कैंसररोधी दवा कैम्पटोथेसिन के विकल्प मानें जाने वाले चीनी तथा भारतीय पौधें विलुप्त हो रहें है। इन पौधों के विलुप्त होने से इनकी कटाई अधिक स्तर पर हो रही है। मद्रास आईआईटी के शोधकर्ताओं ने कैंसररोधी दवा कैम्पटोथेसिन का उत्पादन करने वाले एक नए स्ट्रेन की खोज की है। जिससे दवा की मार्केट प्राइस कम होगी तथा यह आसानी से उपलब्ध हो सकेगी।
कैंसररोधी दवा कैम्पटोथेसिन एक एल्केलाॅयड ( प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले रासायनिक यौगिक) है। इनको चाइनीज पेड़ कैम्पटोथेकैमिनुकेटा और भारतीय पेड़ नोथापोडीट्स नीमोनिना से लिया जाता है। इस शोध का नेतृत्व आईआईटी मद्रास की जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ऐसो प्रोफेसर डॉ स्मिता श्रीवास्तव ने किया। यह शोध जनरल ऑफ साइंटिफिक में प्रकाशित हुआ है।

10 साल में 20% तक कम हुआ पौधा एन निमोनिना । 1 टनकैम्पटोथेसिन के लिए 1000 टन पौधों की आवश्यकता होती हैं।
इन पौधों में है उच्च कैम्पटोथेसिन।
डॉ स्मिता ने बताया है कि एंडोफाइट सूक्ष्म जीव जो पौधों के भीतर रहते हैं उच्च कैम्पटोथेसिन का उत्पादन करतें हैं। इस शोध में कैम्पटोथेसिन। का सर्जन करने वाले 32 स्ट्रेनों का पता लगाया है। उनमें से उच्च उत्पादन क्षमता वाले स्ट्रेन अल्टरनरिया एसपी को अलग किया। तथा पौधे के बाहर उत्पादन के अनुरूप वातावरण के लिए इन विट्रो प्रोडक्शन प्रक्रिया को अपनाया गया है।जिससे कैंसररोधी दवा कैम्पटोथेसिन का उत्पादन किया जा सकेगा।
भारत में कैन्सर के आकड़े चिन्ताजनक।
भारत में कैंसर मृत्यु का एक बहुत बड़ा कारण है। एशियन पेसिफिक जनरल ऑफ़ कैंसर प्रीवेशन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार 2026 तक भारत में हर वर्ष नए कैंसर के मामले पुरुषों में 0. 93 लाख वह महिला रोगियों में 0. 94 लाख पहुंच जाएंगे।
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