह बेहतर सीखते हैं। बहुभाषावाद समावेशी समाजों के विकास में योगदान देता है जो कई संस्कृतियों और ज्ञान प्रणालियों को सह-अस्तित्व और पार-निषेचन की अनुमति देता है। मातृभाषा-आधारित बहुभाषी शिक्षा उन जनसंख्या समूहों के लिए सीखने की और समावेश की सुविधा प्रदान करती है जो गैर-प्रमुख भाषाएँ बोलते हैं, अल्पसंख्यक समूहों की भाषाएँ, और स्वदेशी भाषाएँ बोलते हैं।
यह थी अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की जानकारी। आशा है, आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, धन्यवाद।
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