संकेत बिन्दु- प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध
- प्रस्तावना
- प्लास्टिक कचरे का प्रसार
- प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण प्रदूषण
- प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबन्ध
- उपसंहार ।

1. प्रस्तावना-
मानव द्वारा निर्मित चीजों में प्लास्टिक थैली ही ऐसी है जो माउंट एवरेस्ट से लेकर सागर की तलहटी तक सब जगह मिल जाती है । पर्यटन स्थलों , समुद्री तटों , नदी – नाले – नालियों , खेत – खलिहानों , भूमि के अन्दर – बाहर सब जगहों पर आज प्लास्टिक कैरी बैग्स अटे पड़े हैं । लगभग तीन दशक पहले किये गये इस आविष्कार ने ऐसा कुप्रभाव फैलाया है कि आज प्रत्येक उत्पाद प्लास्टिक की थैलियाँ कचरे में तब्दील होकर पर्यावरण थैलियों में मिलता है और घर आते – आते को हानि पहुँचा रही हैं ।
2. प्लास्टिक कचरे का प्रसार –
प्लास्टिक थैलियों या कैरी बैग्स का इस्तेमाल इतनी अधिक मात्रा में हो रहा है कि सारे विश्व में एक साल में दस खरब प्लास्टिक थैलियाँ काम में लेकर फेंक दी जाती हैं । अकेले जयपुर में रोजाना पैंतीस लाख लोग प्लास्टिक का कचरा बिखेरते हैं और सत्तर टन प्लास्टिक का कचरा सड़कों , नालियों एवं खुले वातावरण में फैलता है । केन्द्रीय पर्यावरण नियन्त्रण बोर्ड के एक अध्ययन के सात किलो प्लास्टिक कचरा फेंकता है । इस अनुसार एक व्यक्ति प्रतिवर्ष छह प्लास्टिक कचरे से नालियाँ बन्द हो जाती हैं , धरती की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती हैं , भूगर्भ का अमृत जैसा जल अपेय बन जाता है , रंगीन प्लास्टिक थैलियों से कैंसर पूरे जैसे असाध्य रोग हो जाते हैं तथा लाखों गायों की अकाल मौत हो जाती है । राजस्थान में प्लास्टिक उत्पाद – निर्माण की तेरह सौ इकाइयाँ हैं , तो इस हिसाब से पूरे देश में कितनी होंगी , यह सहज अनुमान का विषय है । इस तरह प्लास्टिक कचरे का प्रसार रोक पाना कठिन हो रहा है ।
3. प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण प्रदूषण –
पर्यावरण विज्ञानियों ने प्लास्टिक के बीस माइक्रोन या इससे पतले उत्पाद को पर्यावरण के लिए बहुत घातक बताया है । ये थैलियाँ मिट्टी में दबने से फसलों के लिए उपयोगी कीटाणुओं को मार देती हैं । इन थैलियों के प्लास्टिक में पॉलि विनाइल क्लोराइड होता है , जो मिट्टी में दबे रहने पर भूजल को जहरीला बना देता है । बारिश में प्लास्टिक के कचरे से दुर्गन्ध आती है . नदी – नाले अवरुद्ध होने से बाढ़ की स्थिति आ जाती है । हवा में प्रदूषण फैलन से अनेक असाध्य रोग फैल जाते हैं , कैंसर का खतरा बढ़ जाता है । प्लास्टिक कचरा खाने से गाय आदि पशुओं की जानें चली जाती हैं । इस तरह प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण को हानि पहुँचती है ।
4. प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबन्ध –
प्लास्टिक थैलियों के उत्पादनकर्ताओं को कुछ लाभ हो रहा हो तथा उपभोक्ताओं को भी सामान ले जाने में सुविधा मिल रही हो , परन्तु यह क्षणिक लाभ पर्यावरण को दीर्घकालीन हानि पहुँचा रहा है । कुछ लोग बीस माइक्रोन से पतले प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाने की वकालत कर उससे अधिक मोटे प्लास्टिक को रिसाइक्लड करने का समर्थन करते हैं , परन्तु वह रिसाइक्लङ प्लास्टिक भी एलर्जी , त्वचा रोग एवं पैकिंग किये गये खाद्य पदार्थों को दूषित करता है । अतएव हर तरह की प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए । राजस्थान सरकार ने इस पर प्रतिबन्ध लगाने का निर्णय लिया है , जो कि पर्यावरण की दृष्टि से उचित एवं स्वागत योग्य कदम है ।
5. उपसंहार –
प्लास्टिक थैलियों का उपयोग पर्यावरण की दृष्टि से सर्वथा घातक है । यह असाध्य रोगों को बढ़ाता है । इससे अनेक हानियाँ होने से इसे पर्यावरण का शत्रु भी कहा जाता है । प्लास्टिक उद्योगों को भले ही क्षणिक लाभ होता हो , परन्तु इनका असर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है । अतएव प्लास्टिक थैलियों पर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगाया जाना जनहित में जरूरी है ।