वृक्षासन। वृक्षासन करने की विधि लाभ विशेष और समय।

2 Min Read

वृक्षासन विधि । वृक्षासन में सीधे खड़े होकर , धीरे – धीरे बाएं पैर को ऊपर उठाते हुए एड़ी को गुप्तांगों से सटाकर लगाएँ , तथा दाएँ पाँव को स्थिर व बिल्कुल सीधा रखते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर बिना कोहनी को मुडाए , नमस्कार की मुद्रा में ले जाएँ । आँखें बन्द व मन एकाग्र भृकुटि में अपने इष्ट का ध्यान करें। फिर इष्टमय होने के उपरान्त धीरे – धीरे साधारण रूप से वृक्षासन में आ जाएँ ।

लाभ : 1. यह आसन मलाशय व आमाशय की मांसपेशियों को विकसित करता है 2. पाचन शक्ति बढ़ाता है । 3. यौन रोगों तथा बढ़े हुए वृषणकोशों में लाभदायक है । 4. हाथ – पाँव के जोड़ों के विषाक्त तत्त्वों को दूर कर लचीलापन लाता है । 5. यह आसन व्यक्ति को संतुलन व समभार का ज्ञान कराता है।

विशेष : वृक्षासन व्यक्ति के स्वभाव , श्रद्धा एवं धारणा तथा ध्यान पर निर्भर रहता है । वृक्षासन निरन्तर छह माह तक नियमित रूप से प्रतिदिन 3-3 घण्टे करते रहने से सिद्ध हो जाता है । एक पाँव पर खड़े होकर समाधि लगाने में भी मदद मिलती है । इससे शनै : शनै : सहज समाधि में भी आया जा सकता है ।

समय : आधा – आधा मिनट रुक कर पाँच आवृत्तियों में इस आसन को करना चाहिए ।

Share This Article