गणेश जी और बूढ़ी माई की कहानी :
कुछ समय पहले की बात है एक बुढ़िया माई थी जो हर दिन मिट्टी से बने हुए गणेश जी की पूजा करती थी वह बुडिया माँ रोज गणेश जी का मंदिर बनाती और वह मंदिर रोज गल जाता वही पास में ही एक धनी सेठ का मकान बन रहा था बुडिया माँ एक दिन वहाँ जाकर काम करने वाले मिस्त्री से बोली की आप यहाँ से मेरे लिए एक पथर के गणेश जी बना दोगे |
तब वहां के मिस्त्री ने कहा कि हम तुम्हारे लिए गणेश जी नहीं बनाएंगे जितनी देर में हम गणेशजी बनाएंगे इतनी देर में हम अपना आधा काम पूरा कर लेंगे तो बुढ़िया मां ने गुस्से में आकर कहा कि राम करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए उसके बाद मिस्त्री ने अपनी दीवार बनाई और वह टेढ़ी हो गई मिस्त्री ने उस दीवार को फिर से तोड़कर दुबारा बनाई और फिर से वह दीवार टेढ़ी हो गई मिस्त्री बार-बार दीवार को बनाता और तोड़ देता ऐसे करते-करते शाम हो गई फिर थोड़ी देर में सेठ आया और उसने कहा आज तुम लोगों ने कुछ भी काम नहीं किया |
तो फिर वह लोग सेठ से कहने लगे एक बुढ़िया आई थी उसने हमसे कहा कि एक पत्थर के गणेश जी बना दो तो हम ने मना कर दिया तब उसने कहा तुम्हारी दीवार तेरी हो जाएगी तब से दीवार टेढ़ी ही बन रही है और हम बनाते हैं और उसे फिर तोड़ देते हैं |
सेठ ने उनकी सारी बातें सुनी और मिस्त्री को बोला अभी की अभी जाओ और बुढ़िया मां को लेकर आओ तब मिस्त्री बुढ़िया को लेकर आया और सेठ ने बूड़िया से कहा कि हम तुम्हारे लिए सोने का गणेश जी बना कर देंगे तुम हमारी दीवार सीधी करवा दो और सेठ ने गुड़िया को सोने से बने हुए गणेश जी की मूर्ति दी और उसके बाद सेठ की दीवार सीधी हो गई |
हे गणेश जी महाराज जैसी आपने सेठ की दीवार सीधी की वैसी सभी की करना |
बोलिए गणेश जी महाराज की जय |