ramanujacharya jayanti2021, जानिए रामानुजाचार्य जी के अनुसार मोक्ष का अर्थ

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रामानुजाचार्य जयंती 2021: 18 अप्रैल 2021 (1004 वी जयंती )

रामानुजाचार्य विशिष्टा द्वैत सिद्धांत के प्रतिपादक हैं। यह दक्षिणी भारत के वैष्णव वाद की समर्थक महान संत थे। यह सगुण भक्ति धारा के संत थे उत्तर भारत में वैष्णववाद का प्रचार प्रसार रामानुजाचार्य ने ही किया था।

उत्तर भारत में इनके शिष्य रामानंदाचार्य थे जिन्होंने दास्य भाव की भक्ति का प्रतिपादन किया।

रामानुजाचार्य का जन्म 1017 ईस्वी में पेयंबटूर तमिलनाडु में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। तथा इनकी मृत्यु 1137 ईस्वी में श्री रंगम में हुई थी।

रामानुजाचार्य ने भक्ति आंदोलन में वैष्णव वाद को बढ़ावा दिया, वैष्णव बाद के अनुसार भगवान विष्णु या उनके 10 अवतारों की पूजा अर्चना व उनकी भक्ति करके ही मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है।

रामानुजाचार्य में पूरे भारतवर्ष में वैष्णव धर्म का प्रचार प्रसार किया था।

रामानुजाचार्य के पिता का नाम केशव भट्ट तथा उनकी माता का नाम कांतिमथी था । रामानुजाचार्य को भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण का अवतार भी माना जाता है।

रामानुजाचार्य की प्रारंभिक वेदों की शिक्षा गुरु यादव प्रकाश जी के द्वारा दी गई थी। तथा इनके गुरु श्री यमुनाचार्य थे। रामानुजाचार्य यमुनाचार्य के सबसे प्रमुख शिष्यों में से एक थे।

रामानुजाचार्य की अल्प आयु में ही उनके पिता केशव भट्ट की मृत्यु हो गई थी। बाद में उन्होंने गृहस्थाश्रम त्याग कर सन्यास ग्रहण कर लिया था श्री रंगम में जाकर महेश यतीराज जी से इन्होंने संन्यास की दीक्षा ली।

रामानुजा जयंती का महत्व

विशिष्टाद्वैत सिद्धांत के प्रतिपादक और वैष्णव वाद के प्रमुख संत रामानुजाचार्य पूरे भारत में की परंपरा का प्रचार प्रसार किया उनके अनुसार भक्ति का तात्पर्य पूजा पाठ करना यह मूर्ति पूजा करना नहीं था उनका मानना था कि ईश्वर की प्राप्ति मूर्ति पूजा या भजन कीर्तन से नहीं बल्कि ईश्वर का ध्यान करना था और उनकी प्रार्थना करना। उनके अनुसार यह सभी जातियां कर सकती है और उन्होंने आध्यात्म के रूप में सभी को जोड़ने का प्रयास भी किया।उनका मानना था की जब सृष्टि के रचयिता ने ही कोई भेदभाव नहीं किया तो हम कोन होते हैं उनके विरुद्ध जाने वाले।

उन्होंने सभी जातियो और सभी लोगो को भक्ति का मार्ग दिखाया ।

रामानुजाचार्य के अनुसार मोक्ष का अर्थ

रामानुजाचार्य के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति ब्रह्म को पा लेने से नहीं अपितु ब्रह्म की निकटता प्राप्त करना ही मोक्ष है। और यह मोक्ष भगवान विष्णु और उनके 10 अवतारों का ध्यान करना और उनकी प्रार्थना करने से पाई जा सकती है।

रामानुजाचार्य की जन्म कथा

दक्षिण भारत के तमिलनाडु नाडु के कोयंबटूर गांव में केशव भट्ट और कांतिमथी नाम के युगल रहते थे।  वे दोनों एक धर्मी जीवन जीते थे और एक दूसरेकेप्रति बहुत समर्पित थे लेकिन उनके कोई संतान नहीं थी ।  एक बार थिरुचाची नाम्बी नाम के एक महान ऋषि ने दंपति के घर का दौरा किया तो केशव भट्ट और कांति मशीनें अपना दुख उन्हें बताया तो ऋषि ने उन्हें एक यज्ञ करने और तिरुवल्लिकेनी के भगवान पार्थसारथी से प्रार्थना करने का सुझाव दिया।  इससे उसकी पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी होगी।  ऋषि के बताएं अनुसार दोनों ने यज्ञ किया और देवता की पूजा भी अत्यंत समर्पण और भक्ति भाव के साथ की।  उनके समर्पण और भक्तिभाव से प्रसन्न होकर देवताओ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया।  जब बच्चे का जन्म हुआ, तो कई दिव्य निशान थे, जो दर्शाता है कि वह भगवान राम के छोटे भाई, भगवान लक्ष्मण का अवतार है।

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