Homeइतिहाससम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

सम्राट विक्रमादित्य का नाम विक्रम सेन था। महाराज विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे। जो अपने न्याय वीरता पराक्रम शौर्य ज्ञान तथा उदारशिलता के लिए प्रसिद्ध थे। कलिकाल के 3000 वर्ष बीत जाने के पश्चात 101 ईसा पूर्व विक्रमादित्य का जन्म हुआ था। विक्रमादित्य के पिता का नाम गर्दभील्ल( गंधर्वसेन) था। सम्राट विक्रमादित्य की बहन का नाम मैनावती था तथा उनके भाई भर्तृहरि महाराज थे। सम्राट विक्रमादित्य की मां का नाम सौम्यदर्शना था। महाराज विक्रमादित्य की 5 पत्नियां भी थी जिनका नाम मलावती, मदनलेखा, पद्मिनी,चेल्ल और चिलमहादेवी था। महाराज के 2 पुत्र विक्रमचरित और विनय पाल थे तथा उनकी दो पुत्रियां विधोत्तमा(प्रियगुंमजंरी) तथा वसुंधरा थी। सम्राट विक्रमादित्य के एक भांजा था जिसका नाम गोपीचंद था। तथा उनके प्रमुख मित्रों में भट्टमात्र का नाम आता है।  महाराज विक्रमादित्य के राज में राजपुरोहित त्रिविक्रम तथा वसुमित्र थे। तथा उनके सेनापति विक्रम शक्ति तथा चंद्र थे। महाराज विक्रमादित्य ने शको को परास्त किया था। उन्होंने अपनी जीत के साथ ही हिंदू विक्रम संवत की शुरुआत की थी। तथा नौ रत्नों की शुरुआत भी महाराज विक्रमादित्य द्वारा ही की गई। जिसको तुर्क अकबर ने भी अपनाया था।

महाराज विक्रमादित्य अपनी जनता के कष्ट तथा हाल जानने के लिए छद्मवेष धारण कर नगर भ्रमण के लिए जाते थे। वे अपने राज्य में न्याय व्यवस्था कायम रखने के लिए हर संभव प्रयास करते थे। राजा विक्रमादित्य लोकप्रिय तथा न्याय प्रिय राजाओं में सर्वश्रेष्ठ माने जाते थे।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और दरबार

तो आइए जानते हैं सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों के नाम और उनके दरबार में उपस्थित अन्य लोगों के बारे में।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों के नाम।

नवरत्नों की शुरुआत महाराज विक्रमादित्य द्वारा ही की गई।भारतीय परंपरा के अनुसार सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न 1.धन्वंतरि,2.क्षपणक,3. अमर सिंह , 4.शंकु,5.खटकरपारा,6.कालिदास,7. वेतालभट्ट(बेतालभट्ट) ,8.वररुचि, और 9.वराहमिहिर थे। सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्न अत्यंत ज्ञानी तथा विद्वान माने जाते थे तो आइए जानते हैं महाराज विक्रमादित्य के नवरत्नों के बारे में।

1.धन्वन्तरि- महाराज विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक धन्वंतरि वैद्य तथा औषध विज्ञानी थे। उनके लिखे नो ग्रंथ पाए जाते हैं जो सभी आयुर्वेदिक शास्त्र से संबंधित थे। आज भी किसी वैद्य की प्रशंसा करनी हो तो उसकी धन्वंतरी से उपमा दी जाती है।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

2.क्षणपक– सम्राट विक्रम सभा के द्वितीय नवरत्न क्षणपक को कहा गया है यह बौद्ध सन्यासी थे। उन्होंने कुछ ग्रंथ लिखे जिनमें भिक्षाट्टन  तथा नानार्थकोष ही उपलब्ध बताए जाते हैं।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

3.अमर सिंह- इनको कोष( डिक्शनरी)  का जनक माना जाता है। इन्होंने शब्दकोश बनाया था तथा साथ ही शब्द ध्वनि पर कार्य किया। यह प्रकाण्ड विद्वान थे। बोधगया में एक मंदिर से प्राप्त शिलालेख के आधार पर पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण इन्होंने ही करवाया था। इनके अनेक ग्रंथों में से एक मात्र ग्रंथ अमरकोश ऐसा है कि इसके आधार पर उनका यश अखंड है। संस्कृत विद्वानों के अनुसार अष्टाध्यायी पंडितों की माता तथा अमरकोश पंडितों का पिता कहा गया है। अर्थात यदि कोई इन दोनों ग्रंथों को पढ़ ले तो वह महान पंडित बन जाता है।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

