Homeहरियाली तीज की कहानी। Hariyali Teej ki kahani.

हरियाली तीज की कहानी। Hariyali Teej ki kahani.

सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस बार हरियाली तीज 23 जुलाई को  गुरुवार के दिन है। हरियाली तीज का  संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है इस वजह से यह त्योहार सुहागन महिलाओं के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है। हरियाली तीज की मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए थे और इसी दिन ही माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म की कथा भी सुनाई थी।

हरियाली तीज की कहानी –

हरियाली तीज की कहानी। Hariyali Teej ki kahani.

भगवान शिव ने देवी पार्वती को उनके पिछले जन्मों की याद दिलाने के लिए तीज की कहानी सुनाई। एक बार की बात है, माता पार्वती को अपने पिछले जन्म का स्मरण नहीं हो रहा था, तब भोलेनाथ माता से कहते हैं कि हे पार्वती! आपने मुझे पाने के लिए 107 बार जन्म लिया लेकिन आप मुझे पति के रूप में नहीं पा सकी थी। लेकिन 108 वें जन्म में आप पर्वतराज हिमालय के घर में पैदा हुई और मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की।

आपने अन्न जल को त्याग दिया। पत्ते खाए, अन्न-जल त्याग दिया, और शीत, ग्रीष्म और वर्षा में बहुत कष्ट सहे, आप अपनी बात पर अडिग रही। आपके कष्टों को देखकर आपके पिता को बहुत दुख हुआ, तब नारद मुनि आपके घर आए और कहा कि भगवान विष्णु ने मुझे भेजा है। भगवान आपकी बेटी की से बहुत खुश है और उन्होंने शादी का प्रस्ताव भेजा है।

पर्वतराज खुशी-खुशी आपका विवाह विष्णु से करने के लिए तैयार हो गए। नारदजी ने विष्णु को यह शुभ समाचार सुनाया, लेकिन जब आपको इसका पता चला तो बहुत दुख हुआ। आपने मुझे पहले ही अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया था। आपने अपने मन की बात अपनी सखी को बता दी।

आपकी सखी ने आपको एक घने जंगल में छिपा दिया जहां आपके पिता नहीं जा सकते थे । वहाँ आप तपस्या करने लगी। आपके गायब होने से पिता चिंतित होकर सोचने लगे कि क्या होगा अगर विष्णुजी इसी बीच बारात ले आए।

शिवजी ने आगे पार्वतीजी से कहा- आपके पिता ने आपकी खोज में तीनो लोकों को मिला दिया लेकिन आप नहीं मिली। गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर आप मेरी पूजा में लीन हो गई। मैं आपकी भक्ति से प्रसन्न हुआ, मैंने आपकी इच्छा पूरी करने का वादा किया। आपके पिता आपको खोजते हुए गुफा में पहुंचे।

आपने बताया कि शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अधिकांश जीवन तपस्या में व्यतीत हुआ है। आज तपस्या सफल हुई, शिवजी ने मेरा पत्नी के रूप में वर्ण कर लिया। मैं एक शर्त पर आपके साथ घर जाऊंगी , जब आप मेरा विवाह शिव जी से करने के लिए राजी हो जाओगे ।

पर्वतराज हमारा विवाह कराने के लिए राजी हो गए। बाद में हमने पूरे विधि विधान से शादी कर ली। हे पार्वती! आपने जो कठोर व्रत रखा था, उसके कारण हम विवाह कर सके। जो भी स्त्री इस व्रत पूरे मन से करती है, उसे मैं मनोवांछित फल देता हूं।

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