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शिक्षा का अधिकार पर निबंध | Essay on Right to Education in Hindi

संकेत बिन्दु –

  1. प्रस्तावना
  2. शिक्षा का संवैधानिक अधिकार
  3. अनिवार्य बाल – शिक्षा अधिकार का स्वरूप
  4. शिक्षा के अधिकार अधिनियम से लाभ
  5. उपसंहार ।
Essay on Right to Education  in Hindi

1. प्रस्तावना –

शिक्षा का उद्देश्य शिक्षार्थी की समझ को बढ़ाना तथा मानवीय मूल्यों का विकास करना है । सभ्य नागरिक बनना , समाजोपयोगी और सोद्देश्य जीवन – निर्वाह की क्षमता पैदा करना तथा व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर एक युवा को सामाजिक बनाने की प्रक्रिया का नाम शिक्षा है । ‘ सामाजिक विज्ञान विश्वकोश ‘ के अनुसार ‘ एक वयस्क हो रहे बालक को समाज में प्रवेश करने योग्य बनाने की प्रक्रिया ‘ को ही शिक्षा कहते हैं । लोकतन्त्र में सुनागरिकों का निर्माण शिक्षा – प्रसार से ही हो सकता है । इसी कारण हमारे संविधान में शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है ।

2. शिक्षा का संवैधानिक अधिकार –

स्वतन्त्रता प्राप्ति के साथ ही हमारे संविधान के नीति – निर्देशों में यह निश्चय किया गया कि आगामी दस वर्षों में अर्थात् 26 जनवरी , 1960 तक छः से चौदह आयु वर्ग के बच्चों को अनिवार्य एवं निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था होगी । परन्तु यह व्यवस्था दस वर्षों में पूरी नहीं हो सकी और इसे लागू करने में पूरे साठ साल लग गये । इस तरह संविधान के छियासीवें संशोधन से निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम , 2009 के रूप में सामने आया है , जो 1 अप्रैल , 2010 से पूरे भारत में शिक्षा का संवैधानिक अधिकार लागू हुआ है । इससे सभी बालकों को , विशेषकर वंचित व अल्पसंख्यक वर्ग के बालकों को जीवन – जीने की शिक्षा प्राप्त करने का बुनियादी अधिकार प्राप्त हुआ ।

3. अनिवार्य बाल – शिक्षा के अधिकार का स्वरूप-

भारत सरकार द्वारा जारी निःशुल्क और अनिवार्य बाल – शिक्षा का अधिकार – अधिनियम में यह व्यवस्था है कि प्रारम्भिक कक्षा से आठवीं कक्षा तक अर्थात् चौदह वर्ष तक के प्रत्येक बालक कोनिःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्ति का अधिकार होगा । सरकार ऐसे तन्त्र को विकसित करेगी , जिससे सभी बालक शिक्षा पाने के लिए उत्साहित हों । बालिकाओं , अल्पसंख्यकों तथा वंचित वर्ग के बालकों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जायेगी । केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारें समस्त व्यय वहन करेंगी । किसी विद्यालय में प्रविष्ट बालक बालिका को कक्षा आठ तक किसी भी कारण फेल नहीं किया जायेगा , उसे अगली कक्षा में प्रोन्नत किया जायेगा और प्रारम्भिक शिक्षा पूरी किये बिना विद्यालय से निष्कासित भी नहीं किया जायेगा । बालक को शारीरिक दण्ड या मानसिक उत्पीड़न नहीं मिलेगा । राष्ट्रीय बालक अधिकार आयोग के अधिनियमों के अनुसार बालकों के समस्त अधिकारों को संरक्षण दिया जायेगा ।

4. शिक्षा के अधिकार अधिनियम से लाभ –

निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार – अधिनियम से समाज को अनेक लाभ हैं । इससे प्रत्येक बालक को प्रारम्भिक शिक्षा निःशुल्क मिलेगी । अल्पसंख्यकों एवं वंचित वर्ग के बालकों को पूरा प्रोत्साहन मिलेगा । समाज में साक्षरता का प्रतिशत बढ़ेगा । शिक्षा परीक्षोन्मुखी न होकर बुनियादी हो जायेगी तथा शिक्षा का व्यवसायीकरण रुक जायेगा । सभी बालकों के व्यक्तित्व का उचित विकास होगा तथा पिछड़े वर्ग के लोगों का जीवन स्तर सुधर सकेगा । इस अधिनियम के द्वारा सामाजिक उत्तरदायित्व का समुचित निर्वाह हो सकेगा ।

5. उपसंहार –

गाँधीजी की बुनियादी शिक्षा को मॉडल मानकर सरकार ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लागू किया है । इससे शिक्षित एवं संस्कारशील समाज का निर्माण हो सकेगा और देश में साक्षरता का प्रतिशत भी बढ़ेगा । वस्तुतः उक्त अधिनियम के द्वारा सभी बालकों के लिए ज्ञान – मन्दिर के द्वार खुल गये हैं ।

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