
हड़बूजी राजस्थान के पंच पीरो में शामिल है। यह हिंदू तथा मुस्लिम दोनों के द्वारा पूजनीय हैं।
हड़बूजी का जन्म भूंडेल नागौर में हुआ था उनके पिता का नाम मेहा जी सांखला थे यह सांखला वंश के राजपूत थे।
हड़बूजी रामदेव जी के मौसेरे भाई थे तथा इनके तथा रामदेव जी के गुरु योगी बालीनाथ थे जो मसूरिया की पहाड़ियां जोधपुर में निवास करते थे।
हड़बूजी शगुन शास्त्र के महान ज्ञाता थे। मंडोर के राजा रणमल की मेवाड़ के राणा कुंभा ने 1438 में हत्या कर दी। तथा मंडोर पर अपना अधिकार कर लिया इसके पश्चात उनका पुत्र राव जोधा हड़बूजी की शरण में आता है हड़बूजी ने राव जोधा को आशीर्वाद और कटार भेंट की।
हड़बूजी के आशीर्वाद से राव जोधा मंडोर अभियान में सफल होता है और मंडोर को राणा कुंभा से जीत लेता है। जहां 1459 में मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाता है।
हड़बूजी के आशीर्वाद से मंडोर अभियान में सफल होने के बाद राव जोधा हड़बूजी को बेंकटी गांव भेंट में देते हैं।
हड़बूजी सांखला अपंग गायों की सेवा किया करते थे उनके पास एक गाड़ी थी जिसमें वह अपंग गायों को बिठा कर लाते थे।हड़बूजी का वाहन सियार को माना जाता है।
भुंडेल नागौर में ही हड़बूजी का मंदिर बना हुआ है इनके मंदिर का पुजारी सांखला वंश का राजपूत ही होता है।
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