नीमड़ी माता की कहानी सातुड़ी तीज या कजली तीज को सुनते हैं इसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन नीमड़ी माता की कहानी और सातुड़ी तीज की कहानी सुनी जाती है। यहां दो नीमड़ी माता की कहानी दी गई है जिनको व्रत के दिन सुना जाता है और व्रत पूर्ण किया जाता है आप इनमें से कोई भी नीमड़ी माता की कहानी व्रत के दिन सुन सकते हैं तो आइए जानते हैं नीमड़ी माता की कहानी (nimadi mata ki katha).
नीमड़ी माता की कहानी। nimadi mata ki kahani.
नीमड़ी माता की कहानी – एक सास और बहू थी। बहू के कोई संतान नहीं थी एक दिन सास और बहू अपनी पड़ोसन के घर गई तब उन्होंने देखा कि पड़ोसन के घर नीमड़ी माता की पूजा हो रही है तब सास ने अपनी पड़ोसन से पूछा कि नीमड़ी माता की पूजा करने से क्या होता है। पड़ोसन ने कहा कि नीमड़ी माता की पूजा और व्रत के दिन नीमड़ी माता की कहानी सुनने से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी होती है तब सास ने कहा कि यदि मेरी बहू गर्भवती हो जाएगी तो मैं नीमड़ी माता को सवा सेर का पिंड चढाउगी और भादुड़ी तीज का व्रत करूंगी।
कुछ दिनों के बाद बहू गर्भवती हो गई। तब उसके सास ने कहा कि यदि मेरी बहू के लड़का हो जाए तो मैं सवा पांच सेर का पिंडा चढाऊंगी। तब उसकी बहू ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। जब अगले साल तीज आई तो सास ने पुनः कह दिया की जब इसका विवाह हो जाएगा तब सवा मन का पिंडा चढ आऊंगी।
कुछ दिनों बाद उस लड़के का विवाह भी हो गया जब तीज का त्योहार आया तो सास बहू दोनों अपनी नई बहू को लेकर नीमड़ी माता की पूजा करने गई। सब लोगों ने तो पूजा कर ली लेकिन जब ये दोनो पूजा करने लगी तो नीमड़ी माता दूर की खिसक गई। यह जितना पास जाती नीमड़ी माता उतनी ही दूर खिसक जाती।
जब नीमडी माता ने उनकी पूजा स्वीकार नहीं की तब कुछ औरतों ने उनसे कहा कि आपने नीमड़ी माता को कुछ चढ़ाने के लिए बोला है क्या तब सास ने कहा कि हां बोला तो था तब उन औरतों ने कहा कि पहले बोली हुई इच्छा पूरी करो तब ही नीमडी माता पूजा स्वीकार करेगी। तब सास और बहू ने घर जाकर सवा मन का पिंडा बनाया और गाजे-बाजे के साथ गीत गाते हुए नीमड़ी माता की पूजा की नीमड़ी माता की कहानी सुनी।
है नीमड़ी माता जैसे बहू को पुत्र दिया और कृपा की वैसी कृपा सभी पर करना। नीमड़ी माता की कहानी कहने वाले को, नीमड़ी माता की कहानी सुनने वाले को, और पूरे परिवार को देना।
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