भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष नवमी को गोगा नवमी मनाई जाती है। इस दिन को कुम्हार लोग काली मिट्टी की प्रतिमा वीर पुरुष के रूप में बनाते हैं इस प्रतिमा को गृहस्थ लोग गोगा नवमी के दिन घर ले जाकर उसकी पूजा करते हैं और प्राचीन कथाओं के अनुसार गोगा जी महाराज को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है।
गोगा जी महाराज गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य थे और इन्हें राजस्थान के 6 सिद्धों मे से प्रथम माना जाता है। कहा जाता है कि गोगादेव का जन्म गुरु गोरखनाथ जी के आशीर्वाद से हुआ था। गोरखनाथ जी ने गोगा देव की माता बाछल को प्रसाद के रूप में एक गुग्गल दिया था जिससे गोगा जी का जन्म हुआ।
गोगा नवमी के दिन लोग अपने देवता गोगाजी की पूजा करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं। गोगा नवमी त्योहार प्रमुख रूप से राजस्थान मे मनाया जाता है इसके अलावा छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और जहां भी राजस्थान के लोग रहते हैं में मनाया जाता है।
गोगा नवमी पूजन विधि : जानिए कैसे करें पूजा।
- स्नान करके साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनकर गीली मिट्टी से गोगा जी की मूर्ति बनाएं अथवा लाए।
- गोगा जी महाराज को वस्त्र रोली चावल अर्पित करके भोग लगाएं।
- गोगा नवमी के दिन घोड़े की पूजा का भी विशेष महत्व माना जाता है और गोगा जी महाराज के घोड़े को दाल का भोग लगाया जाता है।
- रक्षाबंधन के दिन जो राखिया बहने अपने भाई को बांधती है उन्हें गोगा नवमी के दिन गोगा जी महाराज को अर्पित किया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि जो भी लोग गोगा जी महाराज की पूजा विधि विधान से करते हैं उनकी सांपों से रक्षा होती है।
गोगा नवमी की कथा।goga navami ki kahani(katha).
गोगा नवमी की कथा : राजस्थान के वीर महापुरुष गोगा जी महाराज का जन्म गुरु गोरखनाथ जी के आशीर्वाद से हुआ था। गोगा देव जी की मां बाछल देवी निसंतान थी उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए कई यत्न किए परंतु सभी यत्न करने के पश्चात भी संतान सुख नहीं मिला।
एक बार की बात है गुरु गोरखनाथ जी महाराज गोगामेडी में टीले पर तपस्या कर रहे थे। वाछल देवी उनकी शरण में गई तब गुरु गोरखनाथ जी ने बाछल देवी को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और साथ में एक गुग्गल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया।
प्रसाद खा कर बाछल देवी गर्भवती हो गई और भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगा जी महाराज का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा।
चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज के पश्चात गोगा जी महाराज पराक्रमी वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगा जी महाराज का राज्य सतलुज से हरियाणा तक फैला हुआ था। विद्वानों के अनुसार गोगा जी महाराज का जीवन शौर्य, पराक्रम व उच्च जीवन आदर्शों का प्रतीक माना जाता है।