छोटे भाई को पत्र ( पारिवारिक पत्र )

भरतपुर दिनांक : 20 अगस्त , 20 ..
प्रिय अनुज नगेन्द्र ,
शुभाशीष !
अभी कुछ दिन पूर्व तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ । उसमें तुमने लिखा कि तुम्हारा मन बीकानेर में कम लगता है । यह निश्चित है कि राजस्थान में बीकानेर की जलवायु गर्म है । अपने यहाँ भरतपुर की जलवायु ज्यादा अच्छी है । इस कारण तुम्हें वहाँ परेशानी भी हो रही है । परन्तु यह सूत्र याद रखना कि संघर्ष व कठिन परिश्रम से सफलता मिलती । वहाँ पर अपने ननिहाल में रहकर तुम्हें अधिक से अधिक अध्ययन करना चाहिए । प्रारम्भ से ही अध्ययन करोगे तो परीक्षा के टेस्टों में अच्छे नम्बर आएँगे तथा वार्षिक परीक्षा में भी अच्छे नम्बर प्राप्त करके प्रथम श्रेणी बना लोगे । निश्चित कार्यक्रम बनाकर सुबह से सायंकाल तक अपने समय का सदुपयोग करो । पढ़ाई के साथ थोड़ा खेलकूद एवं व्यायाम भी आवश्यक है । यह अच्छी बात है कि तुम्हारे विद्यालय में खेलकूद अनिवार्य कर रखे हैं ।
अन्त में मैं यही कहता हूँ कि कक्षा में ध्यान लगाकर सुनना तथा पढ़ाये हुए पाठ को अच्छी तरह से पढ़कर याद करना । गुरु के प्रति श्रद्धा तथा नियमित अध्ययन से विद्यार्थी उत्तम ज्ञान प्राप्त करता है । वहाँ नाना व नानी तथा मामाजी को मेरी ओर से प्रणाम कहना । पत्र देना ।
तुम्हारा शुभेच्छु ,
श्यामलाल
पिता को पत्र
राधा विहार , जयपुर ।
दिनांक : 22 फरवरी , 20 ..
पूजनीय पिताजी , सादर चरण स्पर्श !
मैं यहाँ पर सकुशल हूँ और आपकी सपरिवार कुशलता के लिए ईश्वर से सदैव प्रार्थना करता हूँ ।
आपका भेजा हुआ पत्र तथा मनीआर्डर दोनों एक ही दिन मिले हैं । इस समय मेरी पढ़ाई अच्छी तरह से चल रही है । अब वार्षिक परीक्षा के लिए लगभग एक माह रह गया है । मैं आजकल सभी विषयों का नियमित प्रातःकाल अध्ययन कर रहा हूँ । अंग्रेजी और हिन्दी की तीन बार आवृत्ति कर चुका हूँ । सामान्य विज्ञान और सामाजिक ज्ञान का कोर्स भी दो बार पूरा कर लिया है । अब गणित की विशेष तैयारी में लगा हुआ हूँ । आजकल मैं रात में साढ़े दस बजे तक पढ़ता हूँ और फिर सो जाता हूं , और चार बजे उठकर अध्ययन करने लग जाता हूँ । इस तरह मेरा अध्ययन – क्रम नियमित चल रहा है और आपके आशीर्वाद से मुझे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने की पूर्ण आशा है
आप मेरी चिन्ता न करें , मैं परीक्षा के बाद ही आपके पास आ जाऊँगा । पूज्य माताजी को चरण – स्पर्श तथा सुनीता व सुनील को प्यार ।
कुशल पत्र की प्रतीक्षा में ,
आपका आज्ञाकारी पुत्र
रमेश
बड़े भाई को पत्र
अजमेर दिनांक :
5 अगस्त , 20 ……
आदरणीय भाई साहब ,
सादर प्रणाम !
में यहाँ सकुशल हूँ और आपकी कुशलता की ईश्वर से सदैव प्रार्थना करता हूँ । मैंने पिछले सप्ताह आपको पत्र भेजा था , तब तक माताजी की तबीयत ठीक थी , परन्तु अचानक ही पिछले चार दिन से माताजी की तबीयत खराब हो गई है । इन्हें तेज बुखार है और पीठ एवं पेट में दर्द बता रही हैं । मैं लगातार तीन दिन से इन्हें डॉक्टर के पास ले जा रहा हूँ और दवा भी दे रहा हूँ परन्तु इनके स्वास्थ्य की स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है । अपने पड़ोस के डॉक्टर साहब की राय है कि इन्हें किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराना पड़ेगा और इनकी आँतों पर आई सूजन का इलाज करवाना होगा । इस कारण आप पत्र मिलते ही अवकाश लेकर आ जावें , तभी इनका सही इलाज सम्भव हो सकेगा
माताज़ी अस्वस्थता की हालत में बार – बार आपको याद कर रही हैं । भाभीजी को मेरा प्रणाम तथा बच्चों को प्यार आपके आगमन की प्रतीक्षा में ।
आपका अनुज
राजेश गुप्ता