जानिए निबंध कैसे लिखते हैं।niband in hindi.

7 Min Read

निबन्ध गद्य – साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है । निबन्ध को गद्य की कसौटी माना जाता है । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का मत है- ” यदि पद्य कवियों की कसौटी है तो निबन्ध गद्य की कसौटी है । भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास निबन्ध में ही सबसे अधिक संभव होता है ।

परिभाषा

” रामचन्द्र वर्मा ने ‘ गद्य में लिखित प्रबन्ध साहित्यिक रोचक गुंफन , लेख को निबन्ध माना है ।

निबंध का शाब्दिक अर्थ

निबन्ध शब्द का अर्थ है- विचारों को बाँधना या गूँथना
नि + बंध से बने निबन्ध शब्द का अर्थ ही विचारों को आकर्षक और क्रमबद्ध तरीके से बाँधना है । निबन्ध फ्रांसीसी भाषा के ‘ ऐसाई ‘ तथा अंग्रेजी भाषा के ‘ ऐसे ’ का पर्याय है । अंग्रेजी साहित्य के प्रसिद्ध निबन्धकार जानसन ने कहा है- “ निबन्ध मन का आकस्मिक और उच्छृंखल आवेग , असम्बद्ध और चिन्तनहीन बुद्धि विलास मात्र है ।

निबंध का भावत्व अर्थ

” निबन्ध में भावतत्व का होना अनिवार्य है – बाबू गुलाबराय के अनुसार , “ निबन्ध उस गद्य रचना को कहते हैं जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन , स्वच्छन्दता , सौष्ठव और सजीवता तथा आवश्यक संगति और सम्बद्धता के साथ किया गया हो ।

निबंध के विषय

निबन्ध का विषय कुछ भी हो सकता है । किसी छोटी – से – छोटी वस्तु के सम्बन्ध में भी निबन्ध लिखा जा सकता है । निबन्ध के लिए तीन बातें आवश्यक हैं

  1. वैचारिक अनुभूतियों से सम्बन्धित विचारों का प्रतिपादन ।
  2. पाठक के मन – मस्तिष्क को गुदगुदाने की क्षमता ।
  3. साहित्यिक गुणों से युक्त शैली ।

निबंध लेखन की प्रमुख विशेषताएं

  • निबन्ध एक गद्य – रचना है जो आकार में सीमित होती है ।
  • निबन्ध में लेखक के जीवन का निजीपन तथा व्यक्तित्व झलकता है । साहित्य की अन्य विधाओं में लेखक का व्यक्तित्व छिपा रह सकता है किन्तु निबन्ध में नहीं।
  • अपूर्णता और स्वच्छन्दता होते हुए भी निबन्ध स्वतः ही पूर्ण रचना है ।
  • निबन्ध साधारणं गद्य की अपेक्षा अधिक रोचक होता है । उसमें लेखक द्वारा अपनाई गई शैली का महत्वपूर्ण योगदान होता है । निबन्धकार उसमें शैली को उत्तम बनाने के लिए ध्वनि , हास्य , व्यंग्य , लाक्षणिकता और कुछ अलंकारों का भी प्रयोग करता है ।
  • निबन्ध में लेखक का आत्म – विवेचन तथा उसका निजी दृष्टिकोण अभिव्यक्त होता है । इसी में निबन्ध का चरमोत्कर्ष है ।
  • निबन्ध में भावों तथा विचारों का सुन्दर ढंग से गुंफित होना आवश्यक है । भाव के बिना निबन्ध बुद्धि विलास मात्र रह जायेगा ।

लेखन – शैली की दृष्टि से निबंध के भेद

निबन्धकार अपनी बात कहने के लिए जो पद्धति अपनाते हैं , उसे शैली कहते हैं । प्रत्येक निबन्ध की शैली अलग होती है । निबन्ध की शैलियाँ चार प्रकार की होती हैं।

( 1 ) समास शैली – इस शैली में कम – से – कम शब्दों में अधिक – से – अधिक बात कही जाती है । विचारात्मक निबन्धों के लिए रामचन्द्र शुक्ल ने इसी शैली को अपनाया है ।

( 2 ) व्यास शैली – किसी बात को विस्तार से बताने के लिए व्यास शैली का प्रयोग होता है । आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी तथा श्यामसुन्दर दास ने इसी शैली को अपनाया है ।

( 3 ) धारा शैली – भावात्मक निबन्धों की रचना इस शैली में होती है । इसमें विचारों को प्रवाह तथा भावों को तेज गति व्यक्त किया जाता है । अध्यापक पूर्ण सिंह के निबन्ध इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं ।

(4 ) तरंग , प्रलाप तथा व्यंग्य शैलियाँ – ये शैलियाँ भी निबन्धों में अपनाई जाती हैं । हरिशंकर परसाई के निबन्ध व्यंग्य शैली के श्रेष्ठ उदाहरण हैं ।

रचना की दृष्टि से निबन्ध के भेद

.1 वर्णनात्मक निबन्ध , 2. विवरणात्मक निबन्ध , 3. भावात्मक निबन्ध , 4. विचारात्मक निबन्ध , 5. संस्मरणात्मक निबन्ध ,6. ललित निबन्ध |

निबंध लिखने का तरीका

जानिए निबंध कैसे लिखते हैं।niband in hindi.
निबंध लेखन

छात्रों को निबन्ध लेखन का नियमित अभ्यास करना चाहिए । उनको पहले प्रसिद्ध निबन्धकारों की रचनाओं को पढ़ना चाहिए तथा उसके पश्चात् लिखने का अभ्यास करना चाहिए । सतत् प्रयास से वे अच्छे निबन्ध लेखक बन सकते हैं । निबन्ध लिखते समय तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए

( क ) आरम्भ – आकर्षक , प्रभावोत्पादक और सरस होना चाहिए । निबन्ध का प्रारम्भ किया जाना चाहिए- ( 1 ) विषय से सम्बन्धित किसी कवि या विद्वान् की कविता अथवा सूक्ति से , ( 2 ) विषय की परिभाषा से , ( 3 ) उसकी आवश्यकता या प्रदर्शित करते हुए अथवा ( 4 ) उसकी वर्तमान अवस्था का दिग्दर्शन कराते हुए ।

( ख ) मध्य यह निबन्ध का मुख्य और महत्वपूर्ण भाग है । इसी में लेखक की योग्यता , कल्पना – शक्ति , अध्ययनशीलता , अनुभव क्षेत्र , विचार – शक्ति आदि का मूल्यांकन होता है । अतः रूपरेखा के अनुसार छोटे – छोटे वाक्यों एवं अनुच्छेदों में बाँटकर रोचक ढंग से मध्य भाग को प्रस्तुत करें ।

( ग ) अन्त – इसे उपसंहार भी कहते हैं । इसमें पूरे निबन्ध का निष्कर्ष या निचोड़ आ जाना चाहिए । इसमें सम्बन्धित विषय की उपलब्धियों और सम्भावनाओं पर भी दृष्टिपात किया जा सकता है । निबन्ध का आकार न बड़ा और न छोटा होना चाहिए । यदि आकार सम्बन्धी निर्देश हो तो उसी के अनुसार शब्द संख्या का ध्यान रखते हुए निबन्ध लिखना चाहिए । निबन्ध की भाषा शुद्ध , भावानुकूल , प्रसंग , कहावतों और मुहावरों से युक्त होनी चाहिए । वाक्य छोटे , सुगठित , सुबोध एवं सरल वाक्य होने चाहिए । जटिल वाक्य रचना से सदैव बचना चाहिए ।

Share This Article