सुदर्शन क्रिया। सुदर्शन क्रिया की विधि,लाभ,सावधानियां और समय। sudarshan kriya in hindi.

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सुदर्शन क्रिया हमारी सांसों से जुड़ा एक ऐसा योगासन है जिससे हमारी सांसे नियंत्रित होती है और हमें सही दृष्टि मिलती हैं। सुदर्शन क्रिया की शुरुआत प्राचीन समय में भारत के योग गुरुओं द्वारा की गई थी। सुदर्शन क्रिया अत्यंत लाभकारी योग क्रिया है जिसे नियमित तौर पर करने से सांसों पर नियंत्रण पाया जा सकता है और दृष्टि मजबूत होती है। इसके साथ-साथ सुदर्शन क्रिया अन्य शारीरिक बीमारियों और मानसिक विकारों को दूर करने में मदद करती हैं।

सुदर्शन क्रिया सांसों की लयात्मक रूप से की जाने वाली क्रिया है जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्तरों मे सुधार करती हैं तो आइए जानते हैं सुदर्शन क्रिया से जुड़ी जानकारी।

सुदर्शन क्रिया का अर्थ। Meaning of Sudarshan Kriya.

सुदर्शन क्रिया में ‘सुदर्शन’ शब्द हिंदी भाषा के दो शब्द ‘सु’ तथा ‘दर्शन’ से मिलकर बना है इसमें ‘सु’ का अर्थ – सही(अच्छा) और दर्शन का अर्थ – दृष्टि(देखना) है अतः सुदर्शन क्रिया का अर्थ दृष्टि को सही करना अथवा अच्छी दृष्टि करना होता है। सुदर्शन क्रिया को करने से व्यक्ति की दृष्टि अच्छी होती है और व्यक्ति अपनी सांसों पर धीरे-धीरे नियंत्रण पा लेता है।

सुदर्शन क्रिया करने की विधि। sudarshan kriya steps in hindi.

सुदर्शन क्रिया चार चरणों(step) में की जाती है जो निम्न प्रकार से हैं। sudarshan kriya steps –

  1. उज्जयी प्राणायाम।
  2. भस्त्रिका प्राणायाम।
  3. ओम का जाप।
  4. क्रिया योग।

उज्जयी प्राणायाम।

सुदर्शन क्रिया की शुरुआत उज्जयी प्राणायाम द्वारा की जाती हैं। सर्वप्रथम वज्रासन अथवा सुखासन की स्थिति में बैठ जाए। अपनी जीभ को नली की तरह बनाकर होठों से हल्का सा बाहर निकाले और सांस को बाहर निकाले अब धीरे-धीरे सांस अंदर ले। शुरुआत में सांस लेने का समय समान और बराबर होना चाहिए। नाक से सांस अंदर लेना चाहिए और सांस लेते और छोड़ते समय अपना पूरा ध्यान सांसो पर केंद्रित करें।

सुदर्शन क्रिया। सुदर्शन क्रिया की विधि,लाभ,सावधानियां और समय। sudarshan kriya in hindi.
सुदर्शन क्रिया। Sudarshan kriya in hindi.

इसमें 1 मिनट में लगभग 2 से 4 बार सांस लेना चाहिए। ऐसा नियमित रूप से करते रहने से सांसो पर नियंत्रण पाया जाता है और मस्तिष्क भी रिलैक्स रहता है।

भस्त्रिका प्राणायाम।

भस्त्रिका प्राणायाम करते समय सांसों को तेज गति से अंदर और बाहर छोड़ना पड़ता है। भस्त्रिका प्राणायाम करते समय 1 मिनट में लगभग 30 बार सांसों को अंदर बाहर करें। भस्त्रिका प्राणायाम में सांस को बाहर छोड़ने पर अपना ध्यान केंद्रित करना पड़ता है इसलिए जितना समय सांस लेने में लगता है उससे दुगना समय छोड़ने में लगाए। भस्त्रिका प्राणायाम मन की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में लाभदायक है।

भस्त्रिका प्राणायाम लंग्स की कैपेसिटी को बढ़ाता है। यह डीप ब्रीदिंग है जिससे रेस्पिरेट्री सिस्टम मजबूत होता है।

ओम का जाप।

सुदर्शन क्रिया।Sudarshan kriya in hindi
सुदर्शन क्रिया। sudarshan kriya in hindi.

प्रतिदिन प्रातः काल में उठकर ओम का जाप करें यदि संभव हो तो ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ऊंचे स्वर ओम का जाप करें। ब्रह्मांड का ध्यान करते हुए आंखें बंद कर ले और पेट से सांस लेते हुए ओम का जाप करें। ओम का जाप हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है और मस्तिष्क के लिए भी काफी लाभदायक माना जाता है।

क्रिया योग।

क्रिया योग सुदर्शन क्रिया का आखिरी चरण है। इसमें सांसों की गति को बदलना पड़ता है। सबसे पहले धीमी गति से सांसे ले। अब सांसों की गति को थोड़ा बढ़ा दे। और अंत में सांसों की गति को काफी तेज कर दे। सांसों की यह सभी गतिविधियां लयात्मक होनी चाहिए। सांसो को अंदर लेने का समय सांस को बाहर छोड़ने के समय से दोगुना होना चाहिए।

इस योग आसन को करने से शरीर स्वस्थ होता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। इस क्रिया को पढ़ने से मन शुद्ध होता है।

सुदर्शन क्रिया। sudarshan kriya in hindi.
सुदर्शन क्रिया। sudarshan kriya in hindi.

