माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं इसे माघी की अमावस्या भी कहते हैं। यह योग पर आधारित एक महाव्रत है। हिंदू धर्म में विशेष कारण से मौनी अमावस्या का महत्व है तो आइए जानते हैं मौनी अमावस्या का महत्व और पूजा विधि।
मौनी अमावस्या का महत्व।mauni amavasya ka mahatva.

मौनी अमावस्या का महत्व- माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं इस दिन मौन रखना चाहिए। मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है इसलिए इस व्रत का मौन धारण करके समापन करने वाले व्यक्ति को मुनि का पद प्राप्त होता है। यह दिन सृष्टि के संचालक मनु का जन्म दिवस भी है। इस दिन गंगा स्नान और दान दक्षिणा का विशेष महत्व है।
ऐसी मान्यता है कि मौन रखने से आत्मबल में वृद्धि होती है इस दिन मौन रहकर गंगा स्नान या किसी पवित्र सरोवर में स्नान करना चाहिए यदि यह अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है अनेक लोग समूचा माघ प्रयाग में संगम के तट पर कुटिया बनाकर निवास करते हैं नित्य त्रिवेणी स्नान करते हैं। माना जाता है कि इस दिन संगम में देवताओं का निवास रहता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का महत्व और बढ़ जाता है। माघ स्नान का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है।
मोनी अमावस्या ही एकमात्र ऐसी अमावस्या है जिसमें मौन व्रत रखने का विधान है। अनवरत रखना ऐसे व्यक्ति को आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विशेष लाभ मिलता है। मौन व्रत रखने से व्यक्ति के आंतरिक विकार नष्ट हो जाते हैं मौन व्रत करने वाले व्यक्ति के आत्मबल में वृद्धि होती है और वाणी विकार दूर होते हैं। मौन व्रत रखने से व्यक्ति को इंद्रियों पर काबू रखने की शक्ति प्राप्त होती है और व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक बल का विकास होता है।
इस दिन मौन रहकर पूजा पाठ और भगवान की अराधना करने से कालसर्प दोष और पितृदोष का नाश होता है। फोन रहकर पूजा पाठ करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है। मनु ऋषि का जन्म हुआ था बुद्ध ने कहा था की मौन व्रत व्यक्ति की उदासी दुख और गिलानी को खत्म कर देता है। मौनी अमावस्या के दिन यदि पूर्ण मौन व्रत नहीं रख सकते तो सवा घंटे का मौन व्रत अवश्य रखना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन रखे गए मौन व्रत से 16 गुना अधिक फल की प्राप्ति होती हैं।
मोनी अमावस्या पूजा विधि – मौनी अमावस्या की तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी सरोवर में स्नान करना चाहिए। स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्नान करने से पूर्व मौन व्रत रखना चाहिए। यदि आप चाहे तो मौन व्रत पूरे दिन का रख सकते हैं। स्नान ध्यान करने के पश्चात गरीबों और ब्राह्मणों को आटा या अनाज का दान भी देना चाहिए। अब तांबे के लोटे में जल भरकर उस में काले तिल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
इस दिन अनाज, आटा, भोजन, वस्त्र, गाय, सोना या अन्य उपयोगी सामग्री का सामर्थ्य अनुसार दान करें। मौनी अमावस्या के दिन ईश्वर की भक्ति में लीन रहते हुए आचरण शुद्ध रखें।
मौनी अमावस्या के दिन किसी प्रकार का नशा ना करें। इस दिन गुस्सा करने से बचें और अपशब्दों का प्रयोग ना करें। मौनी अमावस्या को मन में गायत्री मंत्र का या मंत्रोच्चारण के साथ श्रद्धा पूर्वक ईश्वर में ध्यान लगाए। जो व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक करता है उसके लिए मौनी अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है।
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