4.शकुं- नीति शास्त्र का ज्ञान रखते थे अर्थात यह नीति शास्त्री तथा रसाचार्य थे। उनका पूरा नाम शड्कुक हैं।  इनका एक काव्य ग्रंथ भुवनाभ्युदयम बहुत प्रसिद्ध रहा है। लेकिन वह आज भी पुरातत्व का विषय बना हुआ है।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

5.वैतालभट्ट – वेतालभट्ट एक धर्माचार्य थे। और यह माना जाता है कि उन्होंने ही सम्राट विक्रमादित्य को  सोलह छन्दों (नीति प्रदीप) आचरण का श्रेय दिया था। या युद्ध कौशल में भी महारथी थे। ये हमेशा सम्राट विक्रमादित्य के साथ ही रहे। तथा  सीमवर्ती सुरक्षा के कारण इन्हें द्वारपाल भी कहा गया। विक्रम तथा बेताल की कहानी लोकप्रिय तथा जगत प्रसिद्ध है। वेताल पंचविशंति के रचीयता यही है। किंतु इनका नाम अभी सुनने को नहीं मिलता।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

6.घटकर्पर – जितने भी लोग संस्कृत जानते हैं वह सब जानते हैं कि घटकर्पर किसी व्यक्ति का नाम नहीं हो सकता। उनका वास्तविक नाम यह नहीं है। इनकी प्रतिज्ञा थी कि जो भी विद्वान इनको अनुप्रास तथा यमक में पराजित कर देगा यह उनके घर फूटे घड़े से पानी भरेंगे। बस तभी से इनका नाम घटकर्पर प्रसिद्ध हो गया किंतु इनका वास्तविक नाम अभी तक लुप्त है। इनकी रचना का नाम भी घटकर्पर काव्यम हीं है। उनका एक अन्य ग्रंथ नीतिसार के नाम से भी प्रसिद्ध है।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

7.कालिदास- महाराज विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक कालिदास प्रसिद्ध संस्कृत राज कवि थे। कालिदास जी महाराज विक्रमादित्य के प्राण प्रिय कवि थे। कालिदास जी की कहानी अत्यंत रोचक है कहा जाता है कि इनको विद्या मां काली की कृपा से प्राप्त हुई। सबसे इनका नाम कालिदास पड़ गया। व्याकरण की दृष्टि से यह कालीदास होना चाहिए था। परंतु इनकी प्रतिभा को देखकर अपवाद रूप में कालिदास ही रखा गया। जैसे विश्वामित्र को उसी रूप में रखा गया हैं। कालिदास जी के चार काव्य तथा तीन नाटक प्रसिद्ध है। शकुंतलम उनकी अनंतमय कृति मानी जाती है।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

8.वराहमिहिर – वराहमिहिर उस युग के  प्रमुख ज्योतिषी माने जाते हैं। जिन्होंने महाराज विक्रमादित्य के बेटे की मौत की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। तथा वराहमिहिर ने ही विष्णु स्तम्भ का निर्माण करवाया था। जिसे मुगलों के आक्रमण के बाद  क़ुतुब मीनार में बदल दिया गया था। वराहमिहिर  ने ही काल गणना, हवाओं की दिशा, पशुधन  प्रवृत्ति, वृक्षों से भूजल का आकलन आदि की खोज की। उन्होंने अनेक ग्रंथ लिखे जिनमें से बृहज्जातक,सुर्यसिद्धांत, बृहस्पति संहिता, पंचसिद्धान्ती, मुख्य हैं। गणक,तरिन्गणी,लघु जातक,  समास संहिता, विवाह पटल, योग यात्रा आदि का भी इनके नाम से उल्लेख मिलता है।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

9.वररुचि यह कवि तथा व्याकरण के ज्ञाता थे।  शास्त्रीय संगीत का ज्ञान प्राप्त था। कालिदास जी की भांति ही इन्हें भी काव्यकर्ताओं में से एक माना जाता है। उनके नाम पर मतभेद है क्योंकि उनके नाम के तीन व्यक्ति हुए हैं।

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न और विक्रमादित्य का दरबार।

नौरत्नो के चित्र– मध्य प्रदेश के उज्जैन महानगर के महाकाल मंदिर के पास ही सम्राट विक्रमादित्य टीला है। यहां पर विक्रमादित्य के नवरत्नों की मूर्तियां विक्रमादित्य संग्रहालय में स्थापित की गई है।

उनके प्रमुख मित्रों में भट्टमात्र का नाम आता है।  महाराज विक्रमादित्य के राज में राजपुरोहित त्रिविक्रम तथा वसुमित्र थे। तथा उनके सेनापति विक्रम शक्ति तथा चंद्र थे।

तो दोस्तों मैं आशा करता हूं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी धन्यवाद ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here