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सुदर्शन क्रिया के लाभ/ सुदर्शन क्रिया के फायदे। sudarshan kriya benefits in hindi.

सुदर्शन क्रिया के लाभ की बात करें तो इस क्रिया से हमें अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। जानते हैं सुदर्शन क्रिया के फायदे क्या है :

स्ट्रेस दूर होता है।

सुदर्शन क्रिया स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसे कई रोगों को दूर करने में मदद करती हैं। सुदर्शन क्रिया कोर्टिसोल के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि कोर्टिसोल स्ट्रेस कारक हार्मोन है अतः इसके नियंत्रण से स्ट्रेस को दूर किया जा सकता है। इसलिए जो लोग स्ट्रेस की वजह से डिप्रेशन में चले जाते हैं उन्हें सुदर्शन क्रिया अवश्य करनी चाहिए। यह क्रिया आपको तनाव और चिंता से मुक्त करने में मदद करती हैं।

दृष्टि मजबूत होती है।

सुदर्शन क्रिया विशेष रूप से आंखों को लाभ देती हैं। यदि किसी की दृष्टि कमजोर है तो सुदर्शन क्रिया के लगातार अभ्यास से दृष्टि में सुधार संभव है। जिन लोगों को आंखों की कमजोरी के कारण हमेशा सिर में दर्द रहता है उनके लिए सुदर्शन क्रिया अत्यंत लाभदायक मानी गई है। जिन लोगों की आंखें कमजोर है या दृष्टि दोष है उन्हे सुदर्शन क्रिया करनी चाहिए।

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सांसे नियंत्रित होती है।

सुदर्शन क्रिया सांसों से जुड़ी एक्सरसाइज है अतः यह सांसों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस क्रिया के प्रतिदिन अभ्यास से स्वास गहरी होती हैं। इससे कार्य करते वक्त सांस फूलने की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है जिससे कार्य करने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होती हैं। सुदर्शन क्रिया के कुछ सप्ताह के अभ्यास के पश्चात आपको यह परिवर्तन नजर आने लगते हैं।

जो व्यक्ति सुदर्शन क्रिया का निरंतर अभ्यास करते आ रहे हैं वह सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक समय तक सांस रोक सकते हैं और उनके फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ जाती हैं।

आत्मविश्वास बढ़ता है।

सुदर्शन क्रिया को करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती हैं इससे व्यक्ति मे चेतना का विकास होता है और व्यक्ति अपने आसपास की चीजों के साथ ज्यादा जागरूक हो जाता है। सुदर्शन क्रिया को करने से मनुष्य की नकारात्मकता धीरे-धीरे दूर होने लगती है जिससे आत्मविश्वास बढ़ने लगता है।

सुदर्शन क्रिया से व्यक्ति तनाव और चिंता से मुक्त होता है और यह आपके संपूर्ण स्वास्थ्य कल्याण में मदद करती हैं। जिससे व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है और कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ने लगता है।

नींद अच्छी आती है।

सुदर्शन क्रिया करने से नींद की पूर्ति सही तरीके से होती है। चिंता और तनाव नींद ना आने के प्रमुख कारण होते हैं इनके दूर होने से व्यक्ति को अच्छी नींद की प्राप्ति होती है। इसलिए यदि आप भी तनावग्रस्त रहते हैं और नींद नहीं आती है तो सुदर्शन क्रिया का अभ्यास प्रतिदिन करें।

सुदर्शन क्रिया व्यक्ति की रचनात्मक शक्ति को बढ़ाती है।

सुदर्शन क्रिया व्यक्ति के मस्तिक के कार्य करने की क्षमता और रचनात्मक शक्ति को बढ़ाने का कार्य करती हैं। सुदर्शन के यहां से दिमाग शांत होता है तथा मस्तिष्क में स्थिरता आती है। दिमाग शांत तथा स्थिर रहता है तब रचनात्मक शक्ति में वृद्धि होती हैं दिमाग को शांत व स्थिर रखना मस्तिष्क के दाएं तथा बाएं हिस्से के मध्य सामंजस्य बैठाने का सबसे सही तरीका है। शरीर की नस चलता कि इस स्थिति में एक से एक बड़े पैमाने पर जुड़ जाता है।

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सुदर्शन क्रिया करते समय सावधानियां।

  1. यदि आपको स्वसन रोग या श्वसन संबंधी समस्या है तो सुदर्शन क्रिया को ना करें।
  2. आप अपने चिकित्सक अथवा योग प्रशिक्षक से परामर्श ले की आप सुदर्शन क्रिया को करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट है या नहीं।
  3. प्रेग्नेंसी के समय सुदर्शन क्रिया को नहीं करना चाहिए।
  4. मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को इस क्रिया को करने से बचना चाहिए।
  5. खाना खाने के तुरंत बाद सुदर्शन क्रिया को कभी भी ना करें।
  6. नशा करने के पश्चात सुदर्शन क्रिया को नहीं करना चाहिए।

सुदर्शन क्रिया करने का समय।

सुदर्शन क्रिया को सुबह के समय करना अच्छा रहता है और यदि आप प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सुदर्शन क्रिया को करते हैं तो यह विशेष लाभदायक रहता है। सुदर्शन क्रिया के चारों स्टेप्स को करने में लगभग 30 से 45 मिनट का समय लगता है आप अपनी इच्छा अनुसार इस क्रिया को समय दे सकते हैं।

हम आशा करते हैं कि आपको सुदर्शन क्रिया की जानकारी पसंद आई होगी धन्यवाद।

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