आदि गुरु शंकराचार्य के चार मठ। Aadi Guru Shankaracharya ke char math.

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भारतीय संस्कृति को आदि गुरु शंकराचार्य ने उत्तर -दक्षिण, पूर्व -पश्चिम में समायोजित करने की कोशिश की और चारों दिशाओं में चार धाम की स्थापना की, जिन्हें वर्तमान में शंकराचार्य के चार मठों के नाम से जाना जाता है। 1. उत्तर में ज्योतिर्मठ 2. दक्षिण में श्रृंगेरी मठ। 3. पूर्व में गोवर्धन मठ 4. पश्चिम में शारदा मठ

यह मठ गुरु शिष्य परंपरा पर आधारित है। भारत में मठों की स्थापना का श्रेय आदि गुरु शंकराचार्य को ही जाता है आइए जानते हैं भारत के 4 मठों के बारे में…..

ज्योतिर्मठ (Jyotirmarth)।

यह मठ शंकराचार्य ने भारत के उत्तर में उत्तराखंड राज्य के बद्रिकाश्रम में स्थापित किया। इस पीठ की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने आठवीं सदी में की थी। ज्योतिर्मठ हमेशा ही वैदिक शिक्षाओं का केंद्र रहा है तथा इस मठ में अथर्ववेद को रखा गया है।ज्योतिर्मठ में दीक्षित होने वाले सन्यासियों के नाम के बाद गिरी, सागर या पर्वत संप्रदाय नाम लगा दिया जाता है, जिससे उन सन्यासियों को ज्योतिर्मठ के सन्यासी के रूप में जाना जाए। ज्योतिर्मठ का महाकाव्य अयमात्मा ब्रह्म है। ज्योतिर्मठ कि पहले मठाधीश का नाम आचार्य तोटक था ।

श्रृंगेरी मठ (Sringeri math)।

यह मठ शंकराचार्य ने भारत के दक्षिण में कर्नाटक राज्य के रामेश्वरम में स्थापित किया है। इस मठ से दीक्षा लेने वाले सन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती या पूरी संप्रदाय लगा दिया जाता है, जिससे इन्हें श्रृंगेरी मठ के सन्यासी के रूप में जाना जाता है। श्रृंगेरी मठ के अंदर यजुर्वेद को स्थान दिया गया है तथा इस मठ का महाकाव्य ‘अहं ब्रह्मास्मि हैं। श्रृंगेरी पीठ के पहले मठाधीश आचार्य सुरेश्वर थे।

गोवर्धन मठ (Govardhan math) ।

यह मठ आदि गुरु शंकराचार्य ने भारत के पूर्व दिशा में उड़ीसा राज्य के पूरी नामक स्थान पर स्थापित किया है यह मठ भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। गोवर्धन मठ के अंदर ऋग्वेद को रखा गया है। गोवर्धन मठ से दीक्षा लेने वाले सन्यासियों के नाम के बाद आरण्य संप्रदाय नाम लगा दिया जाता है जिससे यह सन्यासी गोवर्धन मठ के सन्यासी के रूप में जाने जाते हैं। इस मठ का महाकाव्य प्रज्ञानं ब्रह्म’ है। तथा इस मठ के पहले मठाधीश आचार्य पद्मपद थे जो आदि गुरु शंकराचार्य के प्रथम शिष्य भी थे।

शारदा मठ (Sharda math)।

यह मत गुरुदेव शंकराचार्य ने भारत के पश्चिम दिशा में स्थित राज्य गुजरात के द्वारिका में स्थापित किया है। इस मठ में दीक्षा लेने वाले सन्यासियों के नाम के बाद आश्रम या तीर्थ संप्रदाय लगा दिया जाता है, जिससे यह शारदा मठ के सन्यासी के रूप में जाने जाते हैं। शारदा मठ का महाकाव्य ‘तत्त्वमसि’ है। शारदा मठ में सामवेद को रखा गया है। शारदा मठ के पहले मठाधीश आचार्य हस्तामलक थे जो शंकराचार्य के प्रमुख चार शिष्यों में से एक थे ।

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