टिटहरी मध्यम आकार के जलचर पक्षी होते हैं जिन्हें सामान्य भाषा में टिटोडी(titodi) भी कहा जाता है। टिटहरी जलीय, खेतों की जमीन के खुले व सुखे वातावरण, ताजे पानी की दलदल, झीलों के किनारों और रेतीले पथरीले नदी तटो में भी पाई जाती है। टिटहरी बाहरी आक्रमणों के प्रति अत्यंत सजग रहने वाली चिड़िया होती है। जो खतरा महसूस होते ही तीव्र ध्वनि के साथ शोर मचाती है। टिटहरी की आवाज तेज और वेधक होती हैं।
मातृत्व शक्ति और निडरता से भरी है मनमौजी चिड़िया एक ऐसा अनोखा पक्षी है जो उड़ता कम है और अपना अधिकांश समय जमीन पर बिताता है। भारत के सभी प्रदेशों में टिटहरी पाई जाती है। टिटहरी का अंग्रेजी नाम lapwing है और भारत में पाई जाने वाली टिटहरी का नाम red wattled lapwing है। तो आइए जानते हैं टिटहरी के बारे में जानकारी, टिटहरी(टिटोडी) के अंडे का रहस्य और टिटोडी पेड़ पर क्यों नहीं बैठती।
टिटहरी पक्षी की जानकारी। Titahari Bird Information.
विश्व भर में टिटहरी पक्षी का एक वृहद परिवार पाया जाता है। इस बड़े परिवार को पक्षियों के कई समूहों में विभाजित किया गया है। जिनमें से दक्षिण एशिया में कुल 9 प्रकार के टिटहरीया पाई जाती है और भारत में लाल गलचर्म वाली टिटहरी बहुतायत में पाई जाती है।
टिटहरी की उम्र 6 – 15 साल होती हैं। यह सामान्यता 4 से 6 अंडे देती है जिनमें से 18 से 20 दिन में बच्चे निकल आते हैं। टिटहरी पक्षी के प्रजनन का समय जून से अप्रैल के मध्य होता है अंडे देने के बाद नर तथा मादा दोनों अंडों को सेते हैं।
लाल गलचर्म वाली टिटहरी की आंखों के आगे लाल मांसल की तह होती है। मादा टिटहरीयो का कद नर की तुलना में छोटा और रंग फीका होता है।
टिटहरीया बाहरी आक्रमणों के प्रति निरंतर सजग रहती है खतरा महसूस होने पर यह तेज आवाज करती है और आक्रांता पर झपट पड़ती है।
कोई भी बाहरी जीव यदि इसके घोसले के पास आ जाए तो यह उत्तेजित होकर चारों ओर चक्कर लगाने लगती हैं। यह अपने छोटे बच्चों को शिकारियों से बचाने के लिए छद्म आवरण में रखती है।
यदि कोई शिकारी इनके बच्चों के अधिक नजदीक आ जाता है तो माता-पिता बच्चों को मरने का स्वांग करने का संकेत देते हैं। यह तकनीक लोमड़ी और अन्य जानवरों द्वारा भी अपनाई जाती हैं।
टिटहरी की खास बात यह है कि यह कभी भी पेड़ पर नहीं बैठती हैं। और यह हमेशा कम उचाई पर ही उड़ती है।
नर टिटहरी पक्षी मादा को रिझाने के लिए हवाई करतब दिखाता है यह तेज उड़ता है और हवा में गोते लगाता है।
भोजन – भोजन के लिए टिटहरी या छोटी-छोटी दौड़ भरती है फिर एकदम से रुक कर सीधी खड़ी हो जाती है और शिकार को चौच में ले लेती है। टिटहरी पक्षी के भोजन में कीड़े मकोड़े,मोलस्क, अन्य छोटे जंतु, बिना रीड के जंतु और कीचड़ में उगी हुई नरम वनस्पतियां होती है।
भारत में पाई जाने वाली टिटोडी या टिटहरी दुर्लभ है और इसके संख्या में गिरावट भी हुई है। टिटहरी की संख्या में कमी का कारण खाली जमीन का उपयोग भी है।
टिटहरी पेड़ पर क्यों नहीं बैठती है।
टिटहरी पेड़ पर नहीं बैठती है यहां तक कि टिटहरी कभी भी ऊंची दीवारों, खंबे ,तारो या किसी ऊंचे स्थान पर नहीं बैठती हैं। इसका मुख्य कारण टिटहरी की शारीरिक बनावट और इसका स्वभाव है। टिटहरी पेड़ पर नहीं बैठती है क्योंकि टिटहरी के पंजे जमीन पर चलने के लिए अनुकूलित हो गए हैं। अर्थात टिटहरी के पंजे में आगे की अंगुलिया तो होती हैं किंतु पीछे की अंगुली नहीं होती है जो मुख्यतः पेड़ पर या टहनी पर पकड़ बनाने के काम आती हैं। पीछे की अंगुली ना होने के कारण टिटहरी पेड़ को या किसी टहनी को पकड़ नहीं पाती है जिस कारण टिटहरी पेड़ पर नहीं बैठती है।
टिटहरी ऊंचे स्थानों पर भी नहीं बैठती है इसकी मुख्य वजह टिटहरी का स्वभाव है क्योंकि टिटहरी अधिक ऊंचाई पर उड़ नहीं पाती है इस कारण इसे ऊंचे स्थानों पर बैठे हुए नहीं देखा जा सकता है।
कहा जाता है कि यदि टिटहरी अपने स्वभाव के विपरीत पेड़ पर बैठी दिखाई दे तो कोई बड़ी आपदा या विपत्ति आने के संकेत होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टिटहरी को मौसम और आने वाली आपदाओं का पूर्वानुमान हो जाता है जिन से बचने के लिए टिटहरी अपने स्वभाव के विपरीत पेड पर बैठती हैं। जिस प्रकार समुंदर में सुनामी आने से पूर्व ही वहां के जीव दूसरे स्थान पर जाने लगते हैं जिसे देखकर लोग पता लगाते हैं कि समुंद्र में सुनामी आने वाली है।
