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शवासन। शरीर की थकान मिटा कर शक्ति को पुनः संचित करता है शवासन।

विधि :

विधि : ‘ शव ‘ का अर्थ है मुर्दा। इस आसन में शरीर की स्थिति मृत्यु प्राप्त शरीर के जैसी हो जाती है । प्रत्येक अंग शिथिल हो जाता है । इस आसन में पीठ के बल लेट जाएं , दोनों पाँवों को एड़ियों के बीच थोड़ा – सा फासला होना चाहिए , दोनों हाथों की हथेलियां आकाश की ओर खुली रहनी चाहिए । सिरो भाग सीधा व आँखें बन्द होनी चाहिए । पहले पाँवों को ढीला छोड़ें तथा इसी तरह पूरे शरीर को ढीला छोड़ते हुए मन को घुमाते हुए तथा अन्त में ललाट पर लाकर मन को छोड़ दीजिये और शान्त हो जाइये ।

शवासन। शरीर की थकान मिटा कर शक्ति को पुनः संचित करता है शवासन।
शवासन

लाभ। शवासन करने के फायदे।

1. उच्च व निम्न रक्त प्रवाह को ठीक करता है।

2. विकृत मस्तिष्क को अपने स्वाभाविक रूप में लाता है।

3. शवासन करने से एकाग्रता बढ़ती है तथा मन शांत होता है।

4. यह आसन शरीर में पढ़ने वाले तनाव को दूर करने में भी लाभदायक है।

5. यह शरीर की थकान मिटा कर शरीर में पुनः ऊर्जा का संचार करता है।

सावधानी। शवासन करते समय सावधानी।

निद्रा में न जाएँ , वरना इस आसन को करने से कोई लाभ नहीं होगा । शवासन के दौरान श्वास की गति और निरन्तरता को एक रूप बनाए रखना आवश्यक है यह आसन तभी लाभप्रद है जब आप चिन्ता विषाद और क्रोध से पूर्ण मुक्त हों ।

समय। शवासन की अवधि।

यह आसन कम से कम पाँच मिनट तक करना चाहिए । आसनों के बीच में करना हो तो एक मिनट ही करना चाहिए ।

विशेष।

आसनों में लगी शक्ति इस आसन के करने से पुन : संचित होती है । आसनों से शरीर पर पड़ने वाला तनाव दूर होता है । प्रारम्भ में इस आसन को प्रत्येक आसन के बाद करना चाहिए ताकि आसन की थकान मिटती जाए । जब आप अभ्यस्त हो जाएँ तब इसे सभी आसनों के अन्त में करें । देखने में यह आसन बहुत साधारण लगता है लेकिन कुछ श्रेष्ठ आसनों में गिना जाता है । निरन्तर अभ्यास से ही इस आसन को परिष्कृत बनाया जाता है । समय : यह आसन कम से कम पाँच मिनट तक करना चाहिए । आसनों के बीच में करना हो तो एक मिनट ही करना चाहिए ।