पांडवों को नर्क क्यों मिला और कौरवों को स्वर्ग क्यों

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स्वर्ग और नरक कर्म पर निर्भर करते हैं युधिष्ठिर को छोड़कर चारों पांडव और द्रौपदी को नर्क की प्राप्ति हुई क्योंकि उन्होंने अपने धर्म का पालन सही तरीके से नहीं किया , केवल युधिष्ठिर को ही स्वर्ग की प्राप्ति हुई | कौरवों को स्वर्ग की प्राप्ति इसलिए हुई क्योंकि वह सभी युद्ध में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए

जय महाभारत की शुरुआत होने वाली थी तब अर्जुन और दुर्योधन दोनों ही श्री कृष्ण से सहायता मांगने गए तब श्री कृष्ण ने दुर्योधन को नारायणी सेना और स्वयं दोनों में से एक चुनने को कहा तब दुर्योधन ने नारायणी सेना तथा अर्जुन ने श्रीकृष्ण को चुना| श्री कृष्ण की एक शर्त थी कि वह युद्ध में हथियार नहीं उठाएंगे तथा अर्जुन के सारथी बनकर अर्जुन का मार्गदर्शन करेंगे |

महाभारत के युद्ध समाप्त होने के बाद धर्म स्थापना हुई | पांडवों ने 36 साल तक कार्यभार संभाला इसके पश्चात परीक्षित जो अभिमन्यु के पुत्र थे इनको राजपाट संभाल कर स्वर्ग की खोज में वनप्रस्थ जाने का निर्णय किया |

पांडव मेरु पर्वत पर चले गए जिससे स्वर्ग की सीडी भी कहा जाता था | जब पांडव स्वर्ग प्राप्ति के लिए जा रहे थे तो एक कुत्ता भी साथ हो गया था, पांच पांडव द्रोपती और कुत्ते को मिलाकर 7 जने हो गए थे |

सर्वप्रथम द्रोपती पर्वत से नीचे गिर गई और मृत्यु को प्राप्त हुई , पांडवों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि द्रोपती नीचे क्यों गिरी इसको तो हमारे साथ स्वर्ग में जाना था | यह कहा जाता है कि द्रोपती को नर्क इसलिए मिला क्योंकि द्रोपती का विवाह पांडवों से किया गया था लेकिन द्रोपती केवल अर्जुन को ही पूर्णत अपना पति मानती थी और जब द्रोपती को पता चला की करण भी कुंती की संतान है तो द्रोपती के मन में कर्ण के प्रति प्रेम भाव आने लगा , यह सब द्रोपती के धर्म का हिस्सा नहीं था इसलिए द्रोपती को नर्क मिला |

इसके पश्चात सहदेव की पर्वत से गिरकर मौत हुई और नरक की प्राप्ति हुई , बाद नकुल पर्वत से गिरे और मृत्यु की प्राप्ति हुई नकुल को नर्क इसलिए मिला क्योंकि नकुल सबसे सुंदर थे और वह अपने चरित्र के अहंकार में रहते थे |

भीम को नर्क की प्राप्ति इसलिए हुई क्योंकि वह खाना खाने के सबसे ज्यादा लोभी थे और वह दूसरों के की कमजोरियों का आनंद लेते थे |

अर्जुन को नर्क की प्राप्ति क्यों हुई

अर्जुन खुद को दुनिया का सबसे तेज तीरंदाज मानते थे, वह अपने से ऊपर किसी तीरंदाज को नहीं देखना चाहते थे

युधिष्ठिर जब स्वर्ग की सीडी तक पहुंचे तो इंदर अपने रथ से युधिष्ठिर को लेने आए युधिष्ठिर स्वर्ग लोक में गए तो वहां पर कौरवों , द्रोणाचार्य , भीष्म सभी को देखकर इंदर से सवाल पूछा कि मेरे भाई कहां है , तब इंद्र ने कहा की यह सब क्रम पर निर्भर करता है| इसके पश्चात इंदर ,युधिष्ठिर को नरक लोक लेकर गए और अपने भाई और द्रोपती को दिखाया |

कौरवों को स्वर्ग क्यों मिला

जब युधिष्ठिर ने इंद्र से पूछा कि कौरवों को नरक क्यों नहीं मिला तब युद्ध इंदर ने कहा कि गौरव लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए हैं वह युद्ध से हटे नहीं वह अपने कर्म पर अड़े रहे इसलिए उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई |

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