कई वैज्ञानिकों का मानना है कि टिटहरी जिस दिन पेड़ पर बैठी दिखाई दे उससे 2 या 3 दिन के अंदर भूकंप आने की संभावना होती है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों और किसानों का मानना है कि यदि टिटहरी पेड़ पर बैठ जाए तो भूकंप और महाप्रलय आ जाती है।
टिटहरी के अंडे का रहस्य।
टिटहरी आमतौर पर दो तीन या चार अंडे देती है और अधिकतम छ तक अंडे दे सकती है। टिटहरी के अंडे से कई प्राचीन मान्यताये और रहस्य जुड़े हुए हैं तो आइए जानते हैं टिटहरी के अंडे के रहस्य के बारे में
1. टिटहरी का अंडा और पारस पत्थर।
आपको बता दें कि पारस पत्थर अत्यंत रहस्यमई और कीमती पत्थर होता है जो हर किसी को आसानी से प्राप्त नहीं होता है किंतु टिटहरी अपने अंडों को तोड़ने के लिए पारस पत्थर का इस्तेमाल करती है। टिटहरी यह पारस पत्थर कहां से लाती है यह तो किसी को नहीं पता किंतु टिटहरी को पारस पत्थर की जानकारी अवश्य होती है जिससे वह अपने अंडों को तोड़ने का कार्य करती है। प्राचीन धर्म ग्रंथों और पुरानी कहानियों में भी पारस पत्थर का जिक्र मिलता है कहां जाता है कि यदि पारस पत्थर लोहे को छू ले तो वह सोना बन जाता है।
भारत में कई स्थानों पर लोग पारस पत्थर होने का दावा करते हैं और उसकी खोज भी की जाती है किंतु कहा जाता है कि पारस पत्थर लालची लोगों को नहीं मिलता। टिटहरी को पारस पत्थर की कीमत और उसके गुणो से कोई लेना देना नहीं होता उसे तो बस पारस पत्थर अपने अंडों को तोड़ने के लिए चाहिए।
2. टिटहरी के अंडे से मौसम और बारिश की जानकारी।
आधुनिक युग में हमें मौसम विभाग द्वारा मौसम और बारिश की जानकारी प्राप्त होती है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि टिटहरी या टिटोडी के अंडे से भी बारिश और मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। टिटहरी के अंडे से बारिश की भविष्यवाणी की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है और आज भी ग्रामीण लोग और किसान टिटहरी के अंडे को देखकर बता देते हैं कि इस वर्ष बारिश कैसी होगी। टिटहरी के अंडे से बारिश का कैसे पता लगाया जाता है।
लंबे समय तक टिटहरी के अंडों की संख्या और जगह के विश्लेषण के आधार पर यह पता लगाया गया कि टिटहरी किसी ऊंचे स्थान अथवा खेत की मेड पर अंडे देती है तो उस वर्ष तेज बारिश होती है और बारिश अधिक होती है और यदि टिटहरी नीचे स्थान पर और खड्डे में अंडे देती है तो उस साल बारिश कम होती है और सूखा पड़ने की संभावना रहती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टिटहरी को बारिश का पूर्वानुमान रहता है और वह अपने अंडों को बचाने के लिए किसी ऊंचे स्थान पर अंडे देती है।
टिटहरी के अंडों की संख्या यह दर्शाती है कि इस वर्ष बारिश कितने महीने होगी यदि टिटहरी ने 3 अंडे दिए हैं तो 3 महीने तक बारिश होती है और यदि 4 अंडे दिए हैं तो 4 महीने तक बारिश होती है। वही अंडों की स्थिति से तेज और धीमी बारिश का भी अंदाजा लगाया जाता है। जितने अंडे खड़े हैं उतने महीने तेज बारिश और जितने अंडे बैठे हैं उतने महीने धीमी बारिश होने की संभावना बताई जाती है। अर्थात यदि दो अंडे खड़े और दो अंडे बैठे हैं तो 2 महीने तेज बारिश और 2 महीने धीमी बारिश होती है।
किसान प्राचीन समय से ही टिटहरी के अंडे से बारिश का अंदाजा लगाते आए है। लेकिन वैज्ञानिक इसे अवैज्ञानिक तरीका बताते हुए खारिज करते हैं। लेकिन कई वैज्ञानिक इसे नकारने की बजाय इस पर शोध करने की आवश्यकता बताते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जीव जंतुओं में प्रकृति के संकेतों को समझने की शक्ति होती है। जिससे यह प्रकृति में आने वाली आपदाओं और होने वाले बदलाव का पूर्वानुमान लगा लेते हैं और उसी प्रकार अपनी प्रतिक्रिया देते हैं।
टिटहरी पक्षी का फोटो। Titahari bird images/photos.
Titahari bird photos and images.













हम आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी धन्यवाद।
ये भी पढे – दूधराज पक्षी। लंबी पूंछ वाला सुंदर पक्षी दूधराज।