सूत्रनेती क्रिया करने के लाभ विधि और सावधानियां | योग क्रिया

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सूत्रनेती क्रिया करने की विधि

हाथ से कते हुए सूत के करीब तीस इंच लम्बे 10 या 12 धागे मिलायें और मोड़कर उसकी लम्बाई आधी कर लें मोड़ के पास से थोड़े हिस्से में बल दें बटे हुए भाग पर मधुमक्खी के छाते से बना मोम लेकर बँटे हुए हिस्से को मोम से रगड़ें । रगड़ से उसमें कठोरता आ जायेगी । सूत्रनेति सीखने वालों को सर्जीकल की दूकान से रबड़ का तीन नम्बर का कैथेटर ( Catheter ) लाकर काम में लाना चाहिए । जिस नथुने का सुर चल रहा हो , उस नथुने में थोड़ा घी लगाकर कैथेटर या सूत्र अन्दर डालें । कुछ छोके आ सकती हैं किन्तु उसकी चिन्ता न करें , सूत्र को आगे जाने दीजिए । जब मुख में आ जाए , तब सीधे हाथ की तर्जनी अंगुली व अंगूठे को चिमटी बनाकर सूत के एक हिस्से को मुख से बाहर करें । अब एक हाथ से नाक का तथा दूसरे हाथ से मुँह का सूत्र पकड़कर नाक में घर्षण करें तथा मुँह के रास्ते बाहर निकाल लें तत्पश्चात् उसे साफ कर सुखा कर रख दें ।

सूत्रनेती क्रिया करने के लाभ

1. यह क्रिया गले , कान , नाक व आँखों के रोगों से रक्षा करती है ।

2. सर्दी , जुकाम , नजला आदि रोगों को दूर करती है ।

3. स्मरणशक्ति को बढ़ाती है । हठयोग प्रदीपिका के अनुसार यह दिव्यदृष्टि देती हैं

4. साधारण अवरुद्ध नासिका के छिद्रों को चौड़ा कर श्वासरोधक विकारों को दूर करती है ।

सूत्रनेती क्रिया करने की विशेषताएं

योगियों ने इस क्रिया को नाक की सफाई के लिए महत्त्वपूर्ण माना है सूत्रनेति के लिए करीब एक फुट लम्बा मोम चढ़ा सूत का टुकड़ा चाहिए यदि आप उपर्युक्त विधि से इसे नहीं बना सकें तो बाजार से एक रबर का कैथेटर ले आएँ ।

सूत्रनेती क्रिया करने की सावधानियां

सूत्र नेती क्रिया

सूत्र का नाक से घर्षण करते समय नाक में कुछ घी की बूंदें अवश्य ही डाल लें अन्यथा नाक की कोमल त्वचा के छिलने का भय रहता है ।

सूत्रनेती क्रिया करने की अवधि

आँख , कान नाक कमजोर हों तो सूत्रनेति को हमेशा करें , बीमारी ठीक होने पर सप्ताह में इसे एक बार करें ।

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