जानुशीर्षासन। जानुशीर्षासन करने की विधि,लाभ,सावधानी,विशेष और समय। janu sirsasana in hindi.

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  • जानुशीर्षासन का अर्थ।
  • जानुशीर्षासन करने की विधि।janu sirsasana pose
  • जानुशीर्षासन करने के लाभ।benefits of janu sirsasana.

जानुशीर्षासन (janu sirsasana) का अर्थ।

जानुशीर्षासन (janu sirsasana) संस्कृत भाषा का शब्द है जो 3 शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है जानु जिसका अर्थ होता है घुटना। दूसरा शब्द है शीर्ष जिसका अर्थ है सिर और तीसरा शब्द है आसन। आसन का अर्थ बैठने लैटने या खड़े होने की मुद्रा है। जानू शीर्षासन(janu sirsasana)की खोज भारत के महान योग गुरुओं द्वारा की गई थी। और इसे सबसे नवीनतम आसनों में से एक माना जाता है।

जानू शीर्षासन करने की विधि। janu sirsasana steps.

जानुशिरासन विधि :

  • पैरों को सामने फैलाते हुए आसन पर बैठे व दाहिने पाँव को घुटने से मोड़कर पाँव के तलवे को दाहिने पाँव की जंघा से लगा दें ।
  • दोनों हाथों को ऊपर उठाएँ तथा दोनों हाथों से बाएँ पाँव के ऊपरी हिस्से को पकड़कर अन्दर की तरफ यानी सिर की तरफ खींचें ।
  • नाक को धीरे – धीरे झुकाते हुए बाएँ घुटने पर लगाएँ , फिर श्वास धीरे – धीरे छोड़ते हुए दाहिना पाँव सीधा करें ।
  • पुनः उसी विधि से बायाँ पाँव मोड़कर लगाएँ तथा दाहिने पाँव के घुटने से नाक का स्पर्श कराएँ तथा दोनों हाथों से पाँव को अन्दर की ओर खींचें ।
  • फिर धीरे – धीरे श्वास छोड़ें और श्वास लेना शुरू करें।
  • उपरोक्त विधि को चित्र में दिखाए गए अनुसार करें।
  • जानुशीर्षासन की पूरी प्रक्रिया को दोनों पैरों के साथ दोहराऐ।
जानुशीर्षासन। जानुशीर्षासन करने की विधि,लाभ,सावधानी,विशेष और समय। janu sirsasana in hindi.
janu sirsasana steps.जानुशीर्षासन

जानुशीर्षासन करने के लाभ। benefits of janu sirsasana.

  1. यह आसन यकृत , गुर्दा व बढ़े हुए वृषणकोशों को रोगमुक्त करता है ।
  2. पुरुषों के प्रमेह तथा स्त्रियों के प्रदर रोगों में लाभदायक है ।
  3. ब्रह्मचर्य रक्षा , ज्वर निवारण , कुण्डलिनी माता जागरण में लाभ देता है । पाचन संस्थान को भी पर्याप्त प्रभावित करता है ।
  4. टखनों एवं घुटनों में मोच हो तो इस आसन को करने से लाभ होता है ।
  5. कूबड़ के उपचार में लाभदायक सिद्ध होता है ।
  6. मोटे पाँवों व नितम्बों को सुन्दर व सुडौल बनाता है एवं शरीर को कान्तिमय रखता है ।
  7. पूरे शरीर की कठोरता दूर करता है ।
  8. जानुशीर्षासन को करने से पीठ दर्द में लाभदायक होता है। क्योंकि यह आसन रीढ में रक्त प्रवाह उत्तेजित करता है।
  9. जानुशीर्षासन मस्तिष्क को शांत करता है तो तो हल्के अवसाद को दूर करने में मदद करता है।
  10. रीढ, कंधे, हैमस्ट्रिंग, और कमर को लचीला तोता मजबूत बनाता है।
  11. रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत दिलाता है। और मासिक धर्म की परेशानी से भी छुटकारा दिलाने में मदद करता है।

जानू शीर्षासन(Janushirasasan) करते समय सावधानी।

अल्सर वालों को यह आसन नहीं करना चाहिए मेरुदंड में पुराने दर्द वालों को भी यह आसन नहीं करना चाहिए दमा व टीबी से पीड़ित लोगों को यह आसन किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए झटके से या बलपूर्वक इस आसन को नहीं करना चाहिए

जानुशीर्षासन (Janushirasasan) विशेष।

यह आसन हर आयु वर्ग के व्यक्ति कर सकते हैं पश्चिमोत्तानासन का ही यह आसन परिष्कृत रूप हैं।

जानुशीर्षासन (Janushirasasan) कितने समय तक करें।

जानुशीर्षासन (Janushirasasan) को कुछ सेकंडो मे शुरू कर इस आसन की पूरी श्रंखला को 5 मिनट में संपन्न करना चाहिए। प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शौच आदि से निवृत्त होकर आसन करना चाहिए। इस समय आसन करने से आसनकर्ता को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

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