कूर्मासन करने की विधि, लाभ,विशेष, समय और सावधानियां।kurmasan. kurmasana.

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यह आसन पूर्णता आध्यात्मिक आसन है। इस आसन में मन शांत होता है। और इस आसन में शरीर कछुए की आकृति ग्रहण करता है इसलिए इससे कूर्मासन(kurmasan)कहते हैं।

विधि : kurmasan

आसन पर बैठकर दोनों पाव सामने की ओर फैलाए। आगे से दोनों एडियो के बीच का फासला 15 इंच होना चाहिए। सामने झुककर नाक भूमी पर लगाएं। दोनों घुटने सीधे रखें तथा दोनों हाथों को घुटनों के नीचे से निकालकर पीठ के पिछले हिस्से से दोनों हाथों की अंगुलियों से ताला लगाकर थोड़ी देर आसन में रूके। श्वास बाहर निकाल कर रखें आसन छोड़ते समय धीरे-धीरे श्वास लें। आसन को चित्र अनुसार करें।

लाभ। kurmasana benefits.

  • पीठ दर्द, सिरदर्द, व गर्दन दर्द आदि में इस आसन को करने से लाभ मिलता है।
  • यह आसन गुर्दों को शक्ति प्रदान करता है।
  • मधुमेह ,बड़े हुए पेट, अति चर्बी को कम करता है।।
  • पोलियो, कूबड़ और हाथ पांव में मोच में लाभ देता है।
  • पुरुषों में प्रमेह और स्त्रियों में प्रदर रोग को दूर करता है।
  • कुंडलिनी माता के जागरण में सक्रिय भूमिका निभाता है।
  • ब्रह्मचर्य रक्षा में विशेष लाभदायक है।
  • घुटनों के जोड़ों जांघों के जोड़ों मे पनपे विषाक्त तत्वों को दूर कर लचीला बनाता है तथा पूरे शरीर की अकड़न को दूर करता है।

kurmasana. सावधानी।

अल्सर दमा व टीबी पीड़ित हड्डियो वालों को यह आसन नहीं करना चाहिए। इसे झटके से करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। यह आसन खाली पेट ही करना चाहिए दीर्घकालीन रीड की हड्डी के दर्द वालों को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।

kurmasana time. समय।

यह आसन कुछ सेकंडो से शुरू कर उचित लाभ के लिए 5 मिनट करना चाहिए।

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