पंच भिखू की कहानी। panch bhikhu ki kahani.

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पंच भीखू कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी से 5 दिन तक पंच भीखू की पूजा करें । ग्यारस बारस को नीगोट करें , तेरस को जीम लें , फिर चौदह व पूणम् को नीगोट कर बाद में पूणम् के दिन 5 चीज ब्राह्माणी को दें । इसी प्रकार 4 वर्ष तक एक कार्तिक उतरते की पंच भीखू करें । अगर इच्छा हो तो व्रत करके 5-5 चीजें देते जायें । पाँच साल व्रत करके पूरा होने के बाद ५ जोड़ा – जोड़ी ब्राह्मण व ब्राह्मणियों को भोजन करा दक्षिणा दें ।

पंच भिखू की कहानी। panch bhikhu ki kahani.

एक साहूकार के बेटे की बहू थी । यह कार्तिक के महीने में सुबह जल्दी उठकर गंगा जी नहाने जाती थी । वह पराये पुरुष का मुंह नहीं देखती थी । राजा का लड़का भी गंगा जी नहाने जाता था । राजा का लड़का कहता कि मैं सुबह नहाता हूँ मेरे से पहले कोई भी नहीं नहाता । जब पांच दिन कार्तिक के बीत गए तो उस दिन साहूकार के बेटे की बहू नहा कर जा रही थी और राजा का बेटा आ रहा था । शोर सुनकर जल्दी से जाने लगी जिससे अपने मोती की माला वहीं पर भूल गई । तब राजा के बेटे ने वह मोती की माला देखी तो देखकर कहा कि यह माला किसकी है जो इतनी सुंदर है तो पहनने वाली कितनी सुंदर होगी ? बाद में सारी नगरी में ढिढोरा पिटवा दिया कि यह माला जिसकी है वह मेरे पास पांच रात आएगी मैं उसकी यह माला दे दूंगा ? और खुद वहां तोते का पिंजरा टांग कर बैठ गया।

सुबह साहूकारनी की बहू आई तो पहली पैड़ी पर पांव रखा तो बोली कि अगर मेरे में सत्त है तो इसे नींद आ जाए और भगवान ने उसका सतत् रख दिया और उसे नींद आ गई । और वह नहाकर चली गई । राजा का बेटा उठकर बैठ गया और तोते से पूछा कि क्या वह आई थी । तो तोते ने कहा आई थी । तो वह कैसी थी । तब तोता बोला कि अप्सरा जैसी बिजली , होली जैसी झलकामड़ी , गुलाब जैसा रंग । राजकुमार ने कहा कि आज तो मैं अंगुली चीर कर लेट जाऊंगा , . फिर मुझे नींद नहीं आएगी । दूसरे दिन वह अंगुली चीर कर बैठ गया । जब वह आई तो भगवान से प्रार्थना करने लगी तो इतना कहते ही राजकुमार को नींद आ गई और वह नहा कर चली गई । जब उसने उठकर तोते से पूछा तो उसकी कहीं सारी बातें बता दीं । तब राजकुमार बोला मैं आंखों में मिर्च डालकर बैठूंगा । और रात को मिर्च डालकर बैठ गया । और वह आई और प्रार्थना करी जिससे राजकुमार ने तोते से पूछा कि आई थी तो उसने कहा आई थी तो उसने कहा आई थी । फिर उसने कहा आज तो बिना बिस्तरे बैठूंगा और वह रात को बिना बिस्तरे के बैठ गया । तो फिर भगवान से वही बात कही तो राजकुमार को नींद आ गई । जब वह नहाकर जाने लगी तो आंख बन्द करके चली गई । राजकुमार ने उठकर देखा तो वह नहाकर चली गई तो वह बोला कि आज तो वह बोला कि आज तो मैं आग की अंगीठी रख कर बैठ गया । साहूकार की बहू आई तो भगवान से कहा कि चार रात तो निकाल दीं परन्तु आज की रात और निकाल दो । भगवान ने उसका सत्त रख दिया और उसे नींद आ गई । जब वह नहाकर जाने लगी तो वह तोते से बोली कि पापी हत्यारे से कह दिया कि तेरी पांच रात पूरी हो गई हैं इसलिए मेरी मोतियों की माला मेरे घर भेज देना । फिर राजा ने तोते से पूछा कि वह आई थी तो तोते ने कहा कि वह आई थी और उसने अपनी माला मंगवाई है ।

तब राजकुमार से सोचा कि वह तो सच्ची थी । उसका तो भगवान ने भी सत्त रख लिया । थोड़े दिन बाद राजकुमार के शरीर में कोढ़ निकल गया और वह तड़पने लगा तो राजा ने ब्राह्मण को बुला कर पूछा कि मेरे बेटे का शरीर क्यों जल रहा है ? तब ब्राह्मण ने कहा कि उस साहूकार की बहू को धर्म की बहन बना ले और उसके नहाये हुए जल से नहाये तो इसका कोढ़ ठीक हो जाएगा । राजा उसकी माला लेकर घर गया और साहूकार से कहा कि यह माला आपकी बहू की है और उसके नहाये हुए जल से मेरे बेटे को निहाला दो तो साहूकार ने कहा वह तो किसी पराये का मुंह भी नहीं देखती । इस नाली के नीचे राकुमार को बैठा देना जब वह नहाएगी तो ऊपर से वह पानी गिर जाएगा । बाद में राजकुमार बैठ गया और नहाया तो उसकी चंदन जैसी काया हो गई । हे पंच भीखू देवता जैसा साहूकार की बहू का सत्त रखा वैसा सबका रखना । कहते सुनते हुंकारा भरते अपने सारे परिवार का सत्त रखना ।

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