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जानु शीर्षासन के लाभ। janu sirsasana benefits in hindi. benefits of janu sirsasana.

जानु शीर्षासन के लाभ की बात करें तो इस आसन को करने से अनेकों लाभ मिलते हैं।जानुशीर्षासन (janu sirsasana) संस्कृत भाषा का शब्द है जो 3 शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है जानु जिसका अर्थ होता है घुटना। दूसरा शब्द है शीर्ष जिसका अर्थ है सिर और तीसरा शब्द है आसन। आसन का अर्थ बैठने लैटने या खड़े होने की मुद्रा है। जानू शीर्षासन(janu sirsasana)की खोज भारत के महान योग गुरुओं द्वारा की गई थी। और इसे सबसे नवीनतम आसनों में से एक माना जाता है। और साथ ही साथ यह आसन अनेक अवसादो को दूर करने में भी प्रभावशाली है तो आइए जानते हैं। जानु शीर्षासन के लाभ क्या है।

जानु शीर्षासन के लाभ इस प्रकार है।

जानु शीर्षासन के लाभ। janu sirsasana benefits in hindi.

  1. यह आसन यकृत , गुर्दा व बढ़े हुए वृषणकोशों को रोगमुक्त करता है ।
  2. पुरुषों के प्रमेह तथा स्त्रियों के प्रदर रोगों में लाभदायक है ।
  3. ब्रह्मचर्य रक्षा , ज्वर निवारण , कुण्डलिनी माता जागरण में लाभ देता है । पाचन संस्थान को भी पर्याप्त प्रभावित करता है ।
  4. जानु शीर्षासन को करने से स्वपनदोष की समस्या का भी निवारण हो जाता है।
  5. टखनों एवं घुटनों में मोच हो तो इस आसन को करने से लाभ होता है ।
  6. कूबड़ के उपचार में लाभदायक सिद्ध होता है ।
  7. मोटे पाँवों व नितम्बों को सुन्दर व सुडौल बनाता है एवं शरीर को कान्तिमय रखता है ।
  8. पूरे शरीर की कठोरता दूर करता है ।
  9. जानुशीर्षासन को करने से पीठ दर्द में लाभदायक होता है। क्योंकि यह आसन रीढ में रक्त प्रवाह उत्तेजित करता है।
  10. जानुशीर्षासन मस्तिष्क को शांत करता है तथा हल्के अवसाद को दूर करने में मदद करता है।
  11. रीढ, कंधे, हैमस्ट्रिंग, और कमर को लचीला तोता मजबूत बनाता है।
  12. रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत दिलाता है। और मासिक धर्म की परेशानी से भी छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
  13. यह आसन हाई ब्लड प्रेशर तथा साइनस के लिए भी लाभदायक माना गया है।
  14. जानु शीर्षासन को करने से कमर, जंघा, कुल्हे, हैमस्ट्रिंग पर खिंचाव पड़ता है जिससे यह पर्याप्त मात्रा में खुल जाते हैं।
  15. इस आसन को करने से कमर का टेढ़ापन दूर होता है और कमर दर्द में भी राहत दिलाता है।
  16. जानु शीर्षासन से पीठ के निचले हिस्से, कन्धों व टखने का भी अच्छी तरह से व्यायाम हो जाता है। और इनकी कठोरता भी दूर होती है।
  17. एक योगी और एक विद्यार्थी के जीवन में इस आसन की उपयोगिता अधिक है क्योंकि यह आसन वीर्य संचयन का कार्य करता है। और इससे प्रमाणित तथा संभावित दोनों प्रकार के लाभ होते हैं।
  18. यह आसन पाचन तंत्र को मजबूत बनाकर जठराग्नि को बढ़ाता है।
  19. यदि आपके शरीर में अकड़न रहती है तो यहां आसन आपके लिए बिल्कुल उपयुक्त है । इसको करने से शारीरिक अकड़न दूर होती है।
  20. इसके नियमित अभ्यास से गर्दन की मांसपेशियां लचीली होती है और स्पोंडिलाइटिस नहीं होता है।
  21. वर्षण तथा वर्षणकोश में सूजन को दूर करता है। और इन्हें सही आकार में लाता है।
  22. जानु शीर्षासन नियमित रूप से करने वाले व्यक्ति के शरीर में तेज आ जाता और शरीर कांतिमय होकर चमकने लगता है। इससे चेहरे तथा ललाट पर चमक आती है।

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