Homeyogaसूर्य नमस्कार आसन। सूर्य नमस्कार।perfect surya namaskar. surya namaskarin hindi.

सूर्य नमस्कार आसन। सूर्य नमस्कार।perfect surya namaskar. surya namaskarin hindi.

सूर्य सौरमंडल का केंद्र बिंदु है। जिस प्रकार दिन का प्रारंभ सूर्योदय से होता है ठीक उसी प्रकार योगासनों की शुरुआत भी ‘सूर्य नमस्कार’ से होती हैं। सूर्य नमस्कार को योगासनों की प्रथम सीडी भी कहा जाता है। सूर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ सूर्य को नमन, अर्पण अथवा नमस्कार करना होता है। सूर्य नमस्कार में शरीर हर मुद्रा में विशेष कोण पर मुड़ता है। जिससे शरीर लचीला हो जाता है और आगे के सभी कठिन आसन भी सरलता से हो जाते हैं आसन पर आरंभ करने से पहले सूर्य नमस्कार की विविध मुद्राओं में पारंगत होना आवश्यक है। सूर्य नमस्कार शक्तिशाली योग मुद्राओं का समन्वय है। इन मुद्राओं को करने से व्यक्ति का शरीर हमेशा स्वस्थ और दुरुस्त बना रहता है सूर्य नमस्कार करने से शरीर को अत्यंत लाभ मिलता है। तथा कई बीमारियां दूर होती है।

सूर्य नमस्कार के लाभ

1. सूर्य नमस्कार आसन से शरीर के सभी अंगों पर असर पड़ता है विशेषकर संधि स्थानों की कठोरता दूर होती है।

2. रीड स्तंभ के आगे पीछे होने से उसमें पूर्णतः लचीलापन आ जाता है।

3. सूर्य नमस्कार आसन करने से जोड़ों में जमा विषाक्त तत्व दूर होते हैं।

आध्यात्मिक शक्ति। आध्यात्मिक लाभ

मंत्रों सहित सूर्य नमस्कार की सभी स्थितियों को करने से मन में एकाग्रता आती है। चित्त शांत होता है चक्रों पर विशेष ध्यान देने से कुंडलिनी माता के जाग्रत होने में मदद मिलती है।

श्वास

सामने की सभी स्थितियों में झुकने में रेचक करना चाहिए तथा पीछे की ओर झुक कर किए जाने वाली सभी स्थितियों में पूरक करना चाहिए। कुछ स्थितियों में कुंभक किया जा सकता है। इसलिए सूर्य नमस्कार से प्राणायाम भी होता है।

पाचन तंत्र (पाचन संस्थान) पर असर।

सूर्य नमस्कार से सभी निःस्रोत ग्रंथियों पर असर पड़ता है। जिससे ग्रंथियां अपने स्वाभाविक रूप से कार्य करते रहती है। इससे बीमारियों की संभावना नहीं रहती यकृत, प्लीहा, वक्र, अग्नाशय आदि पर विशेष असर पड़ता है।

सूर्य नमस्कार की स्थितियां व मंत्र।surya namaskar ki kitni sthitiyan hain.surya namaskar mein kitne mantra hote hain.

सूर्य नमस्कार आसन में 12 स्थितियां होती है तथा इन 12 स्थितियों के साथ 12 मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। तो आइए जानते हैं इन 12 स्थितियों तथा मंत्रों के बारे में।

सूर्य नमस्कार स्थिति – 1

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति एक में सर्वप्रथम सूर्य की ओर मुख करें। अब दोनों पाव को मिलाकर सीधे खड़े हो जाए और नमस्कार की मुद्रा बनाएं। जैसा चित्र में दिखाया गया है। इससे पैरों का टेढ़ापन दूर होता है, त्रिषिख मजबूत बनते हैं, गर्दन, पुट्ठे मजबूत बनते हैं। इस आसन को करने से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है और मन शांत होता है।

ॐ मित्राय नमः मंत्र का जाप मन में करें।

सूर्य नमस्कार स्थिति - 1
सूर्य नमस्कार स्थिति – 1

सूर्य नमस्कार स्थिति – 2

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति दो में नमस्कार की मुद्रा को छोड़कर धीरे-धीरे दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए शरीर के साथ धड़ को पीछे की ओर झुकाएं। जैसा चित्र में दिखाया गया है। इस आसन के समय मन में तेजस्वी शक्तिशाली बनने का भाव होना चाहिए। इस स्थिति में टांगों के स्नायु मजबूत बनते हैं। पेट, पीठ, नितंब व अंतडियों का अच्छा व्यायाम होता है।

ॐ रवयै नमः मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 2

सूर्य नमस्कार स्थिति – 3

विधि – सूर्यनमस्कार स्थिति 3 में स्थिति दो को धीरे धीरे छोड़ते हुए हाथों सहित सिर को धड़ के आगे की ओर झुकाते हुए नाक को घुटनों से स्पर्श कराएं। तथा दोनों हाथों के पंजों को पाव के पंजों के बराबर जमीन पर टिकाए। जैसा की चित्र में दिखाया गया है। इससे गले गर्दन पीठ और कमर का अच्छा व्यायाम होता है। पैरों को आगे ले जाने से यकृत पर लाभदायक प्रभाव पड़ता है।

ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 3

सूर्य नमस्कार स्थिति – 4

विधि – सूर्य नमस्कार की स्थिति 4 में स्थिति 3 को धीरे धीरे छोड़ते हुए पहले बाएं पैर को आगे की और निकालें तथा उसे घुटनों से मोड़ें। दोनों हाथों की हथेलियां बाए पैर के पंजे के बराबर जमीन पर टिकाए तथा इसके बाद दाएं पैर को पीछे की ओर सीधा जमीन पर सटाकर रखें। नजर सामने किंतु आंखें बंद रखें संपूर्ण शरीर का भार हथेलियों के पंजों पर रहता है। चित्र अनुसार स्थिति को करें। इससे हाथ पाव सुदृढ़ और शक्तिशाली बनते हैं, पेट का खिंचाव होने से मंदाग्नि तीव्र होती है, कमर में लचीलापन आता है।

ॐ भानवे नमः मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 4

सूर्य नमस्कार स्थिति – 5

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति 5 में स्थिति 4 को छोड़ते हुए दोनों पैरों के पंजों को पीछे की ओर तथा हाथों के पंजों को आगे की और भूमि पर टिकाए। इस प्रकार सिर के साथ धड़ को थोड़ा ऊपर उठाते हुए रखें। श्वास को बाहर निकालते हुए रुकना चाहिए। श्रोणि भाग एवं पाव के घुटनों और टखनों के खिंचाव होने से महिलाओं में प्रदर एवं पुरुषों में प्रमेह रोग मे लाभदायक होता है।

ॐ खगाय नमः मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 5

सूर्य नमस्कार स्थिति – 6

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति 6 में स्थिति 5 से धीरे-धीरे हाथ के पंजों कोहनियों से मोड़ते हुए पूरे शरीर को हाथों के पंजों के बल जमीन पर टिकाए। गर्दन एवं थोड़ी को सीधी रखकर जमीन स्पर्श कराए तथा अष्टांग नमस्कार मुद्रा में जाए। यानी शरीर के आठ अंग भूमि से स्पर्श कराए। इस स्थिति को साष्टांग कहते हैं। इसमें पाचन शक्ति बढ़ती है गले और पेट की बीमारियां दूर होती है।’गंडमाला’ कंठमाल जैसे रोग दूर होते हैं। महिलाओं में प्रदर एवं पुरुषों में प्रमेह रोग में यह आसन लाभदायक होता है। इस आसन को करने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।

ॐ पूष्णै नमः मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 6

सूर्य नमस्कार स्थिति – 7

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति 7 में स्थिति 6 से लेटे हुए शरीर के अग्रभाग अर्थात धड को हाथ के पंजों के बल उपर उठाए तथा सीने को तानकर रखें। हाथों को हथेलियों के बल पर सीधे रखें तथा पीछे दोनों पैरों को मिलाकर जमीन पर सटाकर रखें। यह आसन रीड की हड्डी को लचीला बनाता है। सीने को चौड़ा व कमर पतली व सुडौल बनाता है, बड़े हुए पेट को कम कर सुडोल बनाता है, स्वपनदोष रोग को मिटाता है, कब्ज का नाश करता है, गुर्दों को ताकत देता है, पूरे पाचन तंत्र को सुदृढ़ बनाता है।

‘ॐ हिरण्यगर्भाय नमः’ मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 7

सूर्य नमस्कार स्थिति – 8

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति 8 में स्थिति 7 से धीरे-धीरे पीठ को ऊपर की ओर उठाए हुए दोनों पांव पीछे की ओर तने हुए तथा हाथों भूमि पर टिके हुए एवं आगे की और तने हुए रहने चाहिए। इसे श्वास को बाहर निकालते हुए करना चाहिए। श्रोणि भाग एवं पांव के घुटने और टखनों में खिंचाव होने से महिलाओं में प्रदर एवं पुरुषों में प्रमेह रोग में यह लाभदायक होता है।

‘ॐ मारीचये नमः’ मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 8

सूर्य नमस्कार स्थिति – 9

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति 9 में स्थिति 8 से दाएं पांव को आगे की ओर रखें तथा दोनों हाथों के पंजे भी दाएं पैर के बराबर टिकाए तथा बाएं पैर के पंजे को पीछे की ओर रखते हुए थोड़ा तान कर रखें। नजर सामने की ओर किंतु आंखें बंद रखें पेट का खिंचाव होने से मंदाग्नि तीव्र होती है कमर में लचीलापन आता है।

‘ॐ आदित्याय नमः’ मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 9

सूर्य नमस्कार स्थिति – 10

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति 10 में स्थिति 9 से वापस दोनों पांव के पंजे सटाकर जमीन पर रखते हुए एवं दोनों हाथों के पंजे भी दोनों पांवो के बगल में जमीन पर टिका कर रखें । तथा गर्दन को झुका कर रखते हुए नाक घुटनों से लगाने की चेष्टा करनी चाहिए। इससे गले, गर्दन ,पेट, कमर एवं यकृत पर लाभदायक प्रभाव पड़ता है।

‘ॐ सवित्रे नमः’ मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 10

सूर्य नमस्कार स्थिति – 11

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति 11 में स्थिति 10 से धीरे-धीरे धड़ को वापस ऊपर उठाकर सामान्य स्थिति में लाए। तथा धीरे-धीरे दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाए। इससे पेट, पीट, नितंब व अंतडियां पुष्ट होती है। यह आसन रीड की हड्डी की कठोरता को दूर करता है।

‘ॐ अर्काय नमः’ मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 11

सूर्य नमस्कार स्थिति – 12

विधि – सूर्य नमस्कार स्थिति 12 में स्थिति 11 से वापस धीरे-धीरे शरीर को सीधा खड़ा रखते हुए नमस्कार मुद्रा में आ जाए। इसमें सूर्य भगवान का ध्यान भृकुटी अर्थात भूमध्य में करते हुए धीरे-धीरे सूर्योदय होने का चिंतन करें। यह आसन करने से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती हैं और मन शांत होता है।

‘ॐ भास्कराय नमः’ मंत्र का जाप मन में करें।

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सूर्य नमस्कार स्थिति – 12

तो दोस्तों मैं आशा करता हूं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी धन्यवाद।

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