नीमड़ी माता की कहानी – 2,nimadi mata ki katha(kahani).
नीमड़ी माता की कहानी – दो बहने थी, बड़ी बहन तीज के व्रत के दिन नीमड़ी के पत्ते का टुकड़ा पासती(व्रत के दिन सत्तू के साथ नीम का पत्ता खाकर पासते है) थी। तब वह कहती कि नीमड़ी तो कड़वी है और जब छोटी बहन पासती थी तब वह कहती कि नीमड़ी तो मीठी है।
नीमड़ी माता ने बड़ी बहन की बोली में कड़वाहट घोल दी और छोटी बहन की बोली में मिठास घोल दी। बड़ी बहन को ससुराल और पीहर में कोई भी पसंद नहीं करता था जबकि छोटी बहन को पीहर और ससुराल में लोग बहुत पसंद करते थे। जिससे बड़ी बहन बहुत परेशान और दुखी रहने लगी। वह सोचती थी कि मैं तो सबसे अच्छा व्यवहार करती हूं लेकिन मुझे कोई पसंद नहीं करता।
एक बुजुर्ग महिला से पूछने पर उसने बताया कि तुम तीज के व्रत के दिन नीमड़ी माता की कहानी सुनते समय और पासते समय यह कह देती हो कि नीमड़ी तो कड़वी है इस कारण तुम सबको कड़वी लगती हो। अगली बार जब तीज का व्रत आया तब बड़ी बहन ने भी कहा कि नीमड़ी तो मीठी है। और वह हर व्रत को ऐसा ही बोलने लगी। तब से वह भी सबको मीठी अर्थात अच्छी लगने लगी।
यह थी नीमड़ी माता की कहानी (nimadi mata ki katha) हम आशा करते हैं कि आपको नीमड़ी माता की कहानी पसंद आई होगी धन्यवाद।