दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जिसमें हार्ट का एक भाग अस्थाई रूप से कमजोर हो जाता है। जिससे दिल की खून को पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति ज्यादा तनाव ले लेता है। तनाव की स्थिति में व्यक्ति के शरीर में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ने लगते हैं तथा हृदय की नसे सिकुड़ने लगती हैं। ऐसी स्थिति को स्ट्रेस cardiomyopathy कहते है। ऐसा किसी दुर्घटना या किसी अपने के निधन, दुखद समाचार, लव फैलियर आदि कारणों से होता है। इसमें हार्टअटैक जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। तो आइए जानते हैं कि Dil ka tutna या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण कौन-कौन से हैं।
दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (Dil ka tutna) के लक्षण
1. सांस फूलना – दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम मे सांस फूलने का लक्षण दिखाई पड़ता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दिल के कमजोर हो जाने के कारण द्रव फेफड़ों में बढ़ने लगता है जिससे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। और थोड़ा सा काम करने पर भी सांस फूलने लगती है।
2. चक्कर आना – दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम में चक्कर आने जैसे लक्षण प्रदर्शित होते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दिल रक्त को सही तरीके से पंप नहीं कर पाता है जिससे शरीर में कमजोरी आने लगती है तथा चक्कर आते हैं। हृदय के द्वारा रक्त को पंप कर पाने में कमी होने पर शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती हैं जिससे चक्कर आते हैं।
3. घबराहट होना – खांसी के साथ में घबराहट होती हैं तो यह दिल की बीमारी का संकेत हो सकता है। जब दिल कमजोर होता है तो फेफड़ों में द्रव जमा होने लगता है। जिससे सांस लेने पर लगातार खासी अथवा घबराहट होने लगती है। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि आपको अचानक तेज घबराहट होने लगती है तथा शरीर शिथिल होने लगता है। साथ में चक्कर आने की समस्या भी हो सकती है।
4. बीपी कम होना – दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम में दिल कमजोर हो जाता है। जिससे रक्त को ठीक से पंप नहीं कर पाता जिससे ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।
5. थकान होना – जब शरीर इतना खून पंप नहीं करता है कि वह अंगों तक पहुंच पाए तो शरीर मांसपेशियों का खून अंगों में पहुंचा देता है जिससे थकान होने लगती हैं। शरीर में थकान हार्ट की नली में सूजन तथा इन्फेक्शन के कारण भी हो सकती है। इसके साथ-साथ थकान होना दिल के कमजोर होने की निशानी है। इससे रोजमर्रा के मामूली काम करने में थक जाते हैं अथवा अधिक थकान होने लगती हैं। थकान होना भी दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण है।
6. धड़कन का अनियमित होना – दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम में धड़कन का अनियमित होना सामान्य लक्षण है। जब हार्ट सामान्य रूप से खून को पंप नहीं कर पाता है तो खून को सभी अंगों में पहुंचाने के लिए हार्ट तेजी से धड़कने लगता है जिससे हार्टबीट बढ़ जाती है। यदि दिल खून को सही पंप नहीं कर पा रहा है तो वह खून को सभी अंगों तक पहुंचाने के चक्कर में तेजी से धड़कने लगता है अर्थात दिल प्रति मिनट सामान्य से अधिक धड़कने लगता है जिसे हार्टबीट बढ़ जाती हैं। और कभी हदय प्रति मिनट सामान्य से कम धड़कने लगता है जिससे हार्टबीट कम हो जाती है।
7. फेफड़ों में पानी भरना – हार्ट के कमजोर हो जाने के कारण रक्त को पंप नहीं कर पाता है जिससे फेफड़ों में पानी भरने लगता है। फेफड़ों में पानी भरने के कारण ही सास के फूलने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से बचाव के लिए क्या करें।

दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से बचाव के लिए योग तथा व्यायाम करना जरूरी है। यह बीमारी मुख्यतः तनाव के कारण होती है। तथा कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिलती हैं। इससे बचाव के लिए नियमित योग व्यायाम और ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। प्रतिदिन 35 से 40 मिनट तक अभ्यास करना चाहिए। ऐसा करने से तनाव कम होता है और शरीर में बनने वाले स्ट्रेस हार्मोन कम होने लगते हैं। शरीर में स्ट्रेस हार्मोन बनना बंद हो जाते हैं। जैसे इस बीमारी की आशंका कम हो जाती है। इसके साथ साथ हेल्दी डाइट ले।
दिल का टूटना या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का खतरा किन्हें हैं।
पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है। यह बीमारी 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों, मिर्गी के रोगियों या जिनके सिर पर गहरी चोट लगी हो होने में होने का खतरा अधिक रहता है। जिन लोगों में ज्यादा तनाव रहता है या वे मानसिक रोगी है उनमें भी यह दिक्कत होती है।