रक्षाबंधन की कहानी।भाई बहन से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी(राखी की कहानी),rakshabandhan ki kahani(rakhi ki kahani).

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रक्षाबंधन भारत देश का प्रमुख त्योहार है यह श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इसे नारियली पूर्णिमा भी कहते हैं। रक्षाबंधन के दिन भगवान शिव का पूजन पूर्ण होता है और इस दिन भारत के प्रसिद्ध तीर्थ अमरनाथ में एक दिन के लिए शिवलिंग का निर्माण होता है। इस दिन यात्री कठिन यात्रा करके भगवान शिव शंकर के दर्शन करते हैं।

रक्षाबंधन अथवा राखी का त्यौहार भाई बहन को स्नेह की डोर में बांधे रखता है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है और उसके जीवन की मंगल कामना करती हैं भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते हैं। रक्षाबंधन के दिन घर के प्रमुख द्वारों के दोनों और श्रवण कुमार के चित्र बनाकर खीर से पूजा करते हैं। इस दिन भगवान के, घर के, द्वार के,कलश के, व वाहन के भी राखी बांधते हैं।

रक्षाबंधन के दिन भाई बहन प्रातः काल स्नान करके भगवान की पूजा करते हैं उसके बाद रोली, मोली, कुमकुम, चावल और दीपक रखकर थाल सजाते हैं। इससे थाल में राखियां नारियल और मिठाई रखकर बहन अपने भाई के तिलक लगाकर राखी बांधती है। भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है और उपहार देता है।

रक्षाबंधन के दिन बहन व्रत रखती हैं और रक्षाबंधन की कहानी सुनती है हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का विशेष महत्व माना गया है तो आइए जानते हैं रक्षाबंधन की कहानी

रक्षाबंधन की कहानी(राखी की कहानी)।rakshabandhan ki kahani.

वैसे तो रक्षाबंधन के त्यौहार के साथ कई कहानियां जुड़ी हुई है लेकिन हम यहां रक्षाबंधन की प्रचलित कथा दे रहे हैं जो कि रक्षाबंधन के व्रत के दिन सुनी जाती है तो आइए जानते हैं रक्षाबंधन की कहानी

रक्षाबंधन की कहानी – 1

रक्षाबंधन की कहानी।भाई बहन से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी(राखी की कहानी),rakshabandhan ki kahani(rakhi ki kahani)
रक्षाबंधन की कहानी।rakshabandhan story in hindi

रक्षाबंधन की कहानी : जब भगवान वामन रूप में राजा बलि के पास आए तब भगवान ने राजा बलि से तीन पग धरती मांगी थी। भगवान ने दो ही पग में संपूर्ण पृथ्वी और आकाश को नाप लिया तब राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं उन्होंने तीसरा पग अपने सिर पर रखने को कहा। इसके बाद भगवान ने राजा बलि से कुछ मांगने को कहा।

राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि आप मेरे साथ पाताल लोक में चार महीने तक पहरेदार बनकर रहेंगे। तब से भगवान विष्णु लक्ष्मी माता जी को स्वर्ग में छोड़कर वर्ष में चार महीने राजा बलि के पहरा देने लगे व पहरेदार के रूप में रहने लगे।

रक्षाबंधन के दिन श्री लक्ष्मी जी स्वर्ग से रिमझिम करती हुई राखी लेकर पधारी। लक्ष्मी जी ने राजा बलि को अपना भाई बना कर राखी बांधी साथ ही भतिजो और भाभी को भी राखी बांधी। जब रानी हीरे मोती का था लेकर आई तो श्री लक्ष्मी जी ने कहा की भाभी हीरे मोती तो घर में भी बहुत है मैं तो यहां अपने पति( भगवान विष्णु जी) को मुक्त करवाने आई हूं।

इस प्रकार श्री लक्ष्मी जी राजा बलि की बहन बनी और भगवान विष्णु को अपने साथ लेकर चली गई।

यह थी रक्षाबंधन की कहानी हम यहां पर जानेंगे एक और प्राचीन और पौराणिक रक्षाबंधन की कहानी के बारे में

रक्षाबंधन की कहानी – 2 : द्रौपदी और भगवान श्री कृष्ण का रक्षाबंधन

रक्षाबंधन की कहानी।भाई बहन से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी(राखी की कहानी),rakshabandhan ki kahani(rakhi ki kahani).
रक्षाबंधन की कहानी

एक बार भगवान श्री कृष्ण के हाथ में चोट लग गई और हाथ से खून बहने लगा। जब द्रौपदी ने देखा तो उन्होंने तुरंत अपनी धोती से कपड़ा फाड़ कर पट्टी कर दी। तब श्रीकृष्ण इस बंधन के ऋणी हो गए और जब दुशासन द्रौपदी का चीर हरण करने की कोशिश कर रहा था तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की व लाज को बचाया। कहते हैं कि जिस दिन द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण केक कलाई पर अपने पल्लू से कपड़ा बांधा था उस दिन श्रावण पूर्णिमा थी तब से इसी दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।

रक्षाबंधन की कहानी – इंद्राणी शची ने बांधी देवराज इंद्र को राखी।

भविष्य पुराण में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार देवराज इंद्र और वत्रासुर में भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी शची ने देवराज इंद्र की कलाई पर श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बांधी जिसने युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए। यह रक्षाबंधन की कहानी सतयुग में घटित हुई थी।

रक्षाबंधन की कहानी – राखी की कहानी ऐसी भी

सिकंदर ने पूरे विश्व में अपना परचम लहराने की सोच रखी थी उसने चारों ओर युद्ध करते और जीते हुए भारत की सीमा में प्रवेश किया उसका सामना भारत के राजा पेरू से हुआ राजा पेरू अत्यंत पराक्रमी बलशाली और वीर पुरुष थे उन्होंने सिकंदर को पहले ही युद्ध में धूल चटा दी तब सिकंदर की पत्नी ने अपने पति की रक्षा के लिए राजा पेरु को राखी भेजी।

राजा पेरू आश्चर्य में पड़ गई लेकिन राखी के दागों का सम्मान करते हुए उन्होंने इसे अपने कलाई पर बांध लिया। जब सिकंदर और राजा पेरु का आमना-सामना हुआ तथा राजा पेरू ने सिकंदर को मारने के लिए तलवार उठाई तब उन्हें कलाई में बंधी राखी दिख गई और तलवार को रोक किया व बंदी बना लिए गए।

दूसरी ओर जब सिकंदर ने राजा पैरू की कलाई पर अपनी पत्नी द्वारा भेजी हुई राखी देखी तो उन्होंने भी अपना बड़ा दिल दिखाते हुए राजा पेरू को मुक्त कर दिया और राज्य लौटा दिया।

यह थी रक्षाबंधन की कहानी(राखी की कहानी) हम आशा करते हैं कि आपको रक्षाबंधन की कहानी(raksha bandhan ki kahani) पसंद आई होगी धन्यवाद।

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