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हरिद्वार में घूमने के स्थान और दार्शनिक स्थलो का परिचय। haridwar me ghumne ki jagah. places to visit in haridwar.

places to visit in haridwar – हरिद्वार हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है और यह अत्यंत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिंदुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है। हरिद्वार में ही गंगा नदी सर्वप्रथम मैदानी भाग में प्रवेश करती है इसलिए हरिद्वार को गंगाद्वार भी कहा जाता है। प्राचीन हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन में से अमृत का कलश निकला था तब अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार में गिर गई थी। इसी कारण यहां पर महाकुंभ लगता है। कहते हैं कि अमृत की बूंदें चार स्थानों पर गिरी थी( उज्जैन,हरिद्वार, नासिक और प्रयागराज)जहां पर महाकुंभ लगता है।

हरिद्वार का अर्थ होता है ‘भगवान का द्वार’ अर्थात यहां पर आकर आप स्वयं भगवान के दर्शन कर पायेंगे। इस पोस्ट में हम जानेंगे हरिद्वार के दार्शनिक स्थलों और पर्यटन स्थलों(places to visit in haridwar)के बारे में। और साथ ही जानेंगे कि हरिद्वार में घूमने की जगह(haridwar me ghumne ki jagah) कौन-कौन सी है।

बिल्वकेश्वर मंदिर। bilkeshwar mahadev temple.

स्टेशन से हर की पैड़ी जाने के मार्ग में ललतारो पुल पड़ता है वहां से बिल्केश्वर मंदिर जाने का मार्ग है। जिस पर्वत पर यह मंदिर बना है उसे ‘बिल्व पर्वत’ कहते हैं। यहां बिल्व(बेल) के वृक्षों की बहुतायत है। बिल्केश्वर मंदिर पर प्रत्येक शिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक करने हेतु लोग दूर-दूर से एकत्रित होते हैं। इसी मंदिर के पास गौरीकुंड नामक स्थान भी है जहां पर प्राचीन कुंड है। वहां स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इन दोनों मंदिरों के बीच में शिव धारा नामक नदी बहती है।

यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए विशेष महत्व रखता है। मंदिर की दीवारों पर अनेकों देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के अतिरिक्त अनेक काले कलर की मूर्तियां स्थापित की गई है और मंदिर की छत लालटेन की आकृति की बनाई गई है। यहां चारों और बेल के पेड़ बहुतायत मात्रा में देखने को मिलते हैं बेल के जंगल में होने के कारण ही इस मंदिर का नाम बिल्केश्वर महादेव मंदिर रखा गया है।

‘भूमा निकेतन मंदिर’ हरिद्वार। Bhuma niketan temple in haridwar.

यह मंदिर अपने अलौकिक सौंदर्य के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहा स्वर्ग से उतरने वाली भगवती गंगा का शिव जी की जटाओं में सिमटने का दिव्य दृश्य मूर्तिवत विधमान है जो सजीवता का आभास देता है। इसके अतिरिक्त यहां बिजली से चलने वाली विलक्षण झांकियां है। मुख्य आकर्षण का केंद्र महादेव की मूर्ति है जो सती को अपने हाथों में लिए हुए हैं।

भूमा निकेतन मंदिर हरिद्वार के दार्शनिक स्थलों(beautiful places in haridwar) में से एक है। यह मंदिर हर की पौड़ी से 3 किलोमीटर दूर स्थित है और सप्तसरोवर मार्ग पर स्थित है। मंदिर के द्वार पर भगवान शिव और पार्वती माता की मूर्ति स्थित है। मंदिर में चारों ओर रंगीन फव्वारे लगाए गए हैं। मंदिर होने के साथ-साथ यह कई लोगों के लिए आश्रय गृह भी है।

लाल माता मंदिर अथवा वैष्णो देवी मंदिर।

हरिद्वार ऋषिकेश मार्ग पर स्थित वैष्णो देवी मंदिर दिव्य शक्ति में विश्वास एवं मानव प्रयास का अद्भुत नमूना है। यह आदिशक्ति वैष्णव देवी के मंदिर के समान बना गया मानव निर्मित मंदिर है। यहां वैष्णो देवी मंदिर के अतिरिक्त चारों धाम तीर्थ के पवित्र स्वरूप को भी प्रस्तुत किया गया है। इस मंदिर में देवी लक्ष्मी, देवी काली और देवी सरस्वती की मूर्तियां स्थापित की गई है।

माना जाता है कि राक्षस “महिषासुर” को मारने के लिए तीनों देवियों ने वैष्णो देवी का रूप लिया था। यह मंदिर नवनिर्मित पवित्र स्थल है किंतु इसकी वास्तुकला के कारण इसको लोकप्रियता मिली है। मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए जो रास्ता है वह गुफाओ तथा सुरंगों से बना हुआ है जैसा कि जम्मू कश्मीर में मां वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने का रास्ता है।

इस मंदिर में भक्तों को पर्स पर चढ़ने के लिए एक सक्रिय मानव निर्मित द्वार(सुरंग) से घसीटकर गुजरना पड़ता है। भक्त लोग इस मंदिर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति भी देख सकते हैं।

भारत माता मंदिर। bharat mata mandir.

भारत माता मंदिर हरिद्वार का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है इसे मदर इंडिया मंदिर(mother India temple)के नाम से भी जाना जाता है। दूर से दिखाई देने वाला यह आठ मंजिला मंदिर क्षेत्र का विशेष आकर्षण है।इस क्षेत्र में ही कई आश्रमों व भवनों का निर्माण हुआ है जिनमें साधु बेला आश्रम, ब्रह्मावर्चस्व, ऋषिकेश मुख्य मार्ग पर शांतिकुंज इत्यादि मुख्य हैं। यह मंदिर हरिद्वार के खूबसूरत प्लेसेस(beautiful places in haridwar) में से एक है।

यह मंदिर भारत माता को समर्पित है तथा इस मंदिर का निर्माण धार्मिक गुरु स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी द्वारा करवाया गया था। भारत माता मंदिर आठ मंजिला तथा 180 फुट ऊंचाई पर स्थित है।

इस मंदिर की पहली मंजिल पर भारत माता की मूर्ति है। दूसरी मंजिल पर शूर मंदिर है जो भारत के शूरवीरो को समर्पित है। तीसरी मंजिल पर मातृ मंदिर है जो स्त्री शक्ति को समर्पित है। चौथी मंजिल महान भारतीय संतो को समर्पित है। पांचवी मंजिल भारत के विभिन्न धर्मों को और छठी व सातवीं मंजिल देवी व भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों को समर्पित है। आठवीं मंजिल प्रकृति प्रेम और आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए समर्पित है और इस मंजिल पर भगवान शिव का मंदिर भी बनाया गया है।

“मनसा माता(देवी) मंदिर” हरिद्वार।

हरिद्वार की रेलवे लाइन के साथ हर की पैड़ी के पीछे पर्वत शिखर पर मनसा देवी का मंदिर है। देवी की प्रतिमा सिर और पांच भुजाओं की इस मंदिर में विराजमान है। इसके पास अष्टभुजा और भैरव जी के मंदिर है इसके पीछे आधा मील की उतराई पर सूर्य कुंड नामक कुंड है। मनसा देवी जाने के लिए पैदल मार्ग के साथ-साथ सीढ़ियों का मार्ग तथा उड़न खटोला भी है।

कहां जाता है कि यहां माता सती का मन गिरा था इस कारण यह स्थान मनसा माता नाम से प्रसिद्ध हुआ।

मनसा देवी की एक प्रतिमा के तीन मुख और पांच भुजाएं हैं। जबकि अन्य प्रतिमाओं की 8 भुजाएं है। मनसा देवी को सर्प और कमल पर विराजमान दिखाया गया है कहा जाता है कि सात नाग देवी के रक्षण में हमेशा विद्यमान रहते हैं।

ऐसे स्थान पर आप ट्राम से जा सकते हैं किंतु पहाड़ियों में पैदल चलकर जाने का आनंद ही कुछ और है। मनसा माता मंदिर सुबह 8:00 बजे खुलता है तथा शाम को 5:00 बजे पट बंद होते हैं। दोपहर में 12:00 से 2:00 के मध्य में पट बंद रहते हैं।

मनसा देवी को नागवंशीयो ,आदिवासियों और वनवासियों की देवी भी माना गया है मनसा देवी मंदिर की पूजा पहले आदिवासी ही करते थे।

‘चण्डी देवी मंदिर’ हरिद्वार।

गंगा जी की दूसरी तरफ पुल पर करके नील पर्वत है जिसके शिखर पर चंडी देवी का मंदिर है। इस मंदिर को जम्मू के महाराजा सुरजीत सिंह ने सन 1829 ईस्वी में बनवाया था। यहां चंडी देवी के दर्शन होते हैं। यहां जाने के लिए दो मार्ग हैं पहला गौरी शंकर महादेव के समीप होकर तथा दूसरा कामराज की काली देवी के मंदिर के समीप से होकर जाता है। पहला मार्ग कठिन तथा दूसरा सुगम है।

पहले मार्ग से चढ़ना तथा दूसरे से उतरना ठीक रहता है ऐसा करने से गौरी शंकर नीलेश्वर नामक शिव मंदिरों के दर्शन तथा साथ-साथ नील पर्वत की परिक्रमा भी हो जाती हैं। चंडी देवी पर भी अब उड़न खटोला से जाया जा सकता है।

‘पावन धाम’ हरिद्वार। Pawan dham.

हर की पेडी सप्त सरोवर मार्ग पर बड़ा ही सुंदर स्थान बना है। इसमें आधुनिक शिल्प कला पर आधारित मूर्तियां देखने योग्य है। पावन धाम मंदिर कलात्मक मूर्तियों और दीवार पर किए गए कांच के काम के लिए जाना जाता है। यहां भी मनोरम और खूबसूरत दृश्य(beautiful places in haridwar) देखने को मिलते हैं

इस मंदिर का निर्माण 1970 में स्वामी वेदांत महाराज ने करवाया था। यहां दर्शन करने का समय सुबह 6:00 से शाम 6:00 बजे तक होता है।

परमार्थ आश्रम हरिद्वार।

सप्त सरोवर के समीप ही यह आश्रम भी देखना ना भूलें इस में बने मंदिरों की शोभा अतुलनीय है। यह आश्रम काफी साफ सुथरा और विशाल है।

परमार्थ आश्रम में शाम को होने वाले गंगा आरती काफी प्रसिद्ध है। आप भी यहां रुककर गंगा आरती के साक्षी बने।

व्यास मंदिर।

वर्तमान शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण हरिद्वार का प्रसिद्ध व्यास मंदिर है यह गोलाकार गुंबद वाला मंदिर अपने अद्भुत सौंदर्य के कारण दूर से ही लोगों को आकृष्ट कर लेता हूं।

जयराम आश्रम।

हर की पैड़ी से 2 किलोमीटर उत्तर की तरफ जयराम आश्रम है इस आश्रम में बिजली से चलने वाली झांकियां दर्शनीय है।

सप्तऋषि आश्रम।

हर की पैड़ी से 5 किलोमीटर आगे चलकर सप्त ऋषि आश्रम है। यहां सप्त ऋषि यों ने तप किया था उससे गंगा जी को सात धाराओं में बहना पड़ा। इसलिए धारा का नाम सप्तधारा पड़ा यहां सप्तऋषियों के नाम पर प्राचीन कुटिया बनी हुई है।

ऋषिकेश। places to visit near haridwar.

हरिद्वार से 25 किलोमीटर दूर ऋषिकेश है। रेल मोटर अथवा पैदल रास्ते से यहां पहुंचा जा सकता है कहा जाता है कि यहां भरत जी ने तपस्या की थी। यहां भरत जी का प्राचीन मंदिर भी है जो बौद्ध मंदिरों के समान बना हुआ है। ऋषिकेश में गंगा तट के दाहिने और राम जानकी मंदिर तथा उससे आगे कुब्जाभृक नाम का पका कुंड है जिसमें पर्वत के तीनों स्रोतों से जल जाता है। यहां स्नान का बड़ा महत्व है काशी त्रिवेणी घाट भी एक दर्शनीय स्थल है।

places to visit near haridwar – हरिद्वार के पास घूमने लायक स्थानों के बारे में जानकारी best places to visit near haridwar

मुनि की रेती।

यह स्थान ऋषिकेश से कुछ आगे चलकर हैं। यहां शत्रुघ्न जी का मंदिर है। समीप ही स्वामी शिवानंद जी का आश्रम है सामने गंगा पार स्वर्गाश्रम स्थान है।

रामझूला।

शिवानंद आश्रम के समीप ही अब नवनिर्मित पुल द्वारा गंगा पार जाकर मंदिरों के दर्शन का आनंद ले सकते हैं यह नवनिर्मित पुल राम झूला कहलाता है।

लक्ष्मण झूला।

ऋषिकेश से 3 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थान है। वहां गंगा जी पर एक अत्यंत सुंदर बिना खंबे का पुल बना हुआ है जो जरा सा झटका लगने पर भी जोरसे हिलने लगता है।कहते हैं मेघनाथ के वध के कारण लक्ष्मण को ब्रह्महत्या लगी उस से मुक्त होने के लिए लक्ष्मण जी ने यहां तपस्या की थी।

स्वर्गाश्रम।

लक्ष्मण झूला से 2 किलोमीटर चलकर गंगा के दूसरे तट पर स्वर्गाश्रम है। जहां गंगा को नाव द्वारा पार करना पड़ता है इस स्थान पर बाबा काली कमली वाले की धर्मशाला, अन्न क्षेत्र तथा भगवत गीता भवन आदि है।

यहां साधु संतों का सदैव जमघट लगा रहता है। यह स्थान सबसे अधिक सुंदर व शांत होने के कारण स्वर्ग आश्रम के नाम से पुकारा जाता है। यहां रामेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है

परमार्थ निकेतन।

स्वर्गाश्रम से थोड़ा आगे चलकर गीता भवन व परमार्थ निकेतन बड़े ही सुंदर व रमणीय स्थान है देवी देवताओं की अनेकानेक मूर्तियां देखकर मन प्रसन्न हो जाता है।

गीता भवन। places to visit in haridwar

गीता प्रेस गोरखपुर वालों के द्वारा निर्मित इस भवन में मंदिर व दीवारों पर अनेकानेक चित्र बनवाए गए हैं।

तो दोस्तों यह थी हरिद्वार में घूमने के स्थान(haridwar me ghumne ki jagah) और टूरिस्ट स्पॉट(haridwar tourist spot)
की जानकारी मैं आशा करता हूं कि आपको places to visit in haridwar की जानकारी पसंद आई होगी धन्यवाद।

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