दीपावली का त्यौहार भारतीय लोगों में हिन्दू धर्म के लोगों में मनाया जाता है लेकिन ये त्यौहार सभी धर्म के लोगों द्वारा भी मनाया जा सकता है.

दीपावली पर निबंध 500 शब्दों में
दिवाली हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पूरे भारत में बहुत उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व न केवल असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है, बल्कि इस दिन सुख-समृद्धि के लिए भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। असंख्य दीयों से आलोकित सारा देश ऐसा प्रतीत होता है मानो आकाश के तारे धरती पर उतरकर सारी पृथ्वी को प्रज्वलित कर रहे हों। दीपों की चमकती रोशनी मन में एक नया जोश पैदा करती है और जीवन में अंधकार से लड़ने की प्रेरणा देती है। इस दिन को लेकर अलग-अलग धर्मों की अलग-अलग मान्यताएं हैं, साथ ही इस त्योहार से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। देशभर से लोग साल भर दीवाली का बेसब्री से इंतजार करते हैं और इसे पूरे जोश के साथ मनाते हैं।
दिवाली क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन अयोध्या के राजा भगवान राम लंका के राक्षस राजा रावण का वध कर 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे। उनकी वापसी की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर दिवाली मनाई। अयोध्या में भगवान राम के आगमन के साथ शुरू हुई यह परंपरा आज पूरे भारत का अभिन्न अंग है। भारत के हर घर में दिवाली को विधिवत तरीके से उल्लास के साथ मनाया जाता है। महाभारत के अनुसार इस दिन पांडव 12 वर्ष के वनवास और एक वर्ष के वनवास के बाद लौटे थे, इसलिए यह पर्व पांडवों के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे की पौराणिक मान्यता चाहे कुछ भी हो, लेकिन यह हमें असत्य पर सत्य की जीत को प्रदर्शित करने और जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती है।
दीपावली हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है
दीपावली हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है
दिवाली भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग है। यह हमें जीवन के लिए विभिन्न सबक देता है। यह असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य इकट्ठा होते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। घर में तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं और लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबी रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं, उनसे मिलते हैं, साथ ही पूजा करते हैं और तरह-तरह के व्यंजनों का आनंद लेते हैं। इस प्रकार यह त्योहार लोगों को मिलने और खुश रहने का मौका देता है। दिवाली के दिन हम विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, जिससे आत्मा की शुद्धि भी होती है और आध्यात्मिकता भी हमारे जीवन में प्रवेश करती है। दिवाली का न केवल आध्यात्मिक, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व है, बल्कि यह भारतीय एकता का प्रतीक भी है क्योंकि अन्य स्थानीय त्योहारों के बजाय, यह त्योहार पूरे देश में एक ही भावना से मनाया जाता है। इसलिए यह देश की सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।
दिवाली चार महीने की बरसात के बाद आने वाला त्योहार है। बरसात के मौसम में धान की फसल ढकने के बाद किसानों के चेहरे पर मुस्कान के साथ-साथ उनके लिए भी खुशी का समय होता है. दिवाली से कुछ समय पहले बाजारों को तरह-तरह की चीजों से सजाया जाता है। धनतेरस दिवाली से 3 दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन नए बर्तन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन लोग बाजारों में जमकर बर्तन खरीदते हैं।
अगले दिन नरक चौदसी या छोटी दिवाली पर सूर्योदय से पहले स्नान करने से शुभ फल मिलते हैं। दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इस दिन भगवान गणेश और समृद्धि और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा से घर का वातावरण भी शुद्ध होता है जिससे घर में सकारात्मकता बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन पूरा घर दीयों से जगमगाता है जो पूरे वातावरण में खुशी की भावना भर देता है।
स्वच्छता का प्रतीक दीपावली
दिवाली वह त्योहार है जो बरसात के महीने के बाद आता है। दिवाली से पहले लोग बरसात के मौसम में आई नमी, काई और अन्य गंदगी को हटाकर घर पर अच्छे से रंग देते हैं। पूरे घर की इस तरह से सफाई की जाती है कि उसका जीर्णोद्धार किया गया हो। इस प्रकार यह पर्व स्वच्छता का भी प्रतीक है।
अन्य धर्मों में दिवाली का महत्व
दिवाली न केवल हिंदुओं के लिए खुशी का त्योहार है, बल्कि विभिन्न धर्मों में भी इसका महत्व है। जैन धर्म में माना जाता है कि इस दिन महावीर स्वामी को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी, इसलिए जैन धर्म के अनुयायियों के लिए इस दिन का बहुत महत्व है। सिख धर्म में भी इसी दिन गुरु हरगोबिंद सिंह को रिहा किया गया था। इसी तरह आर्य समाज के लोगों के लिए भी इस दिन का विशेष महत्व है। भारत के अलावा, नेपाल, इंडोनेशिया, मॉरीशस, फिजी और दुनिया में जहां भी हिंदू धर्म के अनुयायी हैं, यह बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
दीपावली पर निबंध 300 शब्दों में
दीपावली, जिसे दीपों का त्यौहार या ज्योति पर्व भी कहा जाता है दीपावली हिंदुओं द्वारा मनाई जाने वाली सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। दीपावली का त्यौहार हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन पड़ता है। इस अमावस्या की रात को लोग दीपक एवं मोमबत्तियां जलाकर प्रकाशमय कर देते हैं।
दीपावली का त्योहार जब आता है तो वर्षा ऋतु की समाप्ति हो गई होती है और खेतों में धान की फसलें भी तैयार हो चुकी होती हैं। हिंदू धर्म में मनाए जाने वाली सभी त्योहारों से कोई ना कोई धार्मिक अथवा ऐतिहासिक कथाएं अवश्य जुड़ी होती है। इसी प्रकार दीपावली के साथ भी कई कथाएं जुड़ी हुई है।
जिसके अनुसार भगवान राम जब 14 वर्ष के बनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने पूरे अयोध्या को फूलों से सजा दिया था। साथ ही उस दिन अमावस्या की अंधेरी रात को घी के दिए जलाकर पूरे राज्य को प्रकाश से जगमगा दिया था। उसके बाद से ही पूरे देश में दीपावली मनाने जाना लगा। भगवान विष्णु ने इसी दिन नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप को मारकर अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह इसी दिन मुगल शासक जहांगीर के कैद से मुक्त हुए थे दीपावली आने के कुछ दिन पहले से ही लोग अपने घरों एवं दुकानों की सफाई एवं रंगाई पुताई करने में जुट जाते हैं। बाजारों में काफी भीड़ देखने को मिलती है।
दीपावली के दिन लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है। बच्चे इस दिन पटाखे और फुलझरिया जलाते हैं तो खूब मनोरंजन करते हैं दीपावली जैसे पावन पर्व पर भी कुछ लोग जुआ खेलकर और शराब पीकर इस पर्व को कलंकित करने से नही चूकते हैं।
दीपावली के दिन किए गए आतिशबाजी से कही कही आज भी लग जाती हैं दीपावली का त्यौहार हमें अपने अंदर के सभी बुराइयों को खत्म करके अच्छाई के रास्ते पर चलने का संदेश देता है। हम सभी को इस पावन पर्व पर्व को निष्ठा एवं पवित्र भावना से मनाना चाहिए